देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक नहीं रहे

मीडियावाला परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

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डॉ वेदप्रताप वैदिक

देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक नहीं रहे

नई दिल्ली: भारतीय भाषाओं के पक्षधर, हिंदी के सुप्रसिद्ध पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक का आज सुबह दिल्ली में निधन हो गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह दिल्ली स्थित निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली।

डॉक्टर वैदिक इंदौर के रहने वाले थे। विदेशी मामलों के जानकार थे।वैदिक जी,प्रभाष जी, रज्जू बाबू और शरद जोशी पीढ़ी के आखरी स्तंभ थे। वे मीडियावाला न्यूज़ पोर्टल के भी स्थाई स्तंभकार थे।वैदिक जी की पार्थिव देह को इंदौर लाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उनका अंतिम संस्कार इंदौर में किया जाएगा

मीडियावाला परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

संक्षिप्त जीवनी

वे सदैव प्रथम श्रेणी के छात्र रहे। दर्शन और राजनीति उनके मुख्य विषय थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी करने के पश्चात् कुछ समय दिल्ली में राजनीति शास्त्र का अध्यापन भी किया।

अपने अफ़गानिस्तान सम्बन्धी शोधकार्य के दौरान श्री वैदिक को न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालयलन्दन के प्राच्य विद्या संस्थान, मास्को की विज्ञान अकादमी और काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन का विशेष अवसर मिला। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों में उनका स्थान महत्वपूर्ण है। उन्होंने लगभग पचास देशों की यात्रा की है। वे रूसीफारसीअंग्रेजीसंस्कृत व हिन्दी सहित अनेक भारतीय भाषाओं के विद्वान हैं। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अखिल भारतीय स्तर पर अनेकों बार पुरस्कृत किये जा चुके वैदिक जी अपने मौलिक चिन्तन और प्रभावशाली वक्तृत्व के लिये जाने जाते हैं।

वेद प्रताप वैदिक, Author at Naya India

डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक (जन्म: 30 दिसम्बर 1944, इंदौरमध्य प्रदेश) भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं। हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वतीमहात्मा गांधी और डॉ॰ राममनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है।

वे सदैव प्रथम श्रेणी के छात्र रहे। दर्शन और राजनीति उनके मुख्य विषय थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी करने के पश्चात् कुछ समय दिल्ली में राजनीति शास्त्र का अध्यापन भी किया।

अपने अफ़गानिस्तान सम्बन्धी शोधकार्य के दौरान श्री वैदिक को न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालयलन्दन के प्राच्य विद्या संस्थान, मास्को की विज्ञान अकादमी और काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन का विशेष अवसर मिला। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों में उनका स्थान महत्वपूर्ण है। उन्होंने लगभग पचास देशों की यात्रा की है। वे रूसीफारसीअंग्रेजीसंस्कृत व हिन्दी सहित अनेक भारतीय भाषाओं के विद्वान हैं। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अखिल भारतीय स्तर पर अनेकों बार पुरस्कृत किये जा चुके वैदिक जी अपने मौलिक चिन्तन और प्रभावशाली वक्तृत्व के लिये जाने जाते हैं।

वैदिक जी अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ रहे हैं। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्रायें की हैं।

अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक हैं।