16 July is World Snake Day : ‘चार विषैले सर्प: मानव जीवन रक्षा

861
16 July is World Snake Day
16 जुलाई विश्व सर्प दिवस पर विशेष- 

‘चार विषैले सर्प: मानव जीवन रक्षा

 डॉ. तेज प्रकाश व्यास

भारत में 270 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं , इनमें से चार प्रजातियों के विष मानव शरीर के विरुद्ध कार्य करते हैं। सरीसृपों का आविर्भाव हुआ मानव के धरती पर आने के 6 करोड़ वर्ष पूर्व।

सर्प राष्ट्रीय संपत्ति एवम अमूल्य धरोहर है,सर्प राष्ट्रीय संपत्ति है।

चूहे प्लेग सहित अनेकों बीमारियों के वाहक हैं। चूहे खेत से ढेर सारा अनाज अपने बिलों में जमा करते हैं। मद्रास में इरुला जाति चूहे के बिलों से अनाज प्राप्त कर खाने में उपयोग करते हैं । चूहे अन्न के गोदामों में मूत्र मल त्याग कर भी बीमारियां फैलाने में मदद करते हैं। अजगर परिवार और चारों विषैले सर्प चूहों को भोजन बनाकर चूहों की संख्या का अद्वितीय नियंत्रण करते हैं । अनुमानतः सर्प चूहों को भक्षण कर राष्ट्र के 20 करोड़ मानवों का भोजन बचाते हैं। सर्प राष्ट्र की इकोनॉमी को परदे के पीछे रात्रि को चूहों को खाकर राष्ट्र के हितैषी ,सेवक और राष्ट्र हितकारी जीव हैं ।

सर्प की मानव से कोई भी दुसामी नहीं

सर्पों की मानव से कोई भी दुश्मनी नहीं है। यह मात्र सहज संयोग है कि भारत में पाए जाने वाले 4 विषैले सर्पों का विष मानव शरीर के विरुद्ध कार्य करता है ।

प्रतिविष चिकित्सा

विषैले सर्प दंश होने पर तत्काल दंशित मानव को प्रतिविष चिकित्सा मिल जाती हैं, तो जीवन 100% सुरक्षित हो जाता है। प्रतिविष चिकित्सा विषैले सर्पों के दंश की रामबाण चिकित्सा है । हॉफकिन इंस्टीट्यूट परेल, मुंबई, सीरम रिसर्च लैब,पुणे और सेंट्रल रिसर्च लैब , कसौली , हिमाचल प्रदेश में इन्हीं चारों विषैले सर्पों के विष से प्रति विष चिकित्सा तैयार की जाती है। चारों विषैले सर्पों का विष क्रमशः डोज बढ़ाकर स्वस्थ घोड़ों में प्रतिरोधात्मक शक्ति पैदा की जाती है । घोड़ों के रक्त से सीरम अलग कर प्रतिविष तैयार किया जाता है। यही चिकित्सा विषैले सर्पों के विष से मानव के जीवन की रक्षा करता है। सर्प दंश पर वैकल्पिक चिकित्सा में समय गंवाना जीवन गंवाना है। विषैले कुख्यात ‘बिग फोर’ भी शामिल हैं – इंडियन ब्लैक या स्पेक्टेल्ड कोबरा, इंडियन कॉमन क्रेट, इंडियन रसेल वाइपर और इंडियन सॉ-स्केल्ड वाइपर।

सर्प दंश से नुकसान

रिपोर्टों का अनुमान है कि भारत में हर साल साँपों के काटने से औसतन 50,000 हजार मौतें होती हैं, जिनमें से सबसे ज़्यादा मृत्यु ‘बिग फोर’ के कारण होती हैं। इन प्रजातियों के काटने पर तत्काल प्रति विष चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

IMG 20240715 WA0081 e1721053149416

भारतीय चश्माधारी कोबरा

IMG 20240715 WA0083 e1721053107298

फन पर एक विशिष्ट निशान के कारण, भारतीय कोबरा को स्पेक्टेक्लेड कोबरा (नाजा नाजा) कहा जाता है । जैसे बंद छाता खुलकर व्यापक रूप ले लेता है। इसी तरह कोबरा की पसलियां मसल्स के साथ फैलकर फन का स्वरूप धारण कर लेता है। अधिकतम 1.5 मीटर तक की लंबाई तक बढ़ने की क्षमता के साथ,यह प्रजाति शरीर के विभिन्न रंगों को प्रदर्शित करती है। जब खतरा या उकसाया जाता है तो सांप अपना विशिष्ट फन दिखाता है, साथ ही फुफकार की आवाज भी निकालता है। इसके ऊपरी जबड़े में दो खोखले, छोटे नुकीले दांत लगे होते हैं, जो शिकार में जहर छोड़ते हैं। गंध और दृष्टि की अपनी जबरदस्त समझ के कारण, यह आसानी से अपने शिकार चूहे छिपकली को पकड़ लेता है। मादा अंडे देती है – उनमें से लगभग 10 से 40 का समूह में, जन्म जात शिशु कोबरा का दंश भी जानलेवा सिद्ध होता है। प्रतिविष चिकित्सा ही है ,एक मात्र जीवन रक्षक।यह बिलों, खोखलों और टीलों में रहना पसंद करता है जहाँ चूहों की बहुतायत हो सकती है।अपने घर को चूहों , मेढ़क को शरण ना दें । इनका भोजन यही हैं ।

सावधानियां:

भवन के दरवाजे के नीचे गैप नहीं होना चाहिए। इनकी सिर की हड्डियां और शरीर की पसलियां को फैलाकर डेढ़ दो इंच की गैप में अपना शरीर दरवाजे से आवास में प्रवेश कर सकते हैं। कोबरा न्यूरोटिक्सिक है, याने इसका दंश मानव के मस्तिष्क एवम तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

सभी सांपों में वृक्ष पर चढ़ने की अदम्य क्षमता होती है।आवास की कोई भी पेड़ की टहनी खिड़की या उजालदान को छुए नहीं। अन्यथा इस सरल मार्ग से भी सर्प घर आवास में प्रवेश कर सकता है। ऐसी टहनियां काट दीजिएगा।

गावों में घर की मोरियां में जो पाइप बाहर निकला होता है , उसे जाली लगाकर रखिए, वरना सर्प पाइप से भी आवास में प्रवेश कर सकता है।

गावों में घर में कंडे लकड़ी में चूहे बिल बना लेते हैं । चूहों का पीछा करते हुए सर्प भी घर में प्रवेश कर जाते हैं। सावधान रहिएयेगा।

सदैव चमड़े के जूते उपयोग करें । रबर के शूज में सर्प काटकर विष छोड़ सकता है।अतः सावधानी रखें।

जैसे हम फोटो खींचते है । बस इतने अल्प समय में ही स्नेक बाइट करता है। सर्प सदैव स्वयं की रक्षा में दंश करता है। सर्प दंश से सर्प को तनिक भी पता नहीं कि सर्प दंश से मानव का हश्र क्या होगा।

रात्रि को सदैव नई सेल डली टॉर्च का उपयोग करें।

सर्प जमीन से निकली ध्वनि तरंगों को आसानी से ग्राह्य करते हैं। ग्रामीणों ने लाठी का उपयोग करना ही चाहिए। लाठी की ठक ठक आवाज से पगडंडी या मार्ग पर चलते हुए ग्रामीणों के लिए जीवन रक्षक सिद्ध होता है।रात में आप चल रहे हैं। लाइट बंद है । टॉर्च या मोबाइल भी नहीं है, तो अपने शूज को जमीन पर ठक ठक आवाज करते निकलें । धरती पर आवाज की स्पंदन से यदि सर्प समीप है , तो दूर चला जाएगा।सुरक्षात्मक कदम है। दंश नहीं करेगा।ग्रामीण नंगे पैर बरसात में खेतों में कार्य करते हैं और सर्प दंश का शिकार होते हैं । सावधानियां आवश्यक है।सर्प से छेड़छाड़ न करें। अच्छे अच्छे सर्प जानकारों की सर्प से खिलवाड़ से मृत्यु हो चुकी है।वाइपर के काटने और गैंग्रीन हो जाने से अनगिनत मानवों के हाथ पैर काटने पड़े हैं ।खिलवाड़ का जीव नहीं है।कोबरा को 12 बरस पालो , खिलाओ पिलाओ। सर्प अल्प बुद्धि प्राणी है। मालिक को पहचानता नहीं है। बुधवारिया उज्जैन में रहने वाला मुन्ना को जो सर्पों का जानकर था। मिट्टी के मटकों में सांप रखता था। सर्प दंश से मृत्यु हो गई।

सर्प पर सामान्य नियंत्रण

घर में सर्प आगया। ऊंचे टेबल कुर्सी पर चढ़कर , चुन्नी तोलिया ,कपड़ा हौले से सर्व के ऊपर छोड़ दीजिए। सर्प भीरू प्राणी है। कपड़े में तुरंत दुबकेगा। बड़ा तपेला तगारी से ढक दीजिएगा । सर्प बाहर नहीं निकलेगा।सर्प के जानकार को काल कर सर्प से मुक्ति पा सकते हैं।

*इंडियन कॉमन क्रेट*

मशहूर इंडियन कॉमन क्रेट (बंगरस सेरूलियस) ‘बिग फोर’ की सूची में हैं।इस सर्प का शरीर सामान्यतया गहरे नीले या काले रंग का होता है, ,लगभग 1 मीटर लंबा होता है। इसे इसके हल्के रंग के क्रॉस-बैंड से पहचाना जा सकता है जो रीढ़ की हड्डी के पार चलते हैं। इस प्रजाति का सिर भी चपटा और कुंद होता है, और एक छोटी, गोल पूंछ होती है। इसका शरीर त्रिकोणीय होता है, जो इसे दलदल और आर्द्रभूमि में सरकने में मदद करता है। मादा क्रेट लगभग एक दर्जन अंडे देती है और शिकार से बचने के लिए उनकी रखवाली करती है।

IMG 20240715 WA0079

कॉमन क्रेट भारत का न्यूरोटिक्सिक सर्प है, याने इसका दंश मानव के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

भारतीय क्रेट एक रात्रिचर प्रजाति है, यही कारण है कि उनके काटने की अधिकांश घटनाएँ रात में होती हैं। उनके काटने की घटना कथित तौर पर दर्द रहित होती है, अक्सर प्रकृति में दुर्घटनावश ही होती है। इसीलिए राजस्थान में पीणा भी कहा जाता है। सोए मानव को रात में दंश हुआ तो सुबह मृत्यु। इसका विष न्यूरोटॉक्सिक होता है – और जब तक इसका एंटीवेनम द्वारा उपचार नहीं किया जाता, तंत्रिका तंत्र पर इसका प्रभाव घातक साबित हो सकता है। ये साँप पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं, और इनका भोजन कृंतक, सरीसृप, मेंढक और अकशेरुकी जीव हैं।

*इंडियन रसेल वाइपर*

इंडियन रसेल वाइपर जिसे मालवी भाषा में दीवड कहा जाता है। इसका नाम पैट्रिक रसेल जैवविद के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने भारत में साँपों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दिलचस्प बात यह है कि हिंदी में दबोइया शब्द का अर्थ है “छिपकर रहने वाला”। आम तौर पर पीले-भूरे रंग के शरीर और गहरे पैसों के आकार के तीन कतारों धब्बों वाले सर्प हैं।1.6 मीटर तक लंबे होने वाले इस साँप का सिर बड़ा त्रिकोणीय होता है। यह साँप मुख्य रूप से रात्रिचर और स्थलीय (भूमि पर रहने वाला) होता है और कृंतक, छोटे सरीसृप और यहाँ तक कि छोटे अकशेरुकी जीवों को खाना पसंद करता है। यह ओवोविविपेरस है, जिसका अर्थ है कि मादा लगभग 20 से 40 बच्चों को जन्म देती है। अधिक भूखी होने पर मां स्वयं के नव जात शिशुओं को खा जाती है। इसे कैनीबैलिजम कहते हैं

यह उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है और वनों के साथ-साथ कृषि क्षेत्रों में भी पाया जाता है। यह एक घात लगाने वाला शिकारी है, यह शिकार पर हमला करने की आवश्यकता होने तक पूरी तरह से शांत रह सकता है। भारतीय रसेल वाइपर खतरे या उत्तेजना के समय तेज़ फुफकारने वाली आवाज़ निकालता है। सांप का जहर नेक्रोसिस का कारण बन सकता है, जो ऊतकों और अंगों में मृत कोशिकाओं का कारण बनता है, और शिकार को बहुत अधिक रक्तस्राव कराता है। गैंग्रीन तक हो जाता है। इसके दंशित मानव के गैंग्रीन के कारण हाथ पैर तक काटने पड़ते हैं । इस सर्प का दंश वेस्कुलोटॉक्सिक है याने हृदय और रक्त संचार संस्थान को विषमता से प्रभावित करता है।

*इंडियन सॉ-स्केल्ड वाइपर*

इंडियन सॉ-स्केल्ड वाइपर (इकिस कैरिनैटस कैरिनैटस) ‘बिग फोर’ में से एक है। इसके किनारों पर मजबूती से मुड़े हुए तराजू के कारण इसका यह नाम रखा गया है। खतरा होने पर, सांप शरीर को एक अंग्रेजी के ‘एस’ आकार में ढल जाता है, जिससे उसके शल्क आपस में रगड़ने लगते हैं और काम करने वाली आरा मशीन जैसी आवाज श……..श…..पैदा करते हैं। अन्य तीन सर्पों की तुलना में यह बहुत छोटा, यह केवल 60 सेंटी मीटर की लंबाई तक बढ़ता है। इसके शरीर का रंग भूरे या भूरे से लेकर जैतून तक होता है, जिसमें गहरे रंग के पैटर्न होते हैं। साँप छिपकलियों, मेंढकों, कृंतकों और अकशेरुकी जीवों जैसे शिकार का शिकार करने के लिए निकलता है। रसेल वाइपर मादा लगभग 3 से 15 जीवित संतानों को जन्म देती है।

IMG 20240715 WA0078

वाइपर प्रजाति उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालय की तलहटी को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में वितरित है। यह विविध आवासों में निवास करता है, लेकिन आम तौर पर चट्टानों के नीचे या छिद्रों में छिपना पसंद करता है। गुप्त रंग-रूप और अस्पष्ट जीवनशैली के कारण इन सांपों को खतरनाक माना जाता है। वाइपर द्वारा छोड़ा गया जहर वेस्कुलोटॉक्सिक है – जिसका अर्थ है कि मानव शरीर के ह्रदय और रक्त वाहिनियों में विषाक्तता करता है। साइटोटॉक्सिक भी है- इसके विषाक्त पदार्थ शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं।

सर्पदंश एक सिद्ध स्वास्थ्य खतरा है, और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में प्रचलित है। सांप के जहर के इर्द-गिर्द व्यापक शोध के बावजूद, जिसके कारण ‘बिग फोर’ के लिए एंटी-वेनम की उपलब्धता हुई है, उपचार की तुलना में रोकथाम अधिक प्रभावी है। शिक्षा और जागरूकता सर्पदंश रोकथाम रणनीतियों का अंतिम रूप है। सांपों की प्रजातियों की सही पहचान करना महत्वपूर्ण है – यह जानने के लिए कि वे जहरीले हैं या जहर रहित हैं। सांप को पहचानने में लोगों की सहायता करना आवश्यक है।

मोबाइल एप्लिकेशन गूगल पर उपलब्ध है जो सांप की पहचान करने में मदद करता है, चिकित्सा में भी मदद करता है।

प्राथमिक उपचार

प्राथमिक उपचार अनिवार्य रूप से अस्पताल में भर्ती होने से पहले का प्रबंधन है। इसे विषैले सांप के काटने के तुरंत जल्दी से जल्दी बाद किया जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार ऐसा हो सकता है जिसे पीड़ित खुद भी कर सकता है।

साँप काटने पर क्या करें :

विषैले सर्प दंश के दो गहरे निशान सामान्यतया दिखते हैं।

पीड़ित को सांत्वना दें। सभी साँपों के काटने में अधिकांश प्रकरण विषहीन सर्प के होते हैं। भारत में पाए जाने वाले 4 विषैली प्रजातियों के काटने पर ही जहर मानव शरीर में इंजेक्ट होता है; विषहीन सर्प के दंश ‘सूखे काटने’ याने हानि रहित होते हैं जहाँ कोई जहर इंजेक्ट नहीं किया जाता है।

काटे गए अंग पर मौजूद सभी आभूषण और अन्य कसने वाली सामग्री हटा दें।

घाव के ऊपरी हिस्से पर हल्के से लपेटने के लिए चौड़ी क्रेप/इलास्टिक पट्टी का इस्तेमाल करें। अगर ऐसी पट्टी उपलब्ध न हो, तो चिंता न करें। कोई भी उपलब्ध लंबा कपड़ा जैसे तौलिया, चुन्नी आदि भी काम आ सकता है। यह बंधन इतना कसा होना चाहिए कि एक अंगुली पिरोई जा सके।

समीप के अस्पताल में जाएँ या सर्प के प्रति विष चिकित्सा केंद्र ले जाएं

पारंपरिक झाड़ फूंक, फोन चिकित्सा, गंडा तावीज , भोपा आदि के चक्कर में तनिक भी ना पड़ें। विषैले सर्प के दंश के बाद ऐसे उपचारों में गंवाया समय मृत्यु कारक है। ऐसे इलाज का कोई लाभ सिद्ध नहीं है।

अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर को अपने द्वारा देखे गए किसी भी लक्षण (उल्टी/पेट का टेढ़ापन/.दर्द आदि) के बारे में बताएं।

यदि सांप मारा जाए तो उसे सावधानीपूर्वक डॉक्टर द्वारा पहचान के लिए अस्पताल ले जाना चाहिए।

डॉक्टरों को दिखाने के लिए मृत या जीवित सांप के पूरे शरीर की मोबाइल से फोटो भी ली जा सकती है।

साँप को मारने या पकड़ने की कोशिश में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। इससे सिर्फ़ समय की बर्बादी होती है और दूसरे लोग भी सर्प दंश का शिकार बन सकते हैं।

साँप काटने पर क्या न करें :

घबड़ाएं नहीं।

पीड़ित को भागने या कोई काम करने की अनुमति न दें।

पीड़ित मोटर बाईक को किक करके या दौड़कर या साइकिल चला कर चिकित्सा केंद्र न पहुंचे। शारीरिक श्रम से विष द्रुत गति से शरीर में फैलता है।

ऐसे टोर्नकिट का प्रयोग न करें: रस्सी, बेल्ट, तार, बिजली के तार या कपड़े से बने टाइट टोर्नकिट

का प्रयोग पारंपरिक रूप से सांप के काटने के बाद शरीर में जहर के प्रवाह को रोकने के लिए किया जाता रहा है। वे वास्तव में ज़्यादा नुकसान करते हैं और कोई फ़ायदा नहीं।

घाव पर कोई जड़ी-बूटी न लगाएं।

घाव को न धोएँ.

घाव पर रेजर से कट न लगाएँ; इससे हालत और खराब हो जाती है। घाव को चूसने से कोई विष नहीं निकलता। यांत्रिक सक्शन उपकरण भी किसी काम के नहीं हैं।

दंशित स्थान पर ब्लेड से कट लगाकर पोटेशियम परमेंगनेट भरा जाता था। 100% घातक है। इसे कदापि न करें।

घाव पर बर्फ न लगाएं।

घाव वाले स्थान या शरीर के किसी अन्य भाग पर कोई चीरा न लगाएं।

एल्कोहॉल ना पिएं।

घाव या काटे गए अंग पर एसिड न लगाएं।

सर्प दांशित दंशित को अविलंब चिकित्सालय प्रतिविष चिकित्सा हेतु ले जावे।

सर्पदंश पीड़ित का परिवहन:

घटनास्थल पर एम्बुलेंस या परिवार स्वजन की कार से पहुंचने पहुंचे। अपना जीवन रक्षा का मूल्यवान समय बर्बाद न करें।

यदि आप दो पहिया वाहन पर यात्रा कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि पीड़ित का पैर फुट-रेस्ट पर हो। अन्यथा अगर पैर नीचे गिर गया, तो सड़क पर घर्षण के कारण और अधिक चोट लग सकती है।प्रतिविष चिकित्सा से विषैले सर्प दंशित मानव को 100% सुरक्षा मिलेगी।

IMG 20240715 WA0082 e1721053041534

डॉक्टर तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

लेखक -ग्लैंड स्विट्जरलैंड की ओर से भारतीय उप महाद्वीप के उभयचर सरीसृप वैज्ञानिक हैं .

 

World Health Day 2024: मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार