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Manipur Violence:

आज सुबह आँख खुलते ही एक पोस्ट फेसबुक पर देखी। जयपुर में भूकंप- और उठ कर बैठ गयी। भगवान अच्छा हुआ तूने ये फेसबुक जैसे प्लेटफोर्म बना दिए नहीं तो जाने कितनी जिंदगी की और जागने की ख़बरें.
महत्वपूर्ण चौथे स्तम्भ जैसे प्लेटफार्मो से मणिपुर जैसी ट्रेनें यूं ही छूट जाती .और जाने कितने दशमत इस देश में मूत स्नान कर रहे होते और मणिपुर की तरह हर गली में नंगे नाच हजारों की भीड़ में होने के बावजूद गुमनाम किस्से ही होते , हजारों की भीड़ में दो स्त्रियाँ निर्वस्त्र सड़क पर जिस बेशरमी से प्रदर्शित की गयी, इन घटनाओं का किसी को कानो कान पता भी नहीं चलता। अगर इनके वीडियो वायरल नहीं होते ? हमने कुछ देखा ही नहीं, की तर्ज पर बड़ी बड़ी मिडिया  एजेंसियां चलानेवाले .गली गली में बैठे पत्रकार और जागरूक नेता ,प्रशासन .सरकारें सबके सब सोये ही रहते  अगर सोशल में मीडिया पर विडिओ वायरल ना होते ? अब सरकारों के गुण गाने वाले  चुनाव के लिए इमेज  चमकाने वाले ये कठपुतलिया संसाधन बेचारे चूप रहे क्योंकि वे सब ढाई महीने तक मणिपुर की तरफ देख ही नहीं पा रहे थे। उन्हें एक पार्टियों की नौटंकी दिखाने से फुर्सत मिले तो ना .अब देखिये सीधी के प्रशासन की ही बात करते हैं जैसे हो वीडियो वायरल हुआ आरोपी का घर अतिक्रमण निकल आया। अवैध भवन उसके लिए तीन साल पुराना एक वीडियो वायरल होना कितना जरुरी था .जब भवन बना होगा पुलिस, प्रशासन, रहवासी, किसी को  नहीं पता की यहाँ अवेध निर्माण हुआ है  क्योंकि तब तक वहां पावर दिखाई दे रहा था ,रहनेवाला दमदार था पर भला हो वायरल का जिसने सुदामा के पैर कृष्ण से धुलवाकर रातों रात एक दशमत को सेलिब्रिटी में बदल दिया ?
दूसरा वायरल मणिपुर का ? मई माह की घटना चुप चाप घटित हो गयी ?सेकड़ों गूंगे बहरे भीड़ में भेडचाल चलने वाले लोगों  का क्या उन्हें तो उस गंदी में भी फिल्म का सीन लगा  होगा ? जैसे सालों पहले मध्यप्रदेश में फूलन देवी के साथ हुआ था ,लोगों को तो तब पता चला था जब शेखर कपूर ने एक गंभीर फिल्म में   यह वाहियात सीन फिल्माया और वायरल किया ? अब  मणिपुर हो या सीधी हम सब सोशल मिडिया पर ही निर्भर हो गए है .अगर सरकारों को जगाना है या आत्मस्तुति से बाहर लाना है ,या राहुल अब कैसे चुनाव लड़ने से बाहर किया जा सकता है तो वीडियो का बम फोड़ने पर ही विपक्ष के कानों में आवाज और सरकारों के बुलडोजरों में पहिये लग सकते है .
हम अपने कानों में रुई ,आँखों पर पट्टी बाँध कर्बैठे होते है .जुबान पर भी ताले ही लगे हैं .एक सवाल मणिपुर के बहाने सरकार से पूछा जाय जब FIR हुई थी तो महकमें ने सूचना तो दी ही होगी ?आला अफसर तब क्या मणिपुर से बाहर किसी बाग़ बगीचे में पिकनिक पर निकल गए थे ? और गुस्से से जो अब लाल पीले हो रहे महंगे टमाटर जैसे मंत्री संतरी दिल्ली में कोई मीटिंग सिटींग कर रहे थे ? और वे कैमरामेन जो सीमा – सचिन के घर के बाहर डेरा डाल कर बैठे हैं, वे मणिपुर से अनजान थे ? और वह वर्दी वाले जिनके हाथों में सिर्फ लम्बी बंदूक ही मणिपुर की तस्वीरों में दिखाई जाती है वे इस तमाशे कार में बैठ कर जब देख रहे थे तो उसका विडिओ भी तो वायरल हुआ होगा ना ,उन्हें सस्पेंड करिए,और वह ढाई महीने से चुप रहने के इशारे पर सोये प्रशासन के घरों पर बुलडोजर चालिए आया जनाब ?अपराध तो हर हाल में अपराध है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद जागना और फिर गुस्सा दिखाने का नाटक अब बहुत हो गया ?  चुनाव को लक्ष्य मत बनाइये लाडली बहनों के प्रदेश में एक ब्राहमण बहन पुलिस द्वारा  बेल्ट और डंडे से फेक्चर होने तक छूटे आरोप में थाने अन्दर पीट रही थी ,बाहर बहनोंके स्वाभिमान  की रक्षा के बड़े बड़े विज्ञापन घर घर में देखे जा रहे थे .बहनों में जो हिम्मत की “बिना तेल के तल दूंगी” जैसी हिम्मत  पर परदे पर ही है अन्दर से आज भी बहनों में मणिपुर का भय है. सोशल मिडिया को भी नियंत्रित करिए साहब हगे-मूते से लेकर बंद कमरों में और सड़क पर निर्वस्त्र प्रभात फेरी में अपमानित होती  स्त्री के मानवीय सम्मान की रक्षा विडिओ वायरल करके  करने के बजाय उन  दरिंदों को वायरल करे . भूकंप की खबर सोशल मिडिया से मिली लोग घरों से जान बचाने बाहर आये ,पने सहित उन सभी लोगों से  यह अपील है किसड़को पर अपने प्राण बचाने के लिए निकलने वाले भारत की इस दुर्दशा पर भी बाहर आये क्योंकि अब दुनिया के सामने विश्व गुरु की अस्मिता के प्राण निकल रहे है  विरोध करिए .