मनभावन बजट नववर्ष का: आयकर छूट से मध्यम वर्ग हर्षित

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मनभावन बजट नववर्ष का : आयकर छूट से मध्यम वर्ग हर्षित

संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023 – 24 का नया वित्तीय बजट प्रस्तुत किया ।
इसके प्रभाव से कई वस्तुयें महंगी होंगी वहीं कुछ सस्ती भी । अगर इस बजट की विशेषता को रेखांकित करें तो मध्यम वर्ग और नोकरीपेशा अधिकारियों कर्मचारियों को राहत मिल सकती है । पिछले बजट की तुलना में इस बजट में 7 लाख रुपये तक आय को करमुक्त किया गया है । वहीं आयकर स्लैब भी कम की गई है । अधिकतम स्लैब में 30 प्रतिशत कर भुगतान करना होगा ।

इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये 10 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है निश्चित ही सड़क रेलवे हवाई मार्ग और जल परिवहन में विस्तार होसकेगा ।

रेलवे को लगभग 2 लाख 40 करोड़ दिये गए हैं ।
मोबाइल एलईडी टी वी सायकिल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन आदि सस्ते होने की उम्मीद है वहीं शराब सिगरेट प्लेटिनम विदेशी चिमनी आदि महंगे होंगे ।

वास्तविकता यह है कि देश में अमीर और गरीब की स्थिति में अंतर बढ़ता जारहा है । गिनती के धनकुबेरों के पास देश की अर्थव्यवस्था नियंत्रण में है वहीं बहुसंख्य वर्ग जीवनपयापन से जूझ रहा है । कोरोना संक्रमण के कारण लागू फ्री खाद्यान्न वितरण व्यवस्था को पुनः बढ़ाया गया है ।

मनभावन बजट नववर्ष का : आयकर छूट से मध्यम वर्ग हर्षित

कोई 80 करोड़ लोगों को इसका लाभ दिया जारहा है ।
आंकड़े बताते हैं कि एग्रीकल्चर , एजुकेशन , हेल्थ जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर्स में पिछले साल के आवंटन का उपयोग भी नहीं किया जासका है । इस बार कोई विशिष्ट आवंटन और योजना नहीं जान पड़ती ।
वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिये बचत में ब्याज का आकर्षण रखा गया है । जनधन योजना की सफलता से प्रेरित लगता है । केवायईसी को सरल किया है ।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में छोटे कामगारों , कारीगरों और विशेष जानकारों को जोड़ा जाने का बताया है । डिजिटल पेमेंट प्रक्रिया को अधिक विस्तारित करने का कहा है । एग्रीकल्चर क्षेत्र में विशेष रूप से ।
इस बजट के माध्यम से ग्रीन इकोनॉमी ग्रीन एनर्जी ग्रीन फूड पर विशेष जोर दिया है ।
सहकारिता क्षेत्रों में फ़ोकस करते हुए अनाज भंडारण के साथ खेती दुग्घ उत्पादन मत्स्य पालन पशुपालन पर ध्यान केंद्रित किया है ।


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नव उद्यमियों के लिए 2 लाख करोड़ ऋण राशि अतिरिक्त बजट में रखी गई है ।

अमृतकाल का यह पहला वित्तीय बजट है । और इस वित्तीय वर्ष में मध्यप्रदेश राजस्थान कर्नाटक हरियाणा समेत नो राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी होना है । जम्मू कश्मीर में भी चुनाव की प्रतीक्षा है । उस दृष्टिकोण से इस बजट को लुभावन और चुनावी बजट भी कहा जासकता है । तात्कालिक रूप से इस बजट से महंगाई कम होगी या बेरोजगारी दूर होगी कहना मुश्किल है । ऐसी कोई नई योजना वित्तमंत्री ने सामने नहीं रखी है ।


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उम्मीद की जासकती है कि जिन मदों में बजट राशि आवंटित की गई है उसके मुताबिक बराबर उपयोग हो और उसका लाभ संबंधित वर्ग को मिले तभी लक्ष्य पूरे हो सकेंगे ।

देखने मे आया है कि केंद्र राज्य संबंधों में दूरियां बढ़ी हैं वहीं केंद्र के कुछ विभागों में श्रेष्ठ काम हुआ है वहीं कुछ में औसत कामकाज नहीं होने के मामले सामने आए हैं ।
चुनावों का साल है तो हरहाल में चुनोतियाँ बड़ी हैं । प्रधानमंत्री के कथन पर विश्वास करें तो केंद्र सरकार और राज्यों की सरकार को विशेष फ़ोकस करना होगा ।