18th Day of भोजशाला Survey : ASI की टीम ने ‘अक्कल कुईया’ के प्रमाण इकट्ठा किए, हिंदू पक्ष का दावा!
धार से वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री की रिपोर्ट
Dhar : हाई कोर्ट के आदेश पर भोजशाला में चल रहे सर्वे का आज 18वां दिन है। पिछले 17 दिनों में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम ने बहुत कुछ प्रमाण इकट्ठा करके उनकी जानकारी अपने पास रखी है, जिसका उल्लेख 45 दिन में हाईकोर्ट में जमा की जाने वाली रिपोर्ट में किया जाएगा।
सर्वे टीम आज भी निर्धारित समय पर भोजशाला पहुंची और अपना सर्वे कार्य प्रारंभ किया। हिंदू पक्ष की ओर से गोपाल शर्मा ने आज मीडिया से बात करते हुए भोजशाला की अक्कल कुईया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह अक्कल कुईया वास्तव में क्या है और आर्यावर्त में यह क्यों बनाई गई थी। उन्होंने हरीविष्णु वाकणकर का भी उल्लेख किया, जिन्होंने सरस्वती की खोज में भोजशाला की इस अक्कल कुईया का अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है।
अक्कल कुईया वास्तव में सरस्वती कूप
गोपाल शर्मा ने अपने बयान में कहा कि आज सर्वे का 18वां दिन है।सर्वे कार्य प्रगति पर है। निश्चित रूप से हम निर्धारित अवधि में निर्णायक भूमिका पहुंचेंगे। हमने जो एप्लीकेशन लगाई थी वह सार्थक सिद्ध होगी। कल अक्कल कुईया का भी सर्वे हुआ है। ये सरस्वती कूप है जो राजा भोज ने स्थापित किया था। राजा भोज द्वारा लिखित पुस्तक चारु चर्या में इसका उल्लेख है कि आर्यावर्त में सात स्थानों पर ऐसे सरस्वती कूप को सरस्वती का आह्वान करके स्थापित किया गया था।
जहां जहां गुरुकुल हुआ करते थे, वहां विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन और उनकी बुद्धि तीक्ष्ण करने के लिए इन कूप का पानी उपयोग लाया जाता था। जो विद्यार्थी कमजोर होते थे, उनकी बुद्धि को तीक्ष्ण करने के लिए इन कुईया का पानी उपयोग किया जाता था। इससे जिनकी बुद्धि कमजोर होती थी, उनका ज्ञान बढ़ता था और याददाश्त बढ़ती थी। सरस्वती जो वर्तमान स्थिति में विलुप्त है, यह उसी का स्वरूप है। इस कूप का रास्ता दो गुंबदों के बीच से होकर जाता था। यह दोनों गुंबद अलग-अलग थे।इसके ठीक नीचे यह 14 चक्रीय कूप बना हुआ था। इसको वर्तमान में अक्कल भी कहा जाता है। इसको पाताल गंगा के नाम से भी संबोधन था।
सीढ़ियों से अंदर उतरते हुए और दक्षिण में जैसे ही अंदर जाते हैं। अंदर उत्तर में दीवार पर गणेश जी की आकृति बनी हुई है। इसका हरीविष्णु वाकणकर जी ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख भी किया था। वे विलुप्त सरस्वती नदी की खोज में निकले थे। भोजशाला भी आए थे। उन्होंने बताया था कि आर्यावर्त में सात स्थानों पर ऐसी अक्कल कुईया है। इसमें ताम्रपत्र और एक ऐसा पत्थर होता है जो सिर्फ सरस्वती नदी के जल में ही पाया जाता है।
उन्होंने बताया कि आर्यावर्त में सिर्फ सात स्थान पर ही अक्कल कुईया थी। वर्तमान में भारत में यह इलाहाबाद के किले में और नालंदा के गुरुकुल में है। तीसरी अक्कल कुईया भोजशाला में मौजूद है। बाकी चार अक्कल कुईया कहाँ है उसकी मुझे जानकारी नही है। हरीविष्णु वाकणकर जी ने अपनी पुस्तक में सभी का उल्लेख किया है।
गोपाल शर्मा ने यह भी कहा कि सर्वे को रोकने की कोशिश करना उनकी मानसिकता का परिणाम है। क्योंकि उनका मन नहीं है, इसलिए वह रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा तो साफ कहना है कि यदि यह मस्जिद है तो उनको दे दो और मंदिर है, तो हमको दे दो। निश्चित रूप से यह मंदिर है और भी सर्वे के आधार पर अयोध्या मथुरा काशी का सच सामने आया है। उनके टाइटल बदले हैं। इसी तरह भोजशाला का भी टाइटल बदलेगा और यह भोजशाला जो शारदा मंदिर के रूप में जानी जाती थी या अपने पुराने गौरव को एक बार फिर प्राप्त करेगी।