Indore : हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तमिलनाडु के रहने वाले एक शराब से भरे ट्रक ड्राइवर और क्लीनर के खिलाफ पुलिस ने फर्जी केस बनाने पर 40 लाख का जुर्माना (कास्ट) लगाया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सरकार दो महीने के भीतर दोनों पीड़ितों को 20-20 लाख रुपए दे। इसके बाद सरकार दोषी अफसरों से इस राशि की वसूली कर सकती है।
चंडीगढ़ से केरल जा रहे ड्राइवर साकुल हामिद और क्लीनर रमेश पुलमर के ट्रक को मध्यप्रदेश के नांगलवाड़ी (बड़वानी) में सब इंस्पेक्टर मजहर खान ने रोका था। दोनों ने सभी जरूरी दस्तावेज दिखाए, इसके बाद भी एसआई ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया। जांच के दौरान पुलिस ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज की धारा 420 और 468 भी बढ़ा दी। 2 नवंबर 2019 को दोनों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। उन्हें एक साल 8 महीने बाद 12 जुलाई 2021 को जमानत मिली। अधिवक्ता ऋषि तिवारी ने एफआईआर निरस्त करने को लेकर याचिका दायर की थी।
कागजात सही, कोई छेड़छाड़ नहीं
चंडीगढ़ के आबकारी विभाग ने दस्तावेज तैयार करने के बाद 1600 बाॅक्स शराब रवाना की थी। दस्तावेजों में स्पष्ट लिखा था कि ट्रक केरल पहुंचने के बाद ही खोला जाएगा, रास्ते में इसे नहीं खोला जाए। चंडीगढ़ प्रशासन ने जवाब में भी माना कि उन्होंने जो कागजात दिए थे और ड्राइवर ने पुलिस को जो कागज दिखाए, वे बिलकुल सही हैं। पुलिस ने फर्जी केस दर्ज किया है। हाईकोर्ट ने दस्तावेज के परीक्षण के बाद पाया कि पुलिस ने अपनी सनक के चलते यह फर्जी केस बनाया है। बेमतलब दोनों को 1 साल और 8 महीने जेल में रहना पड़ा। इस वजह से सरकार पर भारी कॉस्ट लगाई जाती है जो ड्राइवर और क्लीनर को मिलेगी। केस बनाने वाले पुलिस अफसर ने भी ट्रायल में माना कि उसने शंका के आधार पर रोका और केस बनाया था।
उनको आदेश समझ नहीं आया
अधिवक्ता तिवारी ने बताया कि ड्राइवर, क्लीनर दोनों को अंग्रेजी और हिंदी नहीं आती है। उन्हें एक नोट बनाकर वाट्सएप किया। दोनों ने इसे तमिलनाडु में अंग्रेजी जानने वाले किसी व्यक्ति को दिखाया। उसने बताया कि वे केस जीते हैं और कोर्ट ने उन्हें 20-20 लाख रुपए देने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने गलतियां बताई
– सही दस्तावेज के साथ ट्रक लेकर जा रहे ड्राइवर और क्लीनर को पुलिस ने जबरन रोका।
– पुलिस ने अपनी सनक के चलते धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार कर केस बना दिया।
– हाईकोर्ट के मुताबिक पुलिस की नीयत पूरी तरह गलत थी।
– ट्रक को खुलवाना भी पूरी तरह अनुचित था।
– याचिकाकर्ता बेवजह जेल में रहे, जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।