9 Months of Mohan Yadav’s Govt: आर्थिक चुनौतियों के बीच धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा!  

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9 Months of Mohan Yadav’s Govt: आर्थिक चुनौतियों के बीच धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा!  

रंजन श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट 

भोपाल: मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में वर्तमान भाजपा सरकार ने 9 महीने पूरे कर लिए हैं। विधान सभा में भाजपा की ताकत इतनी है कि सरकार को विपक्ष से ना इन 9 महीनों में कोई चुनौती थी और ना ही आने वाले 4 वर्षों में किसी चुनौती की आशंका है। चुनौती है तो सिर्फ और सिर्फ जन आकाक्षांओं को पूरा करने की और प्रदेश में विकास की गति को आगे बढ़ाने की। यह चुनौती कितनी कठिन है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 31 मार्च, 2024 की स्थिति में सरकार के ऊपर ऋण की राशि 3.75 लाख करोड़ रूपये थी। जाहिर है यह राशि पिछले 5 महीने में और बढ़ी है क्योंकि सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार ऋण ले रही है। सरकार के ऊपर ऋण इसके वार्षिक बजट से भी ज्यादा है।

सरकार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने अगस्त माह में एक सर्कुलर जारी करके 70 से ज्यादा योजनाओं के क्रियान्यवन को स्थगित कर दिया। सरकार को लाड़ली बहना तथा अन्य सामाजिक कल्याण के योजनाओं पर भारी भरकम खर्च करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री निवेश सम्मेलनों के जरिये प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देना चाहते हैं पर तुरंत किसी बड़े उपलब्धि की आशा करना व्यर्थ है। आर्थिक चुनौतियों के अलावा इन 9 महीनों में मुख्यमंत्री के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती रही है कि वे जनता और ब्यूरोक्रेसी के बीच में निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साये में ना दिखें। पर चौहान को भी एक नेता से जननेता बनने में कई वर्ष लग गए थे। अपने दूसरे कार्यकाल में चौहान ने अपनी एक अलग छवि गढ़ी जिसके सहारे वे मध्य प्रदेश में आने वाले कई वर्षों तक मुख्यमंत्री के तौर पर शासन करते रहे। चौहान की छवि गढ़ने में उनके द्वारा शुरू की गयी सामाजिक कल्याण की योजनाओं की बहुत भूमिका थी जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान और निकाह योजना, सम्बल योजना, मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना और अन्य बहुत सारी योजनाएं विभिन्न वर्गों के लिए।

मुख्यमंत्री यादव के समक्ष दिक्कत ये है कि जो भी योजनाएं चल रही हैं उस पर छाप शिवराज सिंह चौहान की है और प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मुख्यमंत्री सामाजिक कल्याण की कोई नई योजना लांच करें जिसपर उनकी छाप हो। लाड़ली बहना जैसी योजनाओं की लोकप्रियता को देखते हुए मुख्यमंत्री के लिए यह भी संभव नहीं है कि ऐसी योजनाओं को बंद कर दिया जाए इसलिए मुख्यमंत्री को बार बार बोलना पड़ता है कि कोई योजना बंद नहीं की जाएगी। बड़ी योजनाएं ना सही पर सत्य तो यही है 70 से ज्यादा योजनाएं बंद हैं।

हो सकता है मुख्यमंत्री कार्यालय के थिंक टैंक में ऐसी कोई सोच हो कि पुरानी योजनाओं की रिब्रांडिंग करके कोई नई योजना मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा शुरू की जाए जिसके सहारे उनकी एक लोकप्रिय नेता की छवि को गढ़ने की कोशिश की जाए। वर्तमान परिस्थिति में जबकि सरकार के हाथ आर्थिक तौर पर तंग हैं मुख्यमंत्री का धार्मिक एजेंडा सरकार की प्राथमिकता में है। जिस तरह से मुख्यमंत्री ने कृष्ण पाथेय बनाने पर जोर दिया है भगवान् श्रीकृष्ण से जुड़ी जगहों का विकास करने की ब्लूप्रिंट पर काम चल रहा है उससे लगता है कि अपने धार्मिक एजेंडा के सहारे मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री चौहान से हटकर एक नई लाइन खींचने की कोशिश में हों। राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान के कार्यकाल में हो गयी थी पर उस प्रोजेक्ट पर कोई बड़ा काम नहीं हो पाया। उसका फायदा भी वर्तमान मुख्यमंत्री को मिल सकता है अगर सरकार इस पथ का विकास करती है। कृष्ण पाथेय मुख्यमंत्री की इमेज गढ़ने में और भी सहायक इसलिए है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण यदुवंश में पैदा हुए थे और यादव जाति के लोग अपने आपको यदुवंश का मानते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की शिक्षा उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि के आश्रम में हुयी थी, जहाँ के निवासी मुख्यमंत्री हैं अतः यह मुख्यमंत्री के अतिरिक्त रूचि का विषय है । श्री कृष्णा मथुरा से उज्जैन विद्याध्यन के लिए आये थे। अन्य कई स्थान श्रीकृष्ण से जुड़े हुए हैं जिनको लेकर पाथेय यानी सर्किट बनाने की योजना पर पहले कभी काम नहीं हुआ। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सारे स्कूलों में पहली बार बच्चों को बुलाकर उन्हें श्रीकृष्ण के शिक्षाओं का पाठ पढ़ाया गया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को सरकार द्वारा विशेष उत्साह से मनाया गया। यही नहीं मुख्यमंत्री ने जन्माष्टमी के अवसर पर यह भी कहा कि ‘भारत में रहना है तो श्रीकृष्ण राम कहना होगा’। यह स्पष्ट है कि सन्देश किसके लिए था। ऐसा प्रतीत होता है कि आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे सरकार तथा मुख्यमंत्री के लिए यह धार्मिक एजेंडा जनता और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के आँखों में एक नया सन्देश देने की कोशिश है।