Vallabh Bhawan to Vista Corridor: नरोत्तम ने शिवराज को आखिर सिंघम जैसा क्यों बताया?

921

Vallabh Bhawan to Vista Corridor: नरोत्तम ने शिवराज को आखिर सिंघम जैसा क्यों बताया?

मुख्यमंत्री इन दिनों जिस बेखौफ अंदाज में काम कर रहे हैं, उससे अहसास हो गया कि उन्हें दिल्ली से आगे बढ़ने की हरी झंडी मिल गई। इसका सबसे बड़ा इशारा यह भी है कि पार्टी के जो भी नेता उनका विकल्प बनने का सपना देख रहे थे, वे अब किनारे हो गए! कोई और शिवराज सिंह को ‘सिंघम’ अवतार कहे तो शायद उतना असर नहीं पड़ता, पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने जिस अंदाज में शिवराज सिंह को सिंघम कहा, वो सबसे ज्यादा मायने रखता है।

Vallabh Bhawan to Vista Corridor: नरोत्तम ने शिवराज को आखिर सिंघम जैसा क्यों बताया?

इसलिए कि ऐसे कई मौके आए जब ऐसा लगता था कि नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री की दौड़ में है। पर, अब खुले मंच से गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री की सराहना की, तो लगता है कि वास्तव में शिवराज अब बीजेपी के भी ‘सिंघम’ हो गए हैं।

याद कीजिए कुछ महीने पहले नरोत्तम मिश्रा ने मंच पर मुख्यमंत्री के आने पर उनके सम्मान में खड़े हुए मंत्री अरविंद भदौरिया का कुर्ता खींचकर उन्हें बैठने को कहा था।

गृहमंत्री ने शिवराज सिंह को इसलिए सिंघम कहा, क्योंकि आज की तारीख में मध्यप्रदेश में कोई भी संगठित गिरोह नहीं बचा। गृह मंत्री ने कहा कि प्रदेश में हजरत का, हनी का, रामबाबू का, जगजीवन का, टोपिया का, ददुआ के गिरोह सक्रिय थे। मालवा में सिमी का तो बालाघाट में नक्सलाइट का नेटवर्क था। फिर लगभग ‘सिंघम’ जैसा अवतार मुख्यमंत्री का सामने आया और आज प्रदेश में एक भी संगठित आपराधिक गिरोह नहीं है।

ये प्रसंग इसलिए आया कि आईपीएस सर्विस मीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की पुलिस की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने छह महीने में सारे डकैत खत्म कर दिए। शिवराज सिंह ने कहा कि दो पुलिस अधिकारी जो अब रिटायर्ड हो गए हैं। मैंने उन्हें बुलाकर बातचीत की और पूछा कि हम डकैत कैसे खत्म करें? उन्होंने कहा कि हम जिनके नाम दें, उन्हें वही पोस्ट करें और उनके काम में कोई इंटरफेयर न हो। दोनों जोन में एक जगह सर्वजीत सिंह साहब को और दूसरे में विजय यादव को भेजा था। इसके बाद छह महीने में सारे डकैत गिरोह ख़त्म हो गए और आजतक नहीं पनप सके।

 मंत्री और बिजनेस पार्टनर में झगडे का मूल कारण!

कहावत है कि किसी रिश्ते में यदि पैसा आता है तो वहां खटास आने में भी देर नहीं लगती! ऐसा ही कुछ बदनावर (धार) के विधायक और औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और बिजनेस पार्टनर नितिन नांदेचा के साथ भी हुआ। अब स्थिति ये आ गई कि नांदेचा ने धार एसपी को मंत्री के खिलाफ लंबी-चौड़ी शिकायत करके अपनी वे गाड़ियां और उन्हें दिए पैसे मांगे हैं। जबकि, राजवर्धन ने सार्वजिक रूप से किसी भी लेनदेन इंकार किया और कहा कि गाड़ियां तो किराये है, जिनका नांदेचा को किराया मिल रहा है।

Vallabh Bhawan to Vista Corridor: नरोत्तम ने शिवराज को आखिर सिंघम जैसा क्यों बताया?

दो बिजनेस पार्टनर अब दुश्मन हो गए। जबकि, एक समय ऐसा था जब नितिन नांदेचा के घर से राजवर्धन के लिए टिफिन आता था। पिछले चुनाव का फाइनेंशियल मैनेजमेंट भी नांदेचा के पास था। दोनों के बीच तनातनी का सबसे बड़ा कारण एक खदान का आवंटन बताया जा रहा है। बताया गया कि नांदेचा ने खदान के लिए मंत्री को 12 लाख का चेक भी दिया था। पर, बाद में कुछ ऐसा हुआ कि खदान राजवर्धन के निकटतम रिश्तेदार के नाम आवंटित हो गई और नांदेचा को चेक से दिए पैसे भी नहीं मिले। बस यहीं से दोस्ती की कहानी बदल गई।

संबंध खराब हुए तो पारिवारिक रिश्ते भी दरक गए। संबंध में खटास तो आ ही गई, पर कड़वाहट तब बढ़ी, जब उनकी होटल में रुकी एक युवती ने राजवर्धन के नाम पर हंगामा किया और उन पर गंभीर आरोप लगाए। हालत तब और बिगड़े, जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ और बात मंत्री की इज्जत पर आ गई। राजवर्धन को लगा कि यदि नांदेचा चाहते, तो वीडियो वायरल नहीं होता और मामला रफा-दफा हो जाता। लेकिन, जो हुआ वो मंत्री को बहुत नागवार गुजरा और उसके बाद हुई कड़वाहट ने सब कुछ सड़क पर ला दिया।


Read More…  KISSA-A-IAS:गालीबाज IAS जिनका गुस्सा हमेशा सर आंखों पर! 


 कलेक्टर और उनके स्टेनो का संदेश !  

ऋषि गर्ग को 3 फ़रवरी को हरदा में कलेक्टर पदस्थ हुए एक साल पूरा हो गया। लोगों ने उनके एक साल के कामकाज की जिस तरह सराहना की, उससे वे अभिभूत हो गए। उन्होंने ट्वीट किया कि यह मेरे अब तक के करियर में काम का सबसे संतोषजनक पड़ाव रहा है। मैं भगवान, मेरे परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों, आलोचकों और जनता को उनके समर्थन और प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे स्टेनो ने एक प्यारा संदेश दिया था। मेरा दिन बना दिया। अपने कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर कलेक्टर का अपने स्टेनो को इतनी अहमियत देना उनकी सदाशयता और उनकी टीम भावना का उदाहरण है।

ऋषि गर्ग

ऋषि गर्ग को जिले में कुछ अलग तरह का अधिकारी माना जाने लगा है जो जनता की भलाई के किसी काम में कभी पीछे नहीं रहते। समय मिलते ही वे ग्रामीण इलाकों के दौरे पर निकल जाते हैं। कलेक्टर ने रात-रात में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक गांव के दौरे में राशन दुकान संचालक की शिकायत मिलने पर दो दुकान संचालकों पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही पंचायत सचिव, रोजगार सहायक व पंचायत समन्वयक के 5-5 का वेतन काटने के निर्देश दिए।

 CM ने फिटनेस के साथ ADG के नशामुक्ति अभियान को भी सराहा!

शहडोल के एडीजी डीसी सागर की फिटनेस और उनके नशामुक्ति अभियान की जमकर चर्चा है। एडीजी अपनी गाड़ी में नशा मुक्ति अभियान की तख्तियां साथ लेकर चलते हैं। वे जहां भी जाते हैं, लोगों को नशामुक्ति और नर्मदा को स्वच्छ रखने की शपथ दिलाने से नहीं भूलते। कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस के दौरान भी शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा और एडीजी डीसी सागर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को नशा मुक्ति और नर्मदा स्वच्छ रखने के लिए चलाए जा रहे अभियान की जानकारी दी। जब मुख्यमंत्री को बताया गया कि वे अपनी गाड़ी में नशामुक्ति की तख्तियां लेकर चलते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी गाड़ी में भी नशा मुक्ति अभियान के संदेश लगवा दें।

WhatsApp Image 2023 02 01 at 8.21.35 PM

एडीजी डीसी सागर अपनी फिटनेस को लेकर इतने ज्यादा सजग हैं कि मुख्यमंत्री ने भी कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में उनकी तारीफ की और कहा कि यदि फिट रहना सीखना है तो डीसी सागर से सीखो। एडीजी युवाओं को मोटिवेट भी करते रहते हैं। वे जब भी किसी कार्यक्रम में जाते हैं अपने जिस जोशीले अंदाज में भाषण की शुरुआत करते हैं, उससे युवा बहुत आकर्षित होते हैं। उनका भाषण युवाओं पर फोकस होता है। डीसी सागर की चर्चा शहडोल की उनकी पहली प्रेस कांफ्रेंस सही होने लगी थी। उन्होंने पत्रकारों को नाश्ते में समोसा देने से मना कर दिया था। निर्देश दिए थे कि नाश्ते में फल रखे जाएं।


Read More… Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: मंत्रिमंडल फेरबदल के समीकरण 


‘आप’ ने कमर कसी, हर सीट पर चुनौती देगी!

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब आम आदमी पार्टी (आप) भी मैदान संभालेगी। सभी 230 सीटों पर ‘आप’ के उम्मीदवार कांग्रेस और भाजपा के सामने त्रिकोणीय स्थिति बनाएंगे। सिर्फ चुनाव ही नहीं लड़ेंगे, मुख्यमंत्री का चेहरा भी सामने लाया जाएगा। आशय यह कि ‘आप’ ने चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है। पार्टी ने दो बार दिल्ली में चुनाव जीता, पंजाब में भी सरकार बनाई और गुजरात में जिस तरह चुनाव लड़ा, वही अब मध्यप्रदेश में होगा।

AAP 1 1

‘आप’ ने मध्यप्रदेश के नगर निकाय चुनाव में एक महापौर का चुनाव जीतकर अपने इरादे पहले ही स्पष्ट कर दिए। पार्टी दिल्ली और पंजाब में उनकी सरकार के कामकाज को आधार बनाकर वोट मांगेगी। भोपाल में ‘आप’ ने चुनावी बैठक करके विधानसभा चुनाव की रणनीति तय की है। यह भी तय हुआ कि एक-डेढ़ महीने में मप्र की इकाई भी गठित कर दी जाएगी, जो पिछले दिनों भंग कर दी गई है।

पार्टी इस बात को प्रचारित करेगी कि कांग्रेस को वोट देना यानी भाजपा को मजबूत करना है। क्योंकि, भाजपा का एजेंडा है कि कांग्रेस के जो उम्मीदवार जीते, उन्हें खरीद लो। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को वोट देने से भाजपा ही फायदे में रहेगी। पार्टी का यह भी नजरिया है कि लोगों ने दिल्ली और पंजाब का विकास मॉडल देखा है। दिल्ली मॉडल देखने के बाद पंजाब में जनता ने आप को मौका दिया।

सरकार और न्यायपालिका में जारी है बहस

पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छी बहस चल रही है। कालेजियम व्यवस्था को लेकर विधि मंत्री बयान भी देते रहते हैं। नये उपराष्ट्रपति धनखड ने भी पुराने फेसलो को लेकर बहस को नयी दिशा दे दी, लेकिन इन सब के बीच अच्छी बात यह है कि शनिवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। हालांकि यह सच्चाई है कि वर्तमान सरकार में सर्वाधिक न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है।

 अमेरिका से जारी संगठनों की रिपोर्ट क्या प्रायोजित है?

अडानी समूह को लेकर सरकार को संसद से लेकर सड़क तक विरोध झेलना पड़ रहा है। सरकार इसे दुष्प्रचार बता रही है। वित्त मंत्रालय से लेकर रिजर्व बैंक तक न केवल सफाई दे रहे हैं बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बहुत मजबूत होने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन सत्ता के गलियारों में कुछ और ही चर्चा है।अडानी के बारे में रिपोर्ट अमेरिका के एक संगठन ने जारी की जिससे विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ एक मुद्दा मिला। एक हफ्ते के अंदर ही अमरीका के ही एक अन्य संगठन ने रिपोर्ट जारी कर मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बता दिया। इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। क्या दोनों रिपोर्ट प्रायोजित हैं?

 नौकरशाही ने अपनाया “ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर” का सिद्धांत

केंद्र सरकार की नौकरशाही अब अपने काम से मतलब रखने लगी है। अधिकांश अफसरों ने “ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर” का सिद्धांत अपना लिया है। मिलना जुलना तो पहले से ही कम हो गया है। सत्ता के गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।