यूनियन कार्बाइड हादसे की 37वीं बरसी…सवाल जिंदा हैं…

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यूनियन कार्बाइड हादसे की 37वीं बरसी...सवाल जिंदा हैं...
यूनियन कार्बाइड हादसे का दंश भोपाल अभी भी भुगत रहा है और आगे भी भुगतता रहेगा। हर साल की तरह सामान्य प्रशासन विभाग ने निर्देश जारी कर दिया है कि 37 वीं बरसी पर बरकतउल्ला भवन सेंट्रल लाइब्रेरी में हर वर्ष की तरह 3 दिसंबर को सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन होगा, जिसमें दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी और विभिन्न धर्मग्रथों का पाठ धर्मगुरुओं द्वारा किया जाएगा।
यूनियन कार्बाइड हादसे की 37वीं बरसी...सवाल जिंदा हैं...
तो 37वीं बरसी से पहले गैस पीड़ितों की तरफ से 37 सवाल पूछे गए हैं, जिसमें गैस पीड़ितों की समस्याएं और सरकारों द्वारा उपेक्षा किए जाने का जिक्र उसी तरह है, जिस तरह साल-दर-साल होता रहा है। दोषियों को सजा न मिल पाना, मुआवजा की मांग पूरी न होना, पीड़ित तीसरी पीढ़ी का दर्द, इलाज, दवा वगैरह सभी समस्याएं गैस पीड़ितों की पीड़ा बनकर पल-पल घुटन बढ़ाती रहती हैं।
मलहम कारगर साबित नहीं हो पाया है लेकिन बरसी हर साल वक्त पर मौजूं हो फिर दिल को दर्द से भर जाती है। गैस पीड़ित संगठन मीडिया के सामने गैस पीड़ितों की बर्बादी का रोना रोते हैं और जो कुछ हासिल होता है, उसे मलहम समझकर गैस पीड़ितों के घावों पर लगाकर फिर संघर्ष की राह पर खड़े हो जाते हैं। संघर्ष करने वाले चेहरे बदले हैं लेकिन संघर्ष जारी है। जवाब भले ही न मिल पाएं, पर सवाल जिंदा हैं।
एक दिसंबर को पत्रकार वार्ता कर गैस पीड़ित संगठनों ने आरोप लगाए हैं। राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा  37 साल बाद भी पीड़ितों को इंसाफ और इज्जत की जिंदगी मुहैया ना करा पाने की कड़ी निंदा की है। अपनी 37 दिवसीय मुहिम ’37 साल – 37सवाल’ पर भी जानकारी साझा की |
यूनियन कार्बाइड हादसे की 37वीं बरसी...सवाल जिंदा हैं...
“गैस पीड़ित संगठन चाहते हैं कि दुनिया को पता चले कि विश्व के सबसे भीषण औद्योगिक हादसे के 37 साल बाद भी भोपाल गैस पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा गया है।” भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा और गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता, रशीदा बी ने कहा कि “हमें यह बताते हुए खेद हो रहा है कि किसी भोपाली को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है और आज तक कोई भी अपराधी एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गया है, इसका कारण यह है कि हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारें और अमरीकी कंपनियों के बीच सांठगांठ आज भी जारी है।”,
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी का कहना है कि “अस्पतालों में भीड़, संभावित हानिकारक दवाओं का बेहिसाब और अंधांधुंध इस्तेमाल और मरीजों की लाचारी वैसी ही बनी हुई है जैसी हादसे की सुबह थी।
आज यूनियन कार्बाइड की गैसों के कारण फेफड़े, हृदय, गुर्दे, अंत:स्त्रावी तंत्र , तंत्रिका तंत्र और रोग प्रतिरोधक तंत्र की पुरानी बीमारियों के लिए इलाज की कोई प्रमाणिक विधि विकसित नहीं हो पाई है क्योंकि सरकार ने हादसे के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सभी शोध बंद कर दिए हैं और यूनियन कार्बाइड कम्पनी ही है जिसके पास स्वास्थ्य संबंधी सारी जानकारी है और आज तक कम्पनी ने इस जानकारी को दबा कर रखा है”।
 भोपाल ग्रुप ऑफ इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना धींगरा कहती हैं कि “मिट्टी और भूजल को प्रदूषित होने के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति के लिए डाव केमिकल-अमरीका से मुआवजे का दावा करने के बजाए, मध्य प्रदेश सरकार एक मेमोरियल बनाकर विधिक दायित्वों से पल्ला झाड़ना चाहती है।
चिल्ड्रन अगेंस्ट डाउ कार्बाइड की नौशीन खान त्रासदी के बाद पैदा हुए गैस पीड़ितों के बच्चों की दुर्दशा का जिक्र करती हैं और इन्हें रोजगार और मुआवजे को लेकर सरकारों को विफल बताती हैं।
तो सरकारें हमेशा ही गैस पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिलाने और न्याय दिलाने की बात कहती रही हैं। हाल ही में गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग ने भी दावा किया था कि यूनियन कार्बाइड स्थल पर जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए फिर से टेंडर जारी किया गया है। कचरा नष्ट कर यहां गैस पीड़ित मेमोरियल बनाया जाएगा और गैस पीड़ितों को रोजगार की व्यवस्था होगी और उनकी समस्याओं का निराकरण होगा।
आइए हम सब मिलकर सर्व धर्म प्रार्थना सभा से एक दिन पहले ही दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। और गैस पीड़ितों को न्याय मिले, यह कामना करते हैं। दुनिया की इस भीषणतम त्रासदी के दोषियों को सजा मिले और गैस पीड़ितों की निगाह में सरकार की छवि उजली बन सके, शायद यही सच्ची श्रद्धांजलि दिवंगत गैस पीड़ितों को होगी और गैस पीड़ितों के घावों पर तभी मरहम लग सकेगी।