MP News: सरकारी भवनों की पूरी कुंडली अब पोर्टल पर

निर्माण, मरम्मत, संधारण के नाम पर गोलमाल रुकेगा, सब कुछ पब्लिक डोमेन में

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भोपाल: प्रदेश के सरकारी विभागों की ईमारतों के निर्माण, उनके संधारण और मरम्मत के नाम पर गुपचुप होंने वाले कागजी काम और गोलमाल पर अब रोक लग सकेगी। यह सब जानकारी अब एक पोर्टल पर पब्लिक डोमेन में होगी और आमजनता खुद इसे देख सकेगी और काम न होंने या गड़बड़ी होंने , घटिया गुणवत्ताहीन काम होंने पर इसकी शिकायत भी कर सकेगी।

इसके लिए लोक निर्माण विभाग एक पोर्टल तैयार करेगा। वहीं जिला स्तर पर सरकारी जर्जर और अनुपयोगी भवनों को तोड़ने की अनुमति देने और किसी बड़ी शासकीय योजना के क्रियान्वयन में बाधक उपयोगी भवनों को तोड़ने की अनुमति भी कलेक्टर जिले में ही दे सकेंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने पॉलिसी तैयार कर ली है।

लोक निर्माण विभाग अगले महीने तक एक ऐसी पोर्टल तैयार करेगा। इस पोर्टल पर अब सारे सरकारी महकमें अपने सारे भवनों का विवरण दर्ज करेंगे। एक एसेट रजिस्टर पूरी तरह आॅनलाईन होगा जिसमें संधारण व मरम्मत के उत्तरदायित्व स्पष्ट रुप से अंकित किए जाएंगे। इस पोर्टल के माध्यम से दी गई मंजूरी, किये गए काम और उनका जीपीएस युक्त फोटो , काम होंने के बाद उपयोगिता प्रमाणपत्र भी डाला जाएगा।

यह सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में रखी जाएगी। आमजनता इसे खुद देख सकेगी। किस सरकारी विभाग ने भवन की मरम्मत में कितना खर्च किया, क्या काम कराया, रंगाई-पुताई पर कितना खर्च हुआ। बिजली और पानी की फिटिंग कराने के नाम पर कितनी राशि खर्च हुई।फ्लोरिंग कराने, साज-सज्जा, और जनसुविधाओं को विकसित करने के नाम पर क्या-क्या काम हुए। उनकी गुणवत्ता कैसी है। कब काम शुरु हुआ, कब खत्म हुआ। ठेकेदार को कितना भुगतान किया गया यह सब पब्लिक डोमेन में होगा।

जिले में बढ़ेंगे कलेक्टर के पावर,जर्जर, अनुपयोगी भवन तोड़ने की अनुमति देंगे- जिला स्तर पर विभिन्न विभागों के जर्जर, अनुपयोगी भवन को कंडम घोषित करने और तोड़ने की मंजूरी दे के अधिकार अब कलेक्टरों को दिए जाएंगे। अभी तक इसके लिए संबंधित प्रशासकीय विभाग प्रमुख के पास और वित्त विभाग के पास इसका प्रस्ताव आता था। उनकी अनुमति के बाद काम होते थे। इससे इन कामों में काफी देरी हो जाती थी।

इसी तरह जिले के जो सरकारी भवन जर्जर नहीं हुए है और अनुपयोगी भी हीं है लेकिन विभागीय योजना के अंतर्गत उसके बेहतर उपायेग के लिए उसे तोड़ना जरुरी हो तो मामलों में अब कलेक्टरों को अधिकार दिए जाएंगे। वे जिला स्तर पर खुद ऐसे निर्णय ले सकेंगे। इससे जिले की योजनाओं के क्रियान्वय में तेजी आएगी और विकास कार्य जिले में तेजी से हो सकेंगे। इसका फायदा सीधे जनता को मिल सकेगा। इसके लिए वित्त विभाग प्रक्रिया को और सरल बनाने की कार्यवाही करेगा।