स्मृति शेष: नहीं रहे पत्रकारिता के पुरोधा अभय जी
मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की ख़ास रिपोर्ट
पत्रकारिता-संपादन-संप्रेषण और प्रभाव यह दशकों तक बना रहा हिंदी के राष्ट्रीय दैनिक नईदुनिया का। उस नाम और प्रभाव के पीछे रहे श्री अभय छजलानी आज महाप्रयाण कर गये। यह हिंदी पत्रकारिता की अपूरणीय क्षति ही नहीं आमजन की आवाज़ का भी नुकसान है।
समय बहुत बदल गया है लोग बदल गये पीढ़ी बदलाव पर सवार है पर आज़ादी के साथ जन्मी नईदुनिया और तत्कालीन पत्रकारिता देश व समाज की प्रेरणा रही और हमें स्वतंत्रता मिली।
तब पत्रकारिता मिशन थी और इसे अभिसिंचित करने में कई स्वनामधन्य हस्ताक्षरों ने आहुति दी। आज देशवासी मुक्ताकाश में स्वतंत्र सांस ले रहे हैं तो उस पीढ़ी को भुलाया नहीं जा सकता। उसी पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर और अग्रणी पत्रकार-संपादक-चिंतक और खिलाड़ी श्री अभय छजलानी महाप्रयाण कर गए।
4 अगस्त 1934 को जन्मे श्री अभय जी बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। पद्मश्री सम्मानित और भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के अध्यक्ष रहे, प्रेस क्लब इंदौर, खेल प्रशाल, इंदौर टेबल टेनिस अध्यक्ष रहे अभय जी अनेक संस्थाओं से जीवन पर्यन्त जुड़े रहे। इंदौर ही नहीं सम्पूर्ण मालवा-निमाड़ के विकास में अपने व्यक्तित्व-कृतित्व और प्रभाव के माध्यम से सर्वोपरि आवाज़ बने रहे।
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे प्रजामण्डल, बाबू लाभचंद छजलानी, नरेंद्र तिवारी, बसंतीलाल सेठिया की तिकड़ी के मार्गदर्शन और पत्रकारिता के स्थापित नाम राहुल बारपुते, राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, वेदप्रताप वैदिक, जवाहरलाल राठौड़, डॉ रणवीर सक्सेना, रामशरण जोशी, सुरेश गावड़े, डॉ शिवमंगल सिंह सुमन प्रेमनारायण नागर, बसंत कुमार तिवारी, कलागुरु विष्णु चिंचालकर, मोतीलाल वोरा, निर्मल शर्मा, अवन्तिलाल जैन, प्रकाश उपाध्याय, केशवप्रकाश विद्यार्थी, बाबूलाल पाटौदी, आदि ऐसे नाम हैं जिनके साथ अभय जी ने स्वयं को निखारा और नेतृत्व करते हुए मार्गदर्शन भी किया।
इंग्लैंड के कार्डिफ़ फाउंडेशन से जर्नलिज्म प्रशिक्षित अभय जी को 84 में स्व. गणेशशंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, 86 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हाथों श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय एकता पत्रकारिता पुरस्कार, पद्मश्री अलंकरण के साथ जॉइंट्स इंटरनेशनल मुंबई में शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे द्वारा सम्मानित किया गया।
प्रधानमंत्री प्रेस दल के साथ इंडोनेशिया, चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, तुर्की, जॉर्डन सहित अन्य देशों की यात्रा की और अपनी कलम से पाठकों को रूबरू कराया।
बातें बहुत हैं और यादें भी हैं बहुत, बात करें अभय जी से मालवा और मंदसौर की तो, भीषण प्रलंयकारी बाढ़ की, जब पुरा शहर शिवना की बाढ़ में डूब गया, त्राहि त्राहि मच गई, तब विशेष रिपोर्टिंग करने आये और प्रमुखता से नईदुनिया में स्थान दिया।
17 सितम्बर 1998 को मंदसौर यूनिवर्सिटी (तब मंदसौर इंजिनियरिंग कॉलेज) शुभारंभ किया, सवा सौ साल पुराने नगर पालिका मंदसौर के वर्तमान नवीन भवन लोकार्पण समारोह में राज्यपाल डॉ भाई महावीर के साथ आतिथ्य प्रदान किया।
प्रदेश के मंत्री रहे नरेंद्र नाहटा के सुपुत्र राहुल नाहटा विवाह प्रसंग पर, नईदुनिया परिवार के विक्रम विद्यार्थी के निवास पर अंतिम बार श्रीमती पुष्पा छजलानी के साथ मंदसौर आगमन हुआ। जब लेखक के साथ पूर्व श्रममंत्री स्व. श्यामसुंदर पाटीदार सुपुत्र एवं स्नेहवृत संस्था अध्यक्ष त्रिदेव पाटीदार, विक्रम विद्यार्थी, अभिषेक विद्यार्थी व परिजनों से देर तक मन से संवाद हुआ। लेखक द्वारा संपादित साहित्य संग्रह “उत्थान” की प्रति अभय जी को भेंट की। लेखक एवं विक्रम विद्यार्थी के साथ नरेंद्र नाहटा से भी मिलना हुआ।
कोई पांच दशकों से अभय जी, छजलानी परिवार, नईदुनिया से लेखक का जुड़ाव रहा, कई प्रसंगों पर साथ मिला मार्गदर्शन मिला और प्रगति के आयाम छुए। पत्रकारिता हो या अखबार का प्रसार हर क्षेत्र में उनके मार्गदर्शन में उपलब्धि प्राप्त की।
नईदुनिया, राज्य की नईदुनिया, आर्थिक दैनिक भावताव, खेल पत्रिका खेल हलचल सभी में कार्य करने का सौभाग्य मिला और अभय जी का मार्गदर्शन मिला।
आज अभय जी के निधन से हिंदी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर और नवाचारों के लिये देशभर की पहचान
नहीं रही है। मालवा निमाड़, मंदसौर रतलाम नीमच से जुड़ाव के हमराही नहीं रहे। स्मृतियों को नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
मंदसौर प्रेस क्लब, जनपरिषद, दशपुर वैभव संगम, दशपुर जागृति संगठन, अ भा साहित्य परिषद, मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, मंदसौर विधायक एवं नईदुनिया प्रतिनिधि रहे यशपालसिंह सिसोदिया, इंटक अध्यक्ष खूबचंद शर्मा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष विपिन जैन, भाजपा जिलाध्यक्ष नानालाल अटोलिया सहित विभिन्न संस्थाओं ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अभय जी के योगदान को स्मरण किया।