24 साल पहले, पहली फाग यात्रा: तब प्रशासन रोकने और विधायक गौड़ निकालने पर अड़ गए थे

लाठीचार्ज में सिर फूटे, हाथ-पैर टूटे, होली पर खून बहा,अंतत: झुकना पड़ा प्रशासन को

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तीन साल से गेर और फाग यात्राएं भी नहीं निकली। इस बार इन सभी के आयोजकों में जोश है।इंदौर की अयोध्या के नाम से पहचाने जाने वाले विधानसभा क्षेत्र क्रमांक चार के लोधीपुरा क्षेत्र से निकलने वाली फाग यात्रा में युवतियां, महिलाएं तो इस बार भी शामिल होंगी किंतु इस फाग यात्रा में पहली बार शामिल होने वाले युवा वर्ग को यह पता नहीं होगा कि 24 साल पहले होली पर फाग यात्रा निकालने की घोषणा को जिला-पुलिस प्रशासन ने किसी हाल में पूरा नहीं होने दिया था।गिरफ्तारी और लाठीचार्ज में कई युवकों के सिर फूटे, हाथ पैर टूटे जिससे वह रंग पर्व खूनी होली में बदल गया था।अंतत: प्रशासन को झुकना पड़ा और रंगपंचमी पर यह यात्रा विजयोत्सव के रूप में निकली थी।तब से ही रंगपंचमी पर निकाली जा रही है फाग यात्रा।

🔺तब गेरों में अवांछनीय तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते थे

अब तो निकलने वाली गेरों में खूब सुधार हो गया है लेकिन दो-तीन दशक पहले पश्चिम क्षेत्र से निकलने वाली गेर में अवांछनीय तत्वों के प्रवेश से हुड़दंग करने वाली टोलियों की हरकतें अश्लीलता की हदें पार कर जाती थी। परिवार सहित शामिल होने वाली महिलाओं को भी शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ता था।राजवाड़ा क्षेत्र में गेर देखने जुटी युवतियों के साथ हुई हरकत तो लोग अब तक नहीं भूले हैं।

गेर में शामिल होने वाले इन अवांछनीय युवकों की हरकतों का आलम यह रहता था कि सराफा, कपड़ा मार्केट की बंद दुकानों के अंदर रंग सने कपड़े फेंकने के साथ ही दुकानों के साइम बोर्ड तक क्षतिग्रस्त कर देते थे।इन हरकतों से बेवजह आयोजकों को शर्मिंदगी झेलना पड़ती थी। गेर के दौरान झगड़े, चाकू और तलवार चलने की घटनाएं भी होती रहती थीं। वृहन्नलाओं वाले बाने में भी खुराफाती युवकों द्वारा अश्लीलता का प्रदर्शन किया जाता था।ऐसी हरकतों से इंदौर की रंगपंचमी की धूम पर कालिख लगती थी।

क्षेत्र क्रमांक चार से तब लक्ष्मण सिंह गौड़ विधायक थे।इस तरह की घटनाओं को रोकने और रंगों का यह पर्व शालीनता से मनाने की दिशा में उन्होंने गेर आयोजकों से चर्चा भी की लेकिन सहमति नहीं बन पाई। गौड़ के खास मित्र और बजरंग दल के संयोजक रहे पूर्व पार्षद कैलाश शर्मा के मुताबिक जब सहमति के आसार नहीं बने तो तय किया कि गेर से पहले धुलेंडी वाले दिन नृसिंह मंदिर से राधा-कृष्ण फाग यात्रा निकाली जाए।उद्देश्य यही था कि संस्कृति में घुसी विकृति को रोका जा सके और शहर की गली और चौराहा मथुरा-वृंदावन नजर आए, महिलाएं बेखौफ होकर रंग खेलें।

🔺तब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री, पंडित कृपाशंकर शुक्ला शहर अध्यक्ष, कलेक्टर थे गोपालरेड्डी

उस दौरान प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार होने से इंदौर में भी प्रशासनिक अधिकारियों की मजबूरी थी कांग्रेस नेताओं की ही सुनना।क्षेत्र क्रमांक चार के नृसिंह बाजार क्षेत्र से फाग यात्रा निकालने की भाजपा विधायक की घोषणा किसी हालत में पूरी न हो, कांग्रेस नेता इस उधेड़बुन में लग गए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर शुक्ला ने दिग्विजय सिंह को अपने तरीके से समझाया कि यह क्षेत्र हिंदू-मुस्लिम बहुल है, पहले भी सांप्रदायिक विवाद होते रहे हैं।फाग यात्रा निकलने पर क्षेत्र में कहीं फिर से अशांति न फैल जाए।

भोपाल से आए मैसेज के बाद तत्कालीन कलेक्टर एम गोपालरेड्डी ने फाग यात्रा की अनुमति निरस्त कर दी।धुलेंडी वाले दिन नृसिंह बाजार मंदिर और इससे जुड़ने वाले मार्गों पर भारी पुलिस बल तैनात था। विधायक गौड़ जिस रथ में राधा-कृष्ण की मूर्ति विराजित करने वाले थे उस रथ को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया।भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो जय जय सियाराम के नारे लगाते युवक भी आक्रामक हो गए।लाठीचार्ज में किसी के हाथ तो किसी के पैर की हड्डी टूट गई। कई कार्यकर्ताओं के सिर फूटे, पुलिस जवान भी घायल हुए।