क्यों रखते हैं फिल्मों के अजीबोगरीब नाम?

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क्यों रखते हैं फिल्मों के अजीबोगरीब नाम?

सन्दर्भ : होली और ‘तू झूठी मैं मक्कार’

होली-धुलेंडी के मौके पर एक अजीब नाम वाली फिल्म आ रही है। हिंदी की फिल्मों में ऐसे अजीबोगरीब नाम का चलन है जो कभी तो हंसाता है, कभी पकाता है और कभी सोचने पर विवश कर देता है कि क्या नाम का सचमुच इतना अकाल है?

दोहरे मतलब वाले घटिया नाम रखने के मामले में दादा कोंडके सबसे आगे थे, लेकिन पहले भी अजीब नाम की फिल्में बनती रही हैं।

फिल्म ‘धोती, लोटा और चौपाटी’ (1975) हीरो थे नाज़िर हुसैनऔर साथ में थे संजीव कुमार, धर्मेंद्र, मेहमूद, हेलन, जगदीप, फरीदा जलाल, ओम प्रकाश, टुनटुन और बिंदु। ‘मुर्दे की जान खतरे में’। (1985) में थे भोजपुरी सुपरस्टार कुनाल सिंह, रोमा मानिक और पेंटल। ‘सोने का दिल, लोहे के हाथ’ (1978) में राजेंद्र कुमार. विद्या सिन्हा, माला सिन्हा, दारा सिंह और अरुणा ईरानी थे। ‘एक से मेरा क्या होगा’ (2006) में समीर कोचर, पायल रोहतगी, संगीता तिवारी, तन्वी वर्मा और मल्लिका नायर थे। डायरेक्टर थे टीएलवी प्रसाद।

ये भी अजीब फिल्मों : ‘अरविंद देसाई की अजीब दास्तान’ (1978), ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ (1981), ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ (2003), ‘कुलदीप पटवाल: मैंने ऐसा नहीं किया!’ (2018), लव शव ते चिकन खुराना, स्टेनली का डब्बा, सलीम लंगड़े पे मत रो, जॉर्जी और बोनी की तस्वीरों पर हुलाबालू (1977), कुकू माथुर की झंड हो गई, बलविंदर सिंह फेमस हो गया, मिस टनकपुर हाजिर हो, ‘प्यार तूने क्या किया?’ ‘सुलेमानी कीड़ा'(2014), ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ (2018), ‘बसंती की शादी हनीमून गब्बर का’ (2001),’लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ (2017),’द प्लेबॉय मिस्टर साहनी’ (2018), ‘दो लडके दोनो कड़के, बढ़ती का नाम दाढ़ी’, ‘श्री 420’, ‘हावड़ा ब्रिज पे लटकी लाश’, ‘बृजमोहन अमर रहे!’ (2018), ‘गंगा की खोज में काशी’ (2018), ‘आस्था: वसंत की जेल में’ (1997), ‘लव सेक्स और धोखा’ (2010), ‘पंचलैट’ (2017), ‘अनारकली ऑफ आरा’ (2017), ‘मोहन जोशी हाजिर हो!’

कुछ और अजीब फ़िल्मी नाम : ‘लष्टम पष्टम’ (2018), ‘तू बाल ब्रह्मचारी, मैं हूं कन्या कुंवारी’ (2003), ‘शिन शिनाकी बूबला बू’ (1952), ‘थोड़ा सा रूमानी हो जाए’ (1990), ‘घर में राम गली में श्याम’ (1988), ‘अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान’ (1997), ‘चार्ली के चक्कर में’ (2015), ‘प्रतिज्ञाबाद’ (1991), ‘जाने भी दो यारो’, ‘जजंतराम ममंतरम’, ‘डॉन मुथु स्वामी’, ‘मुझे मेरी बीवी से बचाओ’, ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’, ‘घर में हो साली तो पूरे साल दीवाली’।

बुरा न मानो होली है : अगर आपको ‘तू झूठी, मैं मक्कार’ बनाना हो तो किस (अभी)नेता या नेत्री को लेना चाहेंगे? अगर ‘सुलेमानी कीड़ा’ बनानी हो तो? ‘श्री 420’ आपको बनाना हो तो कौन सा पात्र चुनेंगे? और ‘पंचलैट’ बनाना हो तो? और अगर ‘कुकु माथुर की झंड हो गई’ बनाना पड़े तो? आइये. ‘एक से मेरा क्या होगा?’ की कास्टिंग कीजिए, ‘अलबर्ट पिंटो’ के रूप में आप किसे गुस्से में देखना चाहेंगे? और ‘मुझे मेरी बीवी से बचाओ’ में आप नवाज़ुद्दीन के अलावा किसे ढूंढेंगे?