Chili Market में लगा सियासी तड़का: मतदान के सात दिन पहले MLA Birla का कांग्रेस को बड़ा झटका

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MLA Birla

Chili Market में लगा सियासी तड़का: मतदान के सात दिन पहले MLA Birla का कांग्रेस को बड़ा झटका

इंदौर से प्रदीप जोशी

इंदौर: मिर्च के लिए देश ही नहीं बल्कि एशिया में पहचान रखने वाली सबसे बड़ी मिर्च मंडी बेडिया में रविवार को सियासी तड़का लग गया। अब इस मिर्च के तड़के से कांग्रेस का चुनावी जायका बिगड़ा या भाजपा की लज्जत बड़ी यह देखने वाली बात रहेंगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समक्ष बड़वाह कांग्रेस विधायक सचिन बिरला(MLA Birla)

के पाले में जा बैठे।

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खंडवा लोकसभा उपचुनाव के मतदान के ठीक सात दिन पहले विधायक बिरला(MLA Birla) का यह कदम कांग्रेस के लिए निश्चित रूप से एक बड़ा झटका है मगर भाजपा के हाथ भी कोई कुबेर का खजाना नहीं लगा है। गौरतलब है कि बड़वाह विधानसभा सीट का मिजाज हमेशा मिलाजुला रहा है। भाजपा ने गुर्जर वोटों के समीकरण को देखते हुए भले कांग्रेस विधायक को तोड़ लिया हो पर सच्चाई यह है कि समाज में खासा प्रभाव रखने वाले वरिष्ठ नेता आज भी कांग्रेस के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है।

पटवारी के खास है सचिन –
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के कट्टर समर्थक माने जाने वाले विधायक सचिन बिरला(MLA Birla 0ने बहुत ही गोपनियता से पाला बदला। जबकि शनिवार तक वे पटवारी के साथ क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे थे। खास बात यह है कि खंडवा उपचुनाव में सचिन भी टिकट के दांवेदार थे और अरूण यादव का खुल कर विरोध करने में भी वो सबसे आगे रहे थे।

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चलते केम्पेन में हो गई भाजपा से चर्चा –
लोकसभा चुनाव की तारीख तय होने तथा कांग्रेस प्रत्याशी तय होने तक सचिन खुद को टिकट के दांवेदार के रूप में पेश करते रहे थे। उनके नाम को पटवारी ने भीआगे बढ़ाया था। अरूण यादव के विरोधी माने जाने वाले सचिन इस बात से संतुष्ट थे कि पार्टी ने यादव को टिकट नहीं दिया। चलते चुनावी केम्पेन में सचिन की सीएम और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से कब चर्चा हो गई किसी को भनक नहीं लगी। रविवार को बेडिया में मुख्यमंत्री की सभा में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सबको चौका दिया।

गुर्जर वोटों के बनते बिगड़ते समीकरण –
बड़वाह विधानसभा सीट अनिश्चिता से भरी है। सचिन को तोड़ने के बाद भाजपा को लग रहा है कि गुर्जर वोटों में उसने सैंध लगा दी है तो यह भ्रम की स्थिति भी हो सकती है।

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कारण यह है कि क्षेत्र और समाज में तगड़ी पकड़ रखने वाले पूर्व सांसद ताराचंद पटेल, पूर्व विधायक जगदीश मोरानिया, नरेंद्र पटेल जैसे नेता अभी भी कांग्रेस की कमान संभाले हुए है। मतदान को अब सिर्फ सात दिन रह गए है और प्रचार का समय महज पांच दिन का बचा है। ऐसे में सचिन के भाजपा में आने से कितना फायदा होगा यह मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएंगा।

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भाजपा से छीनी थी सचिन ने सीट –
2003 से भाजपा का बड़वाह सीट पर कब्जा था जो 2013 तक लगातार बना रहा। तीन बार के विधायक हितेंद्र सिंह सोलंकी को 2018 में सचिन ने परास्त कर दिया।

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खास बात यह है कि 2013 में यहीं सचिन बिरला निर्दलीय रूप से मैदान में उतरे थे जिनके कारण कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी को शिकस्त खाना पड़ी थी। इस बगावत के बाद भी जीतू पटवारी की मदद से सचिन 2018 में पार्टी का टिकट पाने में सफल रहे। इससे पहले के चुनावों पर नजर डाले तो कभी कांग्रेस कभी भाजपा और 1977 में जनता पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार ने जीत हांसिल की थी।

ये रहे है बड़वाह के विधायक –
अमोलकचंद छाजेड़ – कांग्रेस – 1972
रमेश शर्मा – जेएनपी – 1977
कैलाश पंडित – भाजपा – 1980
राणा बलबहादूरसिंह – कांग्रेस – 1985
चंद्र कांत गुप्ता – भाजपा – 1990
ताराचंद पटेल –  कांग्रेस – 1993
जगदीश मोरानिया – कांग्रेस -1998
हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा – 2003
हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा – 2008
हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा – 2013
सचिन बिरला – कांग्रेस – 2018