Organ Donation : विनीता ने जाते-जाते सात को नया जीवन दिया!

परिवार में चौथी बार अंगदान, पहली बार हाथों को भी दान किया!  

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Organ Donation : विनीता ने जाते-जाते सात को नया जीवन दिया!

Indore : बॉम्बे हॉस्पिटल में इलाज करा रही महिला को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद उनके ऑर्गन डोनेट किए गए। महिला की दोनों किडनियां, लंग्स, लीवर और दोनों हाथ मुंबई, चेन्नई और इंदौर के दो हॉस्पिटल को भेजे गए। इसके साथ ही दोनों आंखें और त्वचा भी दान की गई। महिला के इन अंगों से सात से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिलेगी। सोमवार को शहर में चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। ये कॉरिडोर डोनेट ऑर्गन पहुंचाने के लिए बनाए थे।

विनीता पति सुनील खजांची (52 साल) निवासी रतलाम कोठी की निवासी थी। उनके पति का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस हैं। विनीता को ब्रेन संबंधी बीमारी के चलते 13 जनवरी को बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। रविवार दोपहर डॉक्टरों की टीम ने उनका पहला परीक्षण कर ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया। रात 8 बजे फिर डॉक्टरों की पैनल ने दूसरा परीक्षण कर उन्हें अंतिम रूप से ब्रेन स्टेम डेड घोषित किया। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ आलोक मांडले और डिप्टी डायरेक्टर मेडिकल सर्विस डॉ दिलीप चौहान ने परिवार को विनीता के ब्रेन डेड होने की जानकारी दी।

महिला के पति सुनील खजांची और परिजनों ने उनके ऑर्गन्स डोनेट करने की मंशा जताई। ‘मुस्कान ग्रुप’ के सेवादार जीतू बगानी, संदीपन आर्य, लकी खत्री और राजेंद्र माखीजा ने परिवार और अस्पताल से समन्वय किया। फिर इंदौर सोसाइटी फॉर आर्गन डोनेशन के अध्यक्ष (कमिश्नर) डॉ पवन कुमार शर्मा और सचिव डॉ संजय दीक्षित के निर्देशन में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए तैयारियां कीं। खास बात यह कि महिला के परिवार में पहले भी तीन लोगों की निधन के बाद उनकी त्वचा, आंखें और देह दान हो चुकी है।

दोनों हाथ भी ट्रांसप्लांट

पहली बार किसी ब्रेन डेड के हाथों को भी ट्रांसप्लांट के लिए दान किया गया। प्राथमिकता के आधार पर लंग्स अपोलो हॉस्पिटल (चेन्नई), हाथ ग्लोबल हॉस्पिटल (मुंबई), लीवर चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (इंदौर), एक किडनी बॉम्बे हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट और दूसरी किडनी सीएचएल हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट को ट्रांसप्लांट की जाएगी। इसके लिए चार ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए स्थानीय और चेन्नई व मुंबई के हॉस्पिटल से संपर्क कर खाका तैयार किया गया। सुबह साढ़े 11 बजे पहला ग्रीन कॉरिडोर चेन्नई के लिए बनाकर लंग्स रवाना किए। फिर तीन अन्य कॉरिडोर मुंबई, चोइथराम हॉस्पिटल और सीएचएल हॉस्पिटल के लिए बनाकर तुरंत ऑर्गन पहुंचाए गए।

चौथी बार परिवार में अंगदान

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी सुनील खजांची के पिता के निधन के बाद उनकी आंखें, त्वचा और देह दान की थी। दो साल पहले उनकी बड़ी भाभी शिरोमणि खजांची के बॉम्बे हॉस्पिटल से ही अंगदान हुए थे। करीब 20 दिन पूर्व ही मौसा ससुर संतोषी लाल जैन के निधन के बाद आंखें, त्वचा और देह दान की गई थी।