
8th Pay Commission: जानिए लेवल के अनुसार सैलरी स्ट्रक्चर में कितना बदलाव होगा? चपरासी से लेकर IAS अधिकारी को कितनी सैलरी?
जानिए भारत में लागू हुए पहले से सातवें वेतनमान की जानकारी, यह भी जानिए कि ये वेतनमान कब-कब लागू हुए?
8th Pay Commission: नरेंद्र मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2025 को देश में आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। यह नया वेतन आयोग एक जनवरी 2026 से लागू होगा।
लेखा विभाग के जानकारों का कहना है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से पहले किस सरकारी कर्मचारी-अधिकारी की तनख्वाह कितनी बढ़ेगी? यह अभी से पुख्ता कह पाना मुश्किल है, मगर पिछले सात वेतन आयोग की सिफारिशों की आधार पर बढ़ने वाली सैलरी का अनुमान जरूर लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं लेवल के अनुसार सैलरी स्ट्रक्चर में कितना बदलाव होगा।
लेवल 1 से लेवल 5 तक: चपरासी और क्लर्क
लेवल 1: 7वें वेतन आयोग के बाद लेवल 1 के कर्मचारियों का बेसिक वेतन 18,000 रुपये था, जो 8वें वेतन आयोग के बाद 21,300 रुपये हो जाएगा। अन्य लेवल की सैलरी में भी बड़ा इजाफा होगा:
लेवल 2: 19,900 रुपये से बढ़कर 23,880 रुपये
लेवल 3: 21,700 रुपये से बढ़कर 26,040 रुपये
लेवल 4: 25,500 रुपये से बढ़कर 30,600 रुपये
लेवल 5: 29,200 रुपये से बढ़कर 35,040 रुपये
इन लेवल के कर्मचारियों में चपरासी, सफाईकर्मी, क्लर्क आदि शामिल हैं।
लेवल 6 से लेवल 9 तक: प्राथमिक शिक्षक और ग्राम विकास अधिकारी
ग्रेड पे 4,200 रुपये से 5,400 रुपये के बीच आने वाले कर्मचारियों की सैलरी भी बढ़ेगी।
लेवल 6: 35,400 रुपये से बढ़कर 42,480 रुपये
लेवल 7: 44,900 रुपये से बढ़कर 53,880 रुपये
लेवल 8: 47,600 रुपये से बढ़कर 57,120 रुपये
लेवल 9: 53,100 रुपये से बढ़कर 63,720 रुपये
लेवल 10 से लेवल 12 तक: उच्च पदस्थ कर्मचारी
इन लेवल में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षकों और अन्य अधिकारियों की सैलरी में इजाफा होगा।
लेवल 10: 56,100 रुपये से बढ़कर 67,320 रुपये
लेवल 11: 67,700 रुपये से बढ़कर 81,240 रुपये
लेवल 12: 78,800 रुपये से बढ़कर 94,560 रुपये
लेवल 12: 78,800 रुपये से बढ़कर 94,560 रुपये
लेवल 13 और 14: वरिष्ठ अधिकारी
ग्रेड पे 8,700 रुपये से 10,000 रुपये वाले अधिकारियों की सैलरी में भारी बढ़ोतरी होगी।
लेवल 13: 1,23,100 रुपये से बढ़कर 1,47,720 रुपये
लेवल 14: 1,44,200 रुपये से बढ़कर 1,73,040 रुपये
लेवल 15 से लेवल 18: IAS, IPS अधिकारी और वरिष्ठ सचिव
ब्यूरोक्रेट्स और उच्च अधिकारियों की सैलरी में बड़ा बदलाव आएगा।
लेवल 15: 1,82,200 रुपये से बढ़कर 2,18,400 रुपये
लेवल 16: 2,05,400 रुपये से बढ़कर 2,46,480 रुपये
लेवल 17: 2,25,000 रुपये से बढ़कर 2,70,000 रुपये
लेवल 18: 2,50,000 रुपये से बढ़कर 3,00,000 रुपये
कुल सैलरी में और कितना इजाफा होगा?
यहां दी गई जानकारी केवल बेसिक सैलरी के बारे में है। कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA), ट्रांसपोर्ट अलाउंस, और अन्य भत्ते भी मिलेंगे, जिससे उनकी कुल सैलरी और अधिक हो जाएगी। इससे कर्मचारियों की जीवनशैली और वित्तीय स्थिरता में सुधार होगा।
भारत में वेतनमान कब-कब लागू हुआ?
1. प्रथम वेतन आयोग (1946-1947): भारत में पहला वेतन आयोग स्वतंत्रता से पहले 1946 में गठित किया गया था, लेकिन इसकी सिफारिशें स्वतंत्रता के बाद 1947 में लागू हुईं। इसका उद्देश्य था सरकारी कर्मचारियों के वेतन को संगठित करना और वेतनमान का एक मानक ढांचा तैयार करना।
भारत में वेतनमान कब-कब लागू हुआ?
1. प्रथम वेतन आयोग (1946-1947): भारत में पहला वेतन आयोग स्वतंत्रता से पहले 1946 में गठित किया गया था, लेकिन इसकी सिफारिशें स्वतंत्रता के बाद 1947 में लागू हुईं। इसका उद्देश्य था सरकारी कर्मचारियों के वेतन को संगठित करना और वेतनमान का एक मानक ढांचा तैयार करना।
2. द्वितीय वेतन आयोग (1957-1959): दूसरा वेतन आयोग 1957 में गठित किया गया और इसकी सिफारिशें 1959 में लागू की गईं। यह आयोग उस समय की महंगाई और सरकारी कर्मचारियों की जरूरतों के मद्देनजर वेतन में सुधार के लिए बनाया गया था।
3. तृतीय वेतन आयोग (1970-1973): 1970 में गठित तीसरे वेतन आयोग की सिफारिशें 1973 में लागू की गईं। इस आयोग ने कर्मचारियों के लिए न्यूनतम और अधिकतम वेतनमान के बीच के अंतर को कम करने की सिफारिश की थी।
5. पंचम वेतन आयोग (1994-1997): पांचवां वेतन आयोग 1994 में गठित हुआ और इसकी सिफारिशें 1997 में लागू की गईं। इस आयोग ने सरकारी खर्च और कर्मचारियों की कार्यक्षमता के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया।
6. छठा वेतन आयोग (2006-2008): छठा वेतन आयोग 2006 में बनाया गया और 2008 में इसकी सिफारिशें लागू हुईं। इस आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान को आधुनिक आर्थिक जरूरतों के साथ जोड़ा।
7. सातवां वेतन आयोग (2014-2016): सातवां वेतन आयोग 2014 में गठित हुआ और 2016 में इसकी सिफारिशें लागू की गईं। इस आयोग ने डिजिटल इंडिया और आर्थिक सुधारों के दौर में कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों का विश्लेषण किया।





