Trouble With IDA : ‘राजीव आवास विहार’ का नक्शा पास नहीं, बैंक लोन नहीं दे रहा!

IDA की इतनी बड़ी खामी का खामियाजा अब फ्लैट मालिक भुगत रहे!

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Indore : इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) की लापरवाही का खामियाजा राजीव आवास विहार के हजारों लोग भुगतने को मजबूर है। रहवासियों के फ्लैटों की लीज का न तो नामांतरण हो पा रहा है और न उन्हें अतिरिक्त निर्माण के लिए बैंक लोन दे रही है। यह स्थिति फ्लैटों का नक्शा पास नहीं होने से बनी है। फ्लैटों का निर्माण ढाई दशक पहले स्कीम नंबर 136 के समीप किया गया था।

गरीबों को सस्ते आवास उपलब्ध कराने के नाम पर ‘इंदौर विकास प्राधिकरण’ अलग-अलग योजनाओं पर काम करता है। फ्लैटों की कीमत इतनी रखी जाती है कि गरीब तबके उसे आसानी से खरीद सकें। इसी के चलते राजीव गांधी आवास विहार में वन और टू बीएचके के 1016 फ्लैट बनाए गए थे। नीलामी के बाद सभी फ्लैट बिक गए थे। रहवासियों को सारी मूलभूत सुविधाएं भी मिल रही है। लेकिन, प्राधिकरण ने कई सालों से लीज नवीनीकरण, हस्तांतरण पर रोक लगा रखी थी। बार-बार लीज बढ़ाने को लेकर रहवासी सम्पदा विभाग के चक्कर काट रहे थे।

करीब दो माह पहले प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने लीज नवीनीकरण और हस्तांतरण के लिए भू सम्पदा अधिकारी को नियुक्त किया था। अधिकारी ने आवश्यक दस्तावेज लेकर लीज संबंधित प्रकरणों का निराकरण किया। इसी दौरान राजीव आवास विहार की लीज का प्रकरण अटका तो जानकारी सामने आई कि फ्लैट निर्माण के दौरान निगम से नक्शा स्वीकृत नहीं कराया गया था। जबकि, शहर में आवासीय, व्यावसायिक निर्माण के लिए निगम के कॉलोनी सेल से नक्शा पास कराना अनिवार्य होता है। फिर चाहे इंदौर विकास प्राधिकरण निर्माण करे या हाउसिंग बोर्ड, नियम सबके लिए एक समान है।

आमतौर पर जहां भी निर्माण होता है, उस झोन के बीओ (भवन अधिकारी) बीआई (भवन निरीक्षक) लगातार निगरानी रखते हैं। कई बार स्पाट पर जाकर भी मौका मुआयना करते हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण सरकार के अधीन है, उसके निर्माण को वैध माना जाता है, इसलिए किसी भी प्रकार के निर्माण को निगम नहीं देखता है।