ट्रेन में जहर खुरानी कराने वाले आरोपी को 7 वर्ष का कारावास

878
सिंहस्थ-2004

ट्रेन में जहर खुरानी कराने वाले आरोपी को 7 वर्ष का कारावास

Ratlam : चलती ट्रेन में वृद्ध दम्पति से मेलजोल बढ़ाने के बाद उनके द्वारा पहने हुए स्वर्ण आभूषण और नकद राशि हड़पने के लिए उन्हें दिए गए नाश्ते व चाय में जहर मिलाकर दम्पति को बेहोश कर पहनें आभुषण को निकालकर चम्पत हो जाने वाले आरोपी बाबू खान को न्यायालय तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्री लक्ष्मण कुमार वर्मा द्वारा 7 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। प्रकरण की जानकारी देते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि दिनांक 5 नवंबर 2015 को फरियादी रामलाल रेगर द्वारा आरक्षी केंद्र जीआरपी चित्तौड़गढ़ पर एक आवेदन दिया था कि उसके माता-पिता दर्शन करने के लिए उज्जैन गए थे।4 नवंबर 2015 को अजमेर से उसके मोबाइल पर सूचना आई थी कि उसकी माता अर्धचेतना अवस्था में हैं।पिताजी बाद में घर आए थे पिताजी बेहोशी की हालत में थे पूछताछ करने पर पर माता-पिता ने बताया था कि उज्जैन से वापस आते समय स्टेशन पर एक व्यक्ति जो 50-55 साल का था जिसने सफारी सूट पहने हुए था उनके पास आया और बोला आप राजस्थान के लगते हो इस तरह से वह व्यक्ति बातचीत करते हुए उनसे भी धुल मिल गया और वह बोला कि उसे भी उसी ट्रेन से जाना हैं फिर उन्होंने हैदराबाद अजमेर ट्रेन का टिकट लेकर जनरल कोच में जगह नही होने पर वह और किसी से बात करके आया और फरियादी के माता-पिता को भी स्लीपर कोच S-7 में ले गया।

इन लोगों के बातचीत करते-करते रतलाम आ गया था।तब वह काफी धुल मिल गया रेलवे स्टेशन रतलाम पर पिताजी को चाय नाश्ता करवाने के लिए प्लेटफार्म पर ले गया और दो प्लेट पोहे दिलवाएं और खुद ने भी नाश्ता किया।पोहे खाते ही पिताजी ने कड़वे होने की बात कहते हुए उन्हें फेंकने की बात कही तो उस व्यक्ति ने कहा कि आप हिंदू हो अन्न का अनादर नहीं करते हैं,इस पर पिताजी ने पूरे पोहे खा लिए और फिर वह चाय लेकर आया और पिताजी और माताजी को चाय पिलाई और उसने खुद ने भी चाय पी।उसके कुछ समय बाद माताजी पिताजी को चक्कर आने लगे थे।तब तक गाड़ी रवाना हो गई थी और पिताजी को दस्त लगने लग गए थे तो उस व्यक्ति ने माताजी,पिताजी को दो-दो टेबलेट दी जो उन्हें कड़वी लगी तो उसने पीने के लिए पानी दिया और दोनों को सुला दिया उसके बाद उसके माता-पिता को कोई कुछ भी पता नहीं चला अजमेर में माताजी की आंख खुली तो माताजी के शरीर पर पहने आभुषण सोने की एक जोड़ी झुमकी,एक सोने की अंगूठी + चांदी की पायजेब और 22 सौ रुपए नगद तथा पिताजी को होश आने पर उनके गले में पहने ढाई तोले सोने की चैन एवं नगद 16 सौ रुपए गायब थे।जो माता-पिता को व्यक्ति मिला था उसने अपना नाम जुगल किशोर बताया था फरियादी की रिपोर्ट पर चित्तौड़ जीआरपी थाना पर धारा 328,279 भादवी.में जीरो पर कायमी दर्ज कर,असल कायमी हेतु जीआरपी थाना रतलाम को भेजी थी।जहां पर अनुसंधान में आरोपी बाबू खान को गिरफ्तार किया गया था और अनुसंधान पूर्ण कर चलान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जहां अभियोजन साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्री लक्ष्मण कुमार वर्मा द्वारा आरोपी बाबू को धारा 397 भादवी.में दोषमुक्त किया गया।तथा धारा 328 व 394 में दोषी पाते हुए 7-7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5-5 सौ रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया हैं।अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान द्वारा की गई।