*रतलाम से रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट*
Ratlam MP: मध्यप्रदेश के मालवा के रतलाम शहर में दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी मंदिर के दर्शनार्थियों और सनातन संस्कृति के अनुयायियों का जमघट लगता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां दीपावली पर नोटों और सोने के आभूषणों की लड़ियों से सजावट होती है। जबकि, अन्य मंदिरों में सजावट के लिए डेकोरेटिव झालरें लगाई जाती है। महालक्ष्मी मंदिर में लगने वाली लड़ियों की कीमत लाखों में होती है।
मंदिर के गर्भगृह में भी देवी महालक्ष्मी का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। इसमें भी बेशकीमती हीरे-मोती और जवाहरातों से निर्मित स्वर्ण आभूषण उपयोग किए जाते हैं। इतना ही नहीं, कई दर्शनार्थी और देवी महालक्ष्मी के भक्त अपने घरों से सोने-चांदी के सिक्के और अन्य आभूषण यहां लेकर यहाँ सजावट के लिए लेकर पहुंचते हैं। शहर के हृदय स्थल माणक चौक क्षेत्र में स्थित यह मंदिर अपने आप में अद्वितीय हैं।
हमारा देश में चमत्कारी मंदिरों की कमी नहीं है। यही कारण है कि यहां के अनुयायियों में प्रगाढ़ आस्था रहती हैं। यहां कई ऐसे चमत्कारिक धर्मस्थल हैं, जिनसे जुड़े रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। इन मंदिरों से जुड़े रहस्यों और मान्यताओं के चलते लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं। रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर भी ऐसे विशेष मंदिरों में शामिल है। मान्यता है कि यहां दीपावली पर्व पर रखे गए सोना चांदी, आभूषण और नकद राशि रखने से महालक्ष्मी के आशीर्वाद से वो दुगने हो जाते हैं। साथ ही घर और दुकान में भी बरकत बनी रहती है।
इन्हीं आस्थाओं और मान्यताओं को लेकर यहां पर भक्त उमड़ पड़ते हैं और घंटों इंतजार कर अपना रुपया सोना-चांदी तथा स्वर्ण आभूषण यहां जमा करते हैं। दीपावली के मौके पर इस मंदिर की सजावट आंखें चौंधियाने वाली होती है। हां प्रतिवर्ष सजावट के लिए करोड़ों रुपए नकदी और कई किलो सोना सजावट में इस्तेमाल होता है।
*आभूषणों और नकदी का हिसाब*
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि धनतेरस से लेकर दीपावली के बीच माता महालक्ष्मी के चरणों में और उनके दरबार में जो कुछ चढ़ाया जाता है, उसमें बरकत रहती है। इसलिए भक्त अपना सोना-चांदी लेकर पहुंचते हैं और उसे माता के चरणों में चढ़ाते हैं। ऐसा करने से उनके यहाँ सालभर सुख-समृद्धि रहती है। दीपावली पर्व समाप्त हो जाने पर भक्तों को उनका सोना-चांदी और रुपया वापस कर दिया जाता है। जो भक्त यहां स्वर्ण आभूषण और नकदी लेकर आते हैं, बकायदा उसका हिसाब-किताब रखा जाता है। इसके लिए उनके पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज जमा कराए जाते हें.और लौटाते समय पुनः कागजी कार्यवाही पूरी होती है।
*प्रशासन के पुख्ता इंतजाम*
जिला प्रशासन का इस मंदिर की व्यवस्थाओं को अपने कमांड में रखता है। एसडीएम और तहसीलदार यहां व्यवस्थाओं पर नजर लगाए रखते हैं। जिसका मुख्य कारण यह मंदिर ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के अधीन है और ऐसे मंदिरों की व्यवस्था जिला प्रशासन देखता है। इस दौरान यह मंदिर सीसीटीवी कैमरों और पुलिस के सख्त पहरे में रहता है। मंदिर की नोटों से सजावट का सिलसिला शुरू हो चुका है। पिछले वर्षों से यहां कोरोना महामारी के चलते भक्तों का मंदिर परिसर में आना निषेध हैं, वे बाहर से ही दर्शन कर सकेंगे।