Adani & Financial Times : भारत आए विदेशी निवेश का आधा हिस्सा फर्जी कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप में!

2017 से 2022 के बीच ग्रुप में कम से कम 2.6 अरब डॉलर का निवेश किया!

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Adani & Financial Times : भारत आए विदेशी निवेश का आधा हिस्सा फर्जी कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप में!

 

New Delhi : हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट का संकेत दिया है। लेकिन, उससे पहले अडानी ग्रुप पर यूके के फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट ने सनसनी फैला दी। दो महीने पहले हिंडनबर्ग ने अडानी के कारोबार को लेकर जो रिपोर्ट दी थी, उससे तहलका मच गया। इस रिपोर्ट पर दुनिया के जाने-माने बिजनेस अखबार यूके के ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने मुहर लगा दी।

अखबार की रिपोर्ट मे बताया गया कि भारत के शेयर बाजार में पिछले पांच सालो में जितना भी विदेशी निवेश आया, उसमें से लगभग आधा अडानी ग्रुप में इन्वेस्ट हुआ! वो भी एक तरह की फर्जी कंपनियों के जरिए। फाइनेंशियल टाइम्स के विश्लेषकों ने भारत के एफडीआई रेमिटेंस आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इससे पता चला है कि अडानी से लिंक्ड ऑफशोर कंपनियों ने साल 2017 से 2022 के बीच ग्रुप में कम से कम 2.6 अरब डॉलर का निवेश किया है। यह इस अवधि के दौरान आए कुल 5.7अरब डॉलर के कुल एफडीआई का 45.4% है। सबसे बड़ा निवेश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दो कंपनियों से आया, जो अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से जुड़ी हैं।

इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट DMCC ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि वह केवल विनोद अडानी का फंड निवेश करती है। इसने 2017 और 2018 के बीच अडानी की कंपनियों में 631 मिलियन डॉलर निवेश किया। इसी तरह मॉरिशस में रजिस्टर्ड गार्डेनिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट ने साल 2021 और 2022 में अडानी की कंपनियों में 782 मिलियन डॉलर का निवेश किया। इमर्जिंग मार्केट के मैनेजर सुबीर मित्रा इसके डायरेक्टर हैं। इसी पैसे की बदौलत गौतम अडानी को कुछ समय के लिए दुनिया का दूसरा सबसे अमीर शख्स बन गये थे। अब यह सवाल उठ रहा है कि ये पैसा आख़िर आया कहा से?

 

मॉरीशस की कंपनियों से पैसा

अडानी ग्रुप के 5.7 अरब डॉलर के एफडीआई इनफ्लो का करीब आधा ग्रुप से जुड़ी अस्पष्ट विदेशी संस्थाओं से आया था। सितंबर 2022 तक अडानी ग्रुप एफडीआई के रूप में आने वाले धन के भारत के सबसे बड़े प्राप्तकर्ताओं में से एक था। इसने देश में 6 फीसदी इनफ्लो प्राप्त किया। 12 महीने की अवधि में आए ग्रुप के 2.5 अरब डॉलर के एफडीआई में से 526 मिलियन डॉलर अडानी परिवार से जुड़ी दो मॉरीशस कंपनियों से आया। जबकि, करीब 2 अरब डॉलर अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी से आया।

शेयरों में हेरफेर का आरोप

अडानी ग्रुप की कर्ज पर टिकी फास्ट ग्रोथ संदेह पैदा करती है। पिछले साल कंपनियों के शेयरों में आई बंपर तेजी ने गौतम अडानी को कुछ समय के लिए दुनिया का दूसरा सबसे अमीर शख्स बना दिया था। लेकिन अडानी की ग्रोथ तब चकनाचूर हो गई, जब जनवरी में यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी की कंपनियां 85% ओवरवैल्यूड हैं। साथ ही अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर के आरोप भी लगाए गए थे।

आरोप लगाया गया कि मॉरीशस स्थित सेल कंपनियों के जटिल नेटवर्क का इस्तेमाल अडानी की 7 लिस्टेड कंपनियों की शेयर प्राइस में हेरफेर करने और बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए होता था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से विपक्षी राजनेता अडानी के विदेशी कनेक्शनों की जांच की मांग कर रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने सेबी को दो महीने के भीतर जांच पूरी करने को कहा है।