FSL में 59 प्रतिशत वैज्ञानिकों के पद खाली, हैदराबाद लैब की मदद से होगी पेंडेंसी क्लियर

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भोपाल: मध्य प्रदेश न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला में जांच की पैंडेंसी आठ हजार के करीब पहुंच गई है। इसको क्लियर करने के लिए हैदराबाद की लैब की मदद ली जाएगी। पैंडेंसी हर साल बढ़ती ही जा रही है, अब इस पैडेंसी को कम करने के लिए एक लैब से एमओयू साइन करने की तैयारी है। इधर एफएसएल में आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। इनको भरे जाने का प्लान फिलहाल शासन के पास नहीं है।

सूत्रों की मानी जाए तो एफएसएल की जांच पैंडेंसी लगातार बढ़ रही है। इस वक्त प्रदेश में आठ हजार से ज्यादा मामले लैब की जांच के कारण अटके हुए हैं। इनका परीक्षण करवाने में प्रदेश की एफएसएल के पास वैज्ञानिक ही नहीं है। इसके चलते लंबित जांचों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। लंबित जांचों के कारण कई मामलों में जिलों की पुलिस चालान पेश नहीं कर सकी तो कई मामलों में अदालत में मामले लंबित चल रहे हैं।

प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार
जांच के लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव पर वित्त की अनुमति सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जांच करवाने के बदले में संबंधित लैब को एफएसएल की ओर से भुगतान होगा।

इनते पद हैं खाली
एफएसएल भोपाल और सागर में वैज्ञानिक अधिकारियों के 284 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 167 पद ही भरे हुए हैं। बाकी के पद लंबे अरसे से खाली है। पदोन्नति में आरक्षण नहीं मिलने के चलते भी ये पद लगातार खाली होते जा रहे हैं। वहीं तकनीकी प्रयोगशाला सहायक के 188 स्वीकृत पदों में 125 पद ही भरे हुए हैं। इस पद पर भी लंबे अरसे से भर्ती नहीं हुई है। हालांकि अभी मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 44 तकनीकी प्रयोगशाला सहायकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन इसमें शर्त इनती थी कि ज्यादा लोग इस पर आवेदन नहीं कर सके। इसके चलते पीएससी ने इनके लिखित परीक्षा की जगह पर अब सीधे इंटरव्यू करने का तय किया है। ये भर्ती हो जाएगी उसके करीब एक साल बाद एफएसएल को प्रयोगशाला सहायक मिल सकेंगे।