

6 Cr Notice to Egg Seller : अंडे के ठेले वाले को ₹6 करोड़ का GST नोटिस, रजिस्टर्ड कंपनी बताकर बकाया टैक्स बताया!
उसके आधार और पेन कार्ड का दुरुपयोग करके रजिस्टर्ड कंपनी तक बना दी गई!
Damoh : ये कोई कॉमेडी फिल्म की कहानी का प्लॉट नहीं, बल्कि सच है कि यहां एक अंडे का ठेला लगाने वाले युवक प्रिंस को ₹6 करोड़ का जीएसटी चुकाने का नोटिस मिला। खास बात यह कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विभाग के नोटिस में प्रिंस को दिल्ली में खोली गई एक कंपनी का मालिक बताया गया। इस कंपनी के नाम पर करीब 50 करोड़ का कारोबार भी दर्ज है, जिस पर करीब ₹6 करोड़ का जीएसटी भुगतान बकाया है। इसी का नोटिस प्रिंस अंडे वाले को भेजा गया।
दिल्ली में फर्जी तरीके से बनाई गई इस कंपनी पर 2022-23 का टैक्स बकाया है। जीएसटी विभाग का नोटिस मिलने के बाद प्रिंस समेत पूरा परिवार परेशान है। इस मामले की शिकायत आयकर विभाग और एसपी से भी की गई। अधिकारियों ने मामले की जांच कराने का भरोसा भी दिलाया।
दमोह में पथरिया के वार्ड नंबर 14 में रहने वाला प्रिंस ठेला लगाकर अंडे बेचने का काम करता है। बीती 18 मार्च को उसके नाम से घर पर एक रजिस्टर्ड डाक आई। इसमें विभाग का नोटिस निकला। नोटिस में प्रिंस से बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेज मांगे गए हैं। इस नोटिस में लिखा है कि साल 2022 में प्रिंस इंटरप्राइजेज नाम से दिल्ली के स्टेट जोन 3 (वार्ड 33) में एक फर्म संचालित की गई। इस कंपनी ने 2022-23 में करीब 50 करोड़ रुपए के चमड़ा, लकड़ी और आयरन का कारोबार किया। लेकिन, जीएसटी का भुगतान नहीं किया। कंपनी पर करीब 6 करोड़ की जीएसटी का भुगतान बकाया है।
कभी किसी को आधार और पैन कार्ड नहीं दिया
प्रिंस ने बताया कि वह 2023 में मजदूरी करने इंदौर गया था। वहां उसने करीब 1 साल काम किया। इस दौरान अपना पैन और आधार कार्ड किसी को भी नहीं दिया। फिलहाल पथरिया में अंडे का ठेला लगाकर अपने परिवार का गुजारा कर रहा है। पिता श्रीधर सुमन छोटी किराना दुकान चलाते हैं। श्रीधर सुमन ने बताया कि यदि न्याय नहीं मिला तो परिवार के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
क्या कहा वकील ने
युवक प्रिंस ने नोटिस मिलने के बाद एडवोकेट अभिलाष खरे से संपर्क किया, तो पता चला कि नोटिस असली है। अब पूरा परिवार हैरान है कि जब प्रिंस कभी दिल्ली गया ही नहीं तो उसके नाम पर इतनी बड़ी कंपनी कैसे खुल गई। अभिलाष खरे ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद हमने आयकर विभाग को लेटर भेजा है। पुलिस से भी शिकायत की है।