आचार संहिता लगने से पहले 7 विभाग करेंगे जमकर खर्च, फायनेंस ने बढ़ाई खर्च सीमा

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Finance Department Issued Orders

आचार संहिता लगने से पहले 7 विभाग करेंगे जमकर खर्च, फायनेंस ने बढ़ाई खर्च सीमा

भोपाल: मध्यप्रदेश में नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अक्टूबर माह में आचार संहिता लग जाएगी। इसके चलते सरकार ने लोक निर्माण, जलसंसाधन विभाग सहित सात विभागों के लिए खजाना खोल दिया है। जुलाई से सितंबर तक इन विभागों के लिए खर्च सीमा नये सिरे से पुनरीक्षत कर इन विभागों की खर्च सीमा बढ़ा दी है।

वित्त विभाग ने साल भर के बजट को खर्च करने के लिए त्रैमासिक खर्च सीमा तय कर रखी है ताकि विभागों के पास पूरे साल तक योजनाओं के संचालन, विकास कार्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए राशि जमा रहे। आनन-फानन में विभाग जरुरत से ज्यादा अनावश्यक खर्च नहीं करे इसलिए उन पर पाबंदी लगाई जाती है कि वे हर तीन माह में एक समाना राशि खर्च कर सके।

लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। अक्टूबर माह में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लग सकती है और उस समय सभी नये कामों, विकास कार्यो के लिए नवीन स्वीकृतियों पर रोक लग जाएगी। इसके चलते वित्त विभाग ने सात बड़े महकमों के लिए मासिक व्यय सीमा नये सिरे से तय करते हुए उन्हें ज्यादा राशि खर्च करने की मंजूरी प्रदान की है।

इसमें लोक निर्माण विभाग को सर्वाधिक 27 सौ करोड़ रुपए तीन माह में खर्च करने की अनुमति दी गई है। इसके बाद नर्मदा घाटी विकास विभाग 2400 करोड़ रुपए खर्च कर सकेंगा। यह राशि तीन माह में बराबर-बराबर खर्च की जाना है।
जलसंसाधन विभाग को 1650 करोड़ रुपए खर्च कर सकेंगा। नगरीय विकास एवं आवास विभाग नौ सौ करोड़ रुपए तीन माह में खर्च कर सकेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को जुलाई और सितंबर में 330-330 करोड़ रुपए और अगस्त में 225 करोड़ रुपए के खर्च की अनुमति प्रदान की गई है।

जनजातीय कार्य विभाग जुलाई से सितंबर तक हर माह 193 करोड़ रुपए खर्च कर सकेगा। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग को जुलाई और अगस्त में हर माह 110 करोड़ रुपए तथा सितंबर में 119 करोड़ रुपए खर्च करने की अनुमति रहेगी। ये सातों विभाग अपने महकमों के ऐसे सभी कार्य जो पूंजीगत मदों में आते है उनमें यह राशि खर्च की जा सकेगी। इससे प्रदेश में सड़कें, बांध, छात्रावास, जलाशय, नहरे, सामुदायिक भवन और अन्य कार्य आसानी से खर्च हो सकेंगे।