Lectures on New Songs : ‘नवगीत यानी आधुनिक जीवन की अभिव्यक्ति’
Mumbai : ‘गीत का खेत यदि तैयार नहीं होता, तो नवगीत पैदा नहीं होता। नवगीत आधुनिक जीवन की अभिव्यक्ति है।’ यह विचार प्रख्यात नवगीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने अंधेरी के व्यंजन हॉल में ‘कथा’ व ‘दीनदयाल मुरारका फाउंडेशन’ द्वारा ‘नवगीत : कल,आज और कल’ विषय पर आयोजित जहीर कुरैशी स्मृति व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
वरिष्ठ नवगीतकार डॉ राजेन्द्र गौतम ने कहा,’गीत और नवगीत में कोई शत्रुता नहीं है’। दीप्ति मिश्र ने कहा ‘जहीर कुरैशी सकारात्मक सोच को देखने से नहीं चूकते’। प्रेम जनमेजय ने कहा ‘जहीर कुरैशी मानव मन के चितेरे थे। ‘संयोजक व कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा ‘जहीर कुरैशी त्रास के, यातना के और आम आदमी के स्वप्नों के रचनाकार थे।
इस मौके पर डॉ बुद्धिनाथ मिश्र व डॉ राजेंद्र गौतम ने अपने चुनिंदा नवगीतों का पाठ किया। प्रख्यात गायक, गीतकार सुधाकर स्नेह ने जहीर कुरैशी की गजलों, नवगीतों की सांगीतिक प्रस्तुति दी। संचालन डॉ शैलेश श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण कमलेश पाठक ने व आभार प्रदर्शन दीनदयाल मुरारका ने किया।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व सांसद संतोष भारतीय, फौजिया अरसी, सुदर्शना द्विवेदी, करुणाशंकर उपाध्याय, नीलकंठ पारटकर, सुभाष काबरा, संजीव निगम, देवमणि पांडेय, कुसुम तिवारी, नीलिमा पांडेय, मंजुला जोशी, नीता बाजपेयी, संगीता बाजपेयी आदि साहित्य और संस्कृति से जुड़े रचनाधर्मी मौजूद थे।