भागवत,मोदी, शाह, नड्डा, राजनाथ… भाजपा को मिलता दिग्गजों का साथ…

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भागवत,मोदी, शाह, नड्डा, राजनाथ… भाजपा को मिलता दिग्गजों का साथ…

मध्यप्रदेश के लिए 2023 का चुनावी साल भाजपा बहुत कुछ खास है। संघ और भाजपा के दिग्गज नेताओं का मध्यप्रदेश आना लगातार जारी है। 25 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा आए और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर जमकर बरसे। ऐलान किया कि छिंदवाड़ा फतह करना पार्टी का लक्ष्य है। 26 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भोपाल आए और प्रदेश कार्यालय के नए भवन का भूमिपूजन किया। कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध वर्ग समागम को संबोधित किया। मन की बात भी सुनी। मार्च में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भोपाल पहुंच रहे हैं और 31 मार्च को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और एक अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं। वह कमांडर्स सम्मेलन में भाग लेंगे। इसमें शामिल होने मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना अध्यक्ष भी 31 मार्च को भोपाल आएंगे। भोपाल में तीनों सेनाओं के कमांडर्स का दो दिवसीय सम्मेलन होने जा रहा है। दुनिया में कुछ देशों के बीच चल रहे तनाव के साथ ही रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध से उपजे नए हालातों पर इस सम्मेलन में मंथन किया जाएगा। पूर्वोत्तर देशों में जारी सैन्य गतिविधियों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।  24 अप्रैल को एक बार फिर पीएम जनता के कार्यक्रम में शामिल होने आएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी 31 मार्च को भोपाल आ रहे हैं। वे यहां सिंधी समाज द्वारा लाल परेड मैदान में आयोजित समारोह को संबोधित करेंगे।  मोहन भागवत जहां संघ का सबसे बड़ा चेहरा हैं, तो मोदी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। शाह इस दौर में भाजपा के दूसरे सबसे बड़े दिग्गज नेता हैं। जेपी नड्डा भाजपा संगठन के सबसे बड़े पद पर काबिज हैं। तो राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री के साथ-साथ मोदी सरकार का शाह के बाद सबसे प्रमुख चेहरा हैं। बात यही कि राजधानी भोपाल में चुनावी साल में सारे दिग्गजों का आना-जाना जारी है और यह सिलसिला लगातार चलने वाला है। सरकार के मुखिया शिवराज और संगठन के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह अवसर खास हैं तो चुनावी साल में गिले-शिकवे दूर कर मन को निर्मल कर पराश्रम की पराकाष्ठा को प्रेरित करने वाले क्षण भी हैं।
भाजपा अब पूरी तरह से चुनावी मोड में है। शाह ने छिंदवाड़ा आकर शाही ऐलान किया कि मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा सभी 29 सीटें जीतेगी। तो कांग्रेस के मध्यप्रदेश में सर्वेसर्वा कमलनाथ को कटघरे में खड़ा किया। नड्डा आए तो उन्होंने 2023 विधानसभा चुनाव में दो सौ पार का लक्ष्य हासिल करने बूथ पर मेहनत करने की सीख दी। तो मोदी की उपलब्धियों को सिलसिलेवार गिनाते हुए उन्हें देश ही नहीं दुनिया का सबसे दमदार नेता बताया। अब जब संघ प्रमुख मोहन भागवत आएंगे तो यह बात साफ है कि राष्ट्र प्रेम की धारा बहेगी। वे यहां सिंधी समाज द्वारा लाल परेड मैदान में आयोजित समारोह को संबोधित करेंगे।हिन्दुत्व और धर्मांतरण जैसे मुद्दों का जिक्र भी हो सकता है। राजनाथ सिंह भी रक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और उपलब्धियों का ब्यौरा देंगे। और फिर मोदी जब आएंगे तो राहुल गांधी का जिक्र होना लाजिमी है। परिवारवाद और देश की छवि बिगाड़ने जैसी बातें भी जुबां पर आ सकती हैं। तो दुनिया में भारत की छवि उच्चतम शिखर पर पहुंचने की बात भी हो सकती है।
सबसे महत्वपूर्ण है सरसंघचालक मोहन भागवत का आना। सिंधी समुदाय से सीधा संवाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भेल दशहरा मैदान पर सिंधी समाज के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में देशभर से सिंधी समाज के करीब एक लाख लोग शामिल होंगे। विदेशों में रह रहे सिंधी समाज के एनआरआई, सिंधी समाज के संत अपनी संगतों के साथ आएंगे। इसके साथ ही सिंधी समाज के आईएएस, आईपीएस अफसर और खिलाड़ी, पद्मश्री से सम्मानित लोग भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम स्थल पर तीन प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी। इनमें एक प्रदर्शनी सिंध प्रांत (पाकिस्तान) पर आधारित होगी। सिंध प्रांत में जो मुख्य स्थान थे, उनका एक बड़ा नक्शा बनाकर अपने पूर्वजों के निवास वाले शहरों को पहचानने के लिए सिंधी समाज के लोगों के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी। दूसरी प्रदर्शनी सिंधी समाज के संतों के जीवन परिचय से जुड़ी होगी। तीसरी प्रदर्शनी स्वतंत्रता के आंदोलन में योगदान देने वाले सिंधी समाज के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर आधारित होगी। भागवत की मौजूदगी यानि सिंधी समाज का संघ प्रेम और भाजपा से जुड़ाव और ज्यादा मजबूत होगा।
आश्चर्य की बात नहीं है बल्कि यह भाजपा का विजन है कि चुनाव वाले राज्यों में करीब एक साल जनता के बीच इतनी बार जाओ कि उन्हें सरकार की उपलब्धियों का पूरा भरोसा हो जाए और सरकार की राष्ट्रहित की सोच पर उनकी मुहर लग जाए। उत्तर पूर्व के तीन राज्यों में भाजपा की फतह पार्टी की इसी रणनीति का नतीजा है।‌ इससे पहले गुजरात की ऐतिहासिक जीत सबके सामने है। हालांकि हिमाचल को खोया है, पर हौसला हिमालय को छू रहा है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस शासित राज्यों पर भी भाजपा की नजर है तो मध्यप्रदेश में पारी जारी रखने का विश्वास भी है। दिग्गज आते रहेंगे और भाजपा की जीत का मंत्र गुनगुनाते रहेंगे, क्योंकि यह साल चुनावी है। और अगला साल आम चुनावी है, जिसमें मोदी सरकार की हैट्रिक पर दुनिया की नजरें रहेंगी।