आईपीएस की 41 सम्पत्तियां!

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आईपीएस की 41 सम्पत्तियां!

भोपाल में मंत्रालय की तीसरी मंजिल से खबर निकलकर आ रही है कि गृह विभाग आजकल मप्र केडर के आईपीएस अधिकारियों की अचल सम्पत्तियों की सूची तैयार कर रहा है। विभाग यह जानकर हैरान है कि एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी, उनकी पत्नी और बच्चों के नाम 41 सम्पत्तियां हैं। खास बात यह है कि इन अधिकारी के राजस्थान में रहने वाले रिश्तेदारों ने भोपाल में अचल सम्पत्तियां खरीदीं और अफसर की पत्नी को गिफ्ट कर दी हैं। यह अधिकारी इसी साल रिटायर होने वाले हैं। रिटायरमेंट के पहले यह गोपनीय जांच उन पर भारी पड़ सकती है!

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इनके अलावा भी अन्य आईपीएस अफसरों की अचल सम्पत्तियों की सूची तैयार हो रही है। गृह विभाग इस बात का भी आंकलन कर रहा है कि इन सम्पत्तियों को खरीदने में अफसरों ने दो नम्बर में कितनी राशि दी है। यानि फिलहाल आईपीएस सरकार के निशाने पर नजर आ रहे हैं।

*नेता हैं कि मेंढक!*
मप्र में लंबे समय बाद भाजपा संगठन को नगरीय निकाय चुनाव में नेताओं को मनाने में पसीने आ रहे हैं। प्रदेश की 16 नगर निगमों में टिकट वितरण के बाद से रूठने मनाने का सिलसिला चुनाव के अंतिम दौर तक जारी है। भाजपा में अब नेताओं को मनाना मेंढक तौलने जैसा हो गया है। एक नेता को मनाते हैं तो खबर आती है कि दूसरा रूठकर घर बैठ गया है। ग्वालियर महापौर प्रत्याशी सुमन शर्मा का इस मामले में रो रोकर बुरा हाल है।

BJP's New Ticket Formula

उन्होंने हाथ पैर जोड़कर बमुश्किल अनूप मिश्रा को मनाया। इंदौर के पुराने नेता सत्यनारायण सत्तन ने तो लंबी कविता लिखकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कटनी से पूर्व विधायक सुकीर्ति जैन ने सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखकर पार्टी की रीति नीति की कड़ी आलोचना कर दी है। लगभग यही हाल जबलपुर, मुरैना, उज्जैन, रतलाम का बताया जा रहा है। यानि यह तय है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद भाजपा में संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है।

*कांग्रेस की अर्टिलरी*
युद्ध में अर्टिलरी का बड़ा महत्व होता है। युद्ध जीतने के लिए सेना को तोपें व बारूद यह आर्टिलरी ही उपलब्ध कराती हैं। मप्र की राजनीति में कांग्रेस ने चुनावी मुद्दों के लिए आर्टिलरी तैयार की है जो नेताओं और प्रवक्ताओं को राज्य सरकार और भाजपा नेताओं के खिलाफ मुद्दे उपलब्ध कराएगी। इस राजनीतिक आर्टिलरी का चीफ वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले को बनाया गया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में तैनात पीयूष बबेले रात दिन अध्ययन कर भाजपा की हिन्दुत्व विचारधारा और शिवराज सरकार के खिलाफ ठोस मुद्दे तैयार कर रहे हैं। मुखबिर का कहना है कि मप्र कांग्रेस में मीडिया विभाग में परिवर्तन भी बबेले की रिपोर्ट के आधार पर ही हुआ है।

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बहद लो प्रोफाईल व शांत दिखने वाले पीयूष बबेले ने प्रवक्ताओं की नई टीम के जरिये भाजपा और सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। पार्टी के आईटी सेल के प्रभारी अभय तिवारी पहले से ही ट्वीटर व फेसबुक के जरिए हमलावर बने हुए हैं।

*भाजपा में कांग्रेसी संस्कृति!*
भाजपा में प्योर कांग्रेसी संस्कृति देखना हो तो ग्वालियर जिले के डबरा चले आइये। डबरा जनपद पंचायत के भाजपा समर्थित अनेक निर्वाचित सदस्य गायब हो गये हैं। इन सदस्यों को भाजपा का ही एक खेमा किसी पर्यटन स्थल की ओर लेकर रवाना हो गया है। भोपाल पहुंच रही खबरों के अनुसार सारा विवाद जनपद अध्यक्ष की कुर्सी का है। भाजपा संगठन किसी पंडित जी को अध्यक्ष बनाना चाहता रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को पंडित जी मंजूर नहीं है। पंजा छोड़कर कर फूल पार्टी में आए खेमे ने जीते जनपद सदस्यों को पर्यटन स्थल की ओर रवाना कर दिया है। अब वे अध्यक्ष के चुनाव वाले दिन ही लौटेंगे। यानि अब डबरा जनपद अध्यक्ष भाजपा संगठन का नहीं, कांग्रेस से भाजपा में आए खेमे का होगा।

*भवन अनुज्ञा शाखा ठेके पर!*
भगवान करे यह खबर गलत हो। मप्र नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के एक अधिकारी ने भोपाल नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा को ठेके पर ले लिया है। इसी के साथ पूरे भोपाल में अवैध भवन निर्माण के नाम पर बड़े भवन मालिकों से अवैध वसूली की चर्चा शुरू हो गई है। छन छनकर आ रही खबरों के अनुसार अफसर ने एक करोड़ पेशगी और लाखों रूपये महीने कमाकर देने के नाम पर भवन अनुज्ञा शाखा ठेके पर ले ली है। वसूली के प्रथम चरण में निगम के रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट को नोटिस देकर बीते तीन साल में पास कराये नक्शे और भवन निर्माण के फोटो मांगे गये हैं। इधर आर्किटेक्ट व बड़े भवन मालिकों में हडकंप मच गया है उधर वसूली गैंग एक्टिव हो गई है। देखते हैं नई महापौर की इसमें क्या भूमिका रहती है?

*बिक सकता है भोपाल बीएचईएल!*
मप्र की राजधानी भोपाल की एक पहचान भारत सरकार के बड़े उपक्रम भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) से भी है। लगभग 6 हजार एकड़ भूमि पर बने इस विशाल कारखाने में कभी 22500 लोग काम करते थे। सरकार की उपेक्षा और मिस मैनेजमेंट के कारण इस कारखाने की हालत बिगड़ती जा रही है। आज यहां लगभग 3000 लोग काम करते हैं। कारखाना प्रबंधन 2220 एकड़ भूमि राज्य सरकार को लौटाने तैयार है। चर्चा है केन्द्र सरकार ने इसे निजी हाथों में सौंपने का मन बना लिया है। यही कारण है कि इस कारखाने को भारी उद्योग से हटाकर वित्त विभाग के अधीन कर दिया गया है। कोई बड़ी बात नहीं कि कुछ वर्षों में यह कारखाना अंबानी, अडानी या टाटा ग्रुप के हाथ में हो।

*और अंत में….*
मप्र राज्य सहकारी आवास संघ में रिटायर अफसर को प्रबंध संचालक बनाने के प्रयास फिलहाल विफल कर दिए गये हैं। प्रमुख सचिव सहकारिता और आयुक्त सहकारिता ने आवास संघ की आमसभा के इस फैसले को गैरकानूनी माना है। आवास संघ के प्रबंध संचालक अरविन्द सिंह सेंगर 30 जून को रिटायर होने वाले थे। इसके एक सप्ताह पहले आमसभा की बैठक कर निर्णय कर लिया गया कि रिटायर अधिकारी भी प्रबंध संचालक रह सकता है। सेंगर इस पद पर बने रहते, लेकिन सुनी सुनाई के इस काॅलम में पोल खुलते ही प्रमुख सचिव व आयुक्त ने आमसभा के फैसले को गैर कानूनी मानते हुए संयुक्त पंजीयक संजय दलेला को आवास संघ का प्रबंध संचालक नियुक्त कर सेंगर को घर बिठा दिया है।