Fake Account In The Name of Indore CP : इंदौर पुलिस कमिश्नर के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर पैसे मांगे!
Indore : अब सोशल मीडिया पर ठगी करने वाले बदमाशों ने पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र को भी नहीं छोड़ा। उनके नाम से फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर लोगों से आर्थिक मदद मांगना शुरू कर दी। मैसेज आते ही लोगों ने तुरंत कमिश्नर से बात की तो सच्चाई सामने आ गई। कमिश्नर ने अकाउंट ब्लॉक कराकर क्राइम ब्रांच को जांच करने के लिए कहा है।
इंस्टाग्राम से हरिनारायण के नाम से अकाउंट बनाकर उसमें कमिश्नर का फोटो लगाकर लोगों को मैसेज किए गए। कुछ लोगों से बीमारी व हॉस्पिटल की जरूरत बताते हुए पैसा मांगा गया। पूछा गया कि अगर ई-वॉलेट चलाते हो, तो तुरंत राशि दे दो। एक व्यक्ति को मैसेज किया जिसमें लिखा था कि मेरे अकाउंट की लिमिट हो गई है, मुझे 6500 रुपए चाहिए, अर्जेंट है, सुबह 7 बजे लौटा दूंगा।
जब लोगों के पास इस तरह के मैसेज पहुंचे तो वे सक्रिय हुए और पुलिस कमिश्नर को ही कॉल कर दिया। कमिश्नर को फर्जी अकाउंट का पता चला तो क्राइम ब्रांच के डीसीपी निमिष अग्रवाल की टीम को जांच के लिए कहा। तुरंत अकाउंट को भी ब्लॉक करा दिया गया। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, लोगों से अकाउंट का पता चलो तो उसे ब्लॉक कराया। मेवात गिरोह द्वारा हरकत करने की बात सामने आ रही है।
सोशल मीडिया पर साइबर क्रिमिनल ने इंदौर पुलिस कमिश्नर के नाम पर एक व्यक्ति से चैटिंग शुरू की, जिसमें उसने सामान्य चैटिंग करते हुए मूल मुद्दे पर आना शुरू किया और कहा कि उसकी फोन-पे पर अकाउंट की लिमिट समाप्त हो चुकी है और उन्हें 6500 रुपए की अर्जेंट जरूरत है। सामने वाले ने यह राशि सुबह 7 बजे वापस लौटाने की भी बात कही। साथ ही उसने यूपीआई नंबर 8416875679 भी दिया, जो पुरुषोत्तम के नाम का बताया और फिर कहा वैरी अर्जेंट नाउ।
अफसर, नेताओं के नाम का दुरुपयोग
सोशल मीडिया पर अफसर, नेताओं के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर उसका दुरुपयोग करते हुए लोगों को ठगने का प्रयास किया गया है। इसके पहले एसपी महेशचंद्र जैन, डीएवीवी की कुलपति डॉ रेणुका जैन, विधायक महेंद्र हार्डिया समेत कई लोगों के नाम से ऐसी हरकत हो चुकी है।
सायबर अपराधियों का गिरोह देश के कई राज्यों में फैला हुआ है, जो तरह-तरह के तरीकों से लोगों को आर्थिक चपत लगाता रहा है। इसमें हरियाणा का मेवात, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्र काफी बदनाम हो चुके हैं। ऐसे सायबर क्रिमिनल्स पकड़े भी जाते रहे हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद फिर वे यह धंधा शुरू कर देते हैं।