8 Seats of Western MP : पश्चिम मध्यप्रदेश की 8 में 3 सीटों पर मुकाबला कांटाजोड़!

आज मतदान में दोनों पार्टियों का सबसे ज्यादा जोर धार, झाबुआ-रतलाम और खरगोन पर!

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8 Seats of Western MP : पश्चिम मध्यप्रदेश की 8 में 3 सीटों पर मुकाबला कांटाजोड़!

Indore : मध्यप्रदेश में आज लोकसभा मतदान का चौथा और अंतिम चरण है। आज पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा अंचल की 8 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। इनमें 7 सीटों पर तो परंपरागत चुनाव है पर इंदौर में चुनावी मुकाबले की रोचकता ही ख़त्म हो गई। यहां भाजपा के सामने मुकाबले में कोई नहीं है। इसलिए कांग्रेस ने ‘नोटा’ को अपने उम्मीदवार की तरह प्रचारित किया है। लेकिन, इलाके की 3 आदिवासी बहुल सीटें ऐसी है जिनके बारे में कोई दावा नहीं किया जा रहा। ये हैं धार, झाबुआ-रतलाम और खरगोन। यहां नतीजों का ऊंट किस करवट बैठ जाए, कहा नहीं जा सकता।

इस इलाके की देवास (अजा), उज्जैन (अजा), मंदसौर, झाबुआ-रतलाम (अजजा), धार (अजजा), इंदौर, खरगौन (अजजा) एवं खंडवा में मतदान हो रहा है। सभी की नजर इन 8 सीटों में से जिस सीट पर सबसे अधिक है, वह है इंदौर लोकसभा सीट जहां मुद्दा हार-जीत का नहीं, बल्कि भाजपा उम्मीदवार की जीत के अंतर और ‘नोटा’ में पड़ने वाले वोटों की संख्या।

इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम के चुनाव से हटने के बाद कांग्रेस ने इंदौर में नोटा अभियान शुरू कर दिया। कांग्रेस ने किसी भी निर्दलीय को समर्थन नहीं दिया। पार्टी ने इंदौर की जनता से अपील की है कि वे नोटा का विकल्प चुनकर बीजेपी सरकार को संदेश दें कि उन्होंने इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी का नाम वापस कराकर लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिश की।

कांग्रेस के इस अभियान से बीजेपी नेताओं को अपना फैसला बैक फायर होता नजर आ रहा है। यही वजह है कि बीजेपी आलाकमान के निर्देश पर इंदौर बीजेपी के सभी छोटे-बड़े नेताओं को निर्देश दे दिए गए हैं कि इंदौर की जनता को नोटा बटन दबाने से मना किया जाए। इंदौर बीजेपी के नेताओं को भी उम्मीदवार शंकर लालवानी को जिताने के लिए तीन गुना अधिक टारगेट दिया है।

किस सीट पर किसमें मुकाबला
मालवा-निमाड़ की शेष 7 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही चुनावी टक्कर है। इन 8 लोकसभा सीटों पर 74 प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
– इंदौर में भाजपा के शंकर लालवानी और 14 निर्दलीय प्रत्याशी।
– उज्जैन में भाजपा के अनिल फिरोजिया और कांग्रेस के महेश परमार।
– देवास में भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी और कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय।
– धार में भाजपा की सावित्री ठाकुर और कांग्रेस के राधेश्याम मुवेल।
– झाबुआ-रतलाम में भाजपा की अनिता चौहान और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया।
– मंदसौर में सुधीर गुप्ता और कांग्रेस के दिलीप सिंह गुर्जर।
– खरगोन में भाजपा के गजेंद्र पटेल और कांग्रेस के पोरलाल खरते।
– खंडवा में भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल और कांग्रेस के नरेंद्र पटेल में मुकाबला है।

तीन सीटों पर कड़ा मुकाबला
मालवा और निमाड़ की 8 सीटों में से आदिवासी बहुल वाली 3 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। ये सीटें हैं झाबुआ-रतलाम, धार और खरगोन। झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार अनिता नागर सिंह चौहान का मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया से है। झाबुआ और अलीराजपुर के इलाके में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया मजबूत नजर आ रहे हैं। कांतिलाल भूरिया भील जनजाति से आते हैं, वहीं अनिता चौहान भिलाला जनजाति से आती हैं। इलाके में भील मतदाताओं की संख्या अधिक है। झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला कांटे का हो सकता है।

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धार में भाजपा की सावित्री ठाकुर और कांग्रेस के राधेश्याम मुवेल में मुकाबला है। यहां कि 8 विधानसभा सीटों में से 5 कांग्रेस के पास है। धरमपुरी सीट भाजपा ने नाम मात्र के वोटों से जीती थी। कहा जा सकता है कि यहां भाजपा 2 सामान्य सीटों धार और महू में ही चुनौती देने की स्थिति में है। भाजपा की सावित्री ठाकुर पहले भी सांसद रह चुकी है और उन पर काम न करने के आरोप भी लगे। इस बार भी उनके टिकट पर भाजपा के स्थानीय नेता खुश नहीं थे। जबकि, कांग्रेस के राधेश्याम मुवेल खिलाफ बोलने को कुछ नहीं है। ऐसी स्थिति में किसी बड़े उलटफेर से इंकार नहीं किया जा सकता।

निमाड़ की खरगोन लोकसभा सीट पर भी मुकाबला एक तरफ़ा नही कहा जा सकता। यहां से भाजपा के उम्मीदवार गजेंद्रसिंह पटेल और कांग्रेस के पोरलाल खरते के बीच मुकाबला है। प्रचार के बीच मतदाता को रिझाने के लिए पार्टियों में खींचतान भी रही। चुनाव में दोनों दलों के बड़े नेता और रणनीतिकार कार्यकर्ताओं को रणनीति का पाठ पढ़ाते हुए मैदान की मानीटरिंग करते रहे। लेकिन, दस साल में वादे पूरे नहीं होने पर भाजपा के प्रति मतदाताओं में नाराजी है। सबसे ज्यादा नाराजी का कारण रेल लाइन का मुद्दा है। इसलिए यहां भी मुकाबला कांटा जोड़ है।