3 Custom Inspectors Punished : तीन कस्टम इंस्पेक्टरों समेत 8 को CBI ने सजा सुनाई!

एक यूनिट को अनैतिक लाभ पहुंचाकर सरकार को 16 करोड़ का नुकसान पहुंचाया! 

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3 Custom Inspectors Punished : तीन कस्टम इंस्पेक्टरों समेत 8 को CBI ने सजा सुनाई!

Indore : 16 करोड़ की कर चोरी के मामले में सीबीआई अदालत ने तीन कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर सहित आठ लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाई। अदालत ने प्रत्येक पर 40-40 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक गुफरान अहमद ने केस की सुनवाई के दौरान 34 गवाहों के कथन कराए थे। सीबीआई ने सजा सुनाए जाने के बाद 16 करोड़ की कर चोरी मामले में कोर्ट ने सभी 8 को न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजने के आदेश दिए।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के स्पेशल जज सुधीर कुमार मिश्रा ने सौ प्रतिशत एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट (EOU) के भ्रष्टाचार और 16 करोड़ की कर चोरी मामले में तत्कालीन कस्टम इंस्पेक्टर आशुतोष नाथ, मनोज चंद्रवंशी और कृष्ण गोपाल शर्मा व कंपनी के दो डायरेक्ट सहित 8 लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने प्रत्येक पर 40-40 हजार रुपए का अर्थ भी लगाया। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने वर्ष 2003 से 2006 के बीच करीब 16 करोड रुपए की कर चोरी की।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक गुफरान अहमद ने सीबीआई की तरफ से 34 गवाह को पेश किए। सीबीआई कोर्ट ने तीन कस्टम इंस्पेक्टर, दो कंपनी डायरेक्ट सहित 8 को सुनाई सजा दी है। स्पेशल सीबीआई जज सुधीर मिश्रा की अदालत में गुरूवार को कस्टम के तत्कालीन तीन इंस्पेक्टर व कंपनी के दो डायरेक्ट मृगेंद्र जालान और दीपक नागर के अलावा पूर्व कस्टम इंस्पेक्टर आशुतोष नाथ, मनोज चंद्रवंशी, कृष्ण गोपाल शर्मा व अन्य अभिजीत सेन, बसंत लाल और राजीव दत्ता इन आठों को पीसी एक्ट एवं भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई।

 

ये था पूरा मामला

मामले के अनुसार तीनों इंस्पेक्टरों ने खरगोन में स्थापित मैकाल फाइक्स लिमिटेड की इकाई के मैनेजिंग डायरेक्टर मृगेंद्र जालान, डायरेक्टर दीपक नागर, असिस्टेंट मैनेजर अभिजीत सेन और राजीव दत्ता, ऑफिसर बसंतीलाल श्रीवास्तव के साथ सांठगांठ करते हुए अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया और अनैतिक लाभ अर्जित किया।

विशेष न्यायाधीश सीबीआई की विशेष अदालत ने उक्त तीनों निरीक्षकों समेत कंपनी के 5 अधिकारियों सहित सभी 8 आरोपियों को कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है। इस मामले में सीबीआई ने 3 अक्टूबर 2007 को प्राथमिकी दर्ज की थी। 30 नवंबर 2009 को आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मामले में 15 वर्ष विचारण के दौरान अभियोजन की और से 24 साक्ष पेश किए गए। उक्त तीनों निरीक्षकों ने वर्ष 2006 से 2009 के मध्य फाइबर्स लिमिटेड के उक्त कर्ताधर्ताओं के साथ मिलकर शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई।

मामले में पाया गया था कि कंपनी ने करोड़ों का निर्मित कॉटन विदेश में निर्यात दर्शाकर कर स्थानीय बाजार में बगैर कर चुकाए विक्रय किया। उक्त तीनों निरीक्षक ने अपने निगरानी कर्तव्यों का पालन नहीं करते हुए इसे रोकने की जगह आपराधिक षडयंत्र, दुराचार, अवैधानिक लाभ अर्जित किया था।