सरकारी रेलवे पुलिस (GRP), रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) एक महीने तक जूते की खोज में लगे रहे और आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई. तीनों टीमों ने मिलकर जूता खोज निकाला.
आप सोच रहे होंगे कि ये जूता कोई नायाब प्रदर्शनी में रखा जाने वाला सामान होगा तो आप गलत हैं. दरअसल, रेलवे के एक अधिकारी की बेटी का जूता गायब हो गया था.
इस जूते की खोज में जीआरपी, आरपीएफ और आईआरसीटीसी की टीमें एक महीने तक लगी रहीं. उन्होंने बिहार से लेकर ओडिशा तक तलाशी अभियान चलाया, तमाम दांव-पेंच लगाए और कड़ी मेहनत के बाद ओडिशा के एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी की बेटी के जूते को खोज निकाला.
जूते को खोजने वाली टीम ने बताया कि अधिकारी की बेटी का जूता चोरी नहीं हुआ था बल्कि एक सह-यात्री द्वारा गलती से उसे अपने साथ ले गई थी. ये सह-यात्री दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाली 34 वर्षीय महिला डॉक्टर थी.
महिला यात्री ने क्यों पहने दूसरे जूते
मामले से जुड़े जांच अधिकारी मनोज त्यागी ने टीओआई को बताया, ‘रेलवे पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान महिला डॉक्टर ने कहा कि जब ट्रेन 4 जनवरी को सुबह 3 बजे के करीब बरेली स्टेशन पहुंची, तो वह अचानक जाग गई और आनन-फानन में गलत जूते उठाकर चली गई. दरअसल, वहां पर एक ही आकार के दो जूते थे इसलिए ये गलती हुई.’
अधिकारी ने बताया कि महिला ने अधिकारी की बेटी के जूतों को वापस लौटा दिया है और अब इस जूते को इसके मालिक तक पहुंचा दिया जाएगा. जूतों को चोरी किए जाने का कोई सबूत नहीं है, इसलिए उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है.
लखनऊ मेल से गायब हुए थे जूते
मंडल रेल प्रबंधक (ईस्ट कोस्ट रेलवे ज़ोन, DRM), विनीत सिंह ने संबलपुर में अपनी 20 वर्षीय बेटी की ओर से जूतों की चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने शिकायत में बताया था कि उड़ीसा में 5 जनवरी को लखनऊ मेल के फर्स्ट क्लास एसी कोच से 10 हजार रुपये के जूते चोरी हो गए. साथ ही बताया कि उन्हें बरेली स्टेशन पर उतरी महिला पर संदेह है कि उसने चोरी की है क्योंकि उसने अपने पुराने गुलाबी बिना लेस वाले जूते केबिन में छोड़ दिए थे और अपने नए जूते ले गई थी.
शिकायत के बाद जूतों की खोज के लिए तीन एजेंसियों को लगाया और व्यापक जांच के बाद, उस महिला यात्री का पता लगा लिया गया जो उन जूतों को लेकर गई थी.
गलती से पहनकर चली गई थी यात्री
अधिकारी त्यागी ने कहा, ‘उसी केबिन के सह-यात्री के खिलाफ आईपीसी की धारा 380 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आरक्षण चार्ट को स्कैन करने के बाद, साथ में यात्रा करने वाली महिला डॉक्टर का पता लगा. उसे बरेली से बुलाया गया. इसके बाद उस महिला ने बताया कि वो ट्रेन में अपने जूते छोड़कर गलती से दूसरे जूते पहन गई थी. ऐसे में जांच में पाया गया कि ये चोरी का मामला नहीं था.