शादी का झांसा देकर अवयस्क से दुष्कर्म करने वाले को 20 वर्ष की कड़ी सजा
रतलाम/जावरा: 17 वर्षीय अवयस्क बालिका को शादी करने का झांसा देकर घर से भगाकर ले जाने वाले आरोपी को
न्यायालय श्रीमती उषा तिवारी विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट जावरा जिला रतलाम द्वारा फैसला सुनाते हुए अभियुक्त राहुल पिता हीरालाल खारोल, उम्र 22 वर्ष निवासी प्रतापगढ (राजस्थान) को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5 (1) /6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास व 5 हजार रुपए अर्थ दण्ड एवं धारा 366 भादवि में 07 वर्ष सश्रम कारावास व 1हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी शिव मनावरे ने बताया कि 04.सितम्बर.2020 को 17 वर्षीय अव्यस्क बालिका की मां ने थाना रिंगनोद की चौकी माननखेड़ा पर पहुंचकर बताया कि मैं 03.सितम्बर.2020 को सुबह वह मजदूरी करने गई थी।
जहां से वह शाम करीब 06ः00 बजे मजदूरी करके घर वापस पहुँची तो मेरी अवयस्क बालिका घर पर नहीं दिखी तो मैंने आस-पास व गांव में अपनी बालिका की तलाश की, उसका कहीं पता नहीं चला।
उसे शंका है कि उसकी अवयस्क बालिका को आरोपी राहुल शादी का झांसा देकर बहला फुसलाकर ले गया है।फरियादीया द्वारा बताई गई घटना पर चौकी पर अपराध की प्रथम सूचना पर रिपोर्ट एवं गुमशुदगी रिपोर्ट कर थाना रिंगनोद पर असल अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया।
विवेचना के दौरान आरोपी राहुल की मोबाइल टॉवर लोकेशन सुरेन्द्रनगर गुजरात ट्रेस होने पर पुलिस द्वारा 16.अक्टोबर.2022 को बालिका को आरोपी राहुल के कब्जे से बरामद कर दोनों को लेकर चौकी पर लाया गया तथा बालिका से पूछताछ करने पर उसने बताया कि पूर्व में परिचित आरोपी राहुल उसे शादी का झांसा देकर बहला फुसलाकर गांव से सुरेन्द्रनगर गुजरात ले गया, जहां उसने उसे झोपड़ी बनाकर रखा व कई बार उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ दुष्कर्म किया।
बालिका द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर दुष्कर्म की धाराओं का इजाफा कर आरोपी राहुल को गिरफ्तार किया जाकर, उसका एवं बालिका का मेडिकल परीक्षण कराया गया एवं बालिका के अवयस्कता के सम्बंध में उसके स्कूल से दस्तावेज प्राप्त कर आवश्यक अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र 24.दिसम्बर.2020 को विशेष न्यायालय में आरोपी राहुल के विरुद्ध धारा 363, 366, 376 (2) एन.506 भारतीय दण्ड संहिता 1860 एवं धारा 5 (1) /6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में विशेष न्यायालय में अभियोजन द्वारा कुल 13 साक्षियों की साक्ष्य को अपने समर्थन में परीक्षित कराया गया एवं घटना को प्रमाणित करने हेतु मौखिक, दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक, मेडिकली साक्ष्य तथा लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपी को आरोपित धाराओं में उल्लेखित अधिकतम दंड से दंडित किये जाने के तर्क प्रस्तुत किये गये, न्यायालय द्वारा अभियोजन साक्ष्य को प्रमाणित मानतेे हुए, फैसला सुनाते हुए आरोपी राहुल को दोषसिद्ध किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक विजय पारस जावरा द्वारा की गई।