PC एक्ट और IPC में दर्ज मामलों की SAF के अफसर कर रहे जांच, लोकायुक्त में आधा दर्जन से ज्यादा पदस्थ हैं ऐसे अफसर
भोपाल: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी के तहत दर्ज होने वाले मामलों की जांच विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) के अफसर कर रहे हैं। लोकायुक्त पुलिस में ऐसे आधा दर्जन अफसर पदस्थ हैं, जो जिला बल की जगह पर सीसी संवर्ग से बतौर प्लाटून कमांडर एसएएफ में भर्ती हुए। आमतौर पर कंपनी कमांडर सवंर्ग के अफसरों को पेचीदा मामलों की जांच नहीं दी जाती है, लेकिन प्रदेश में इस संवर्ग के अफसर प्रतिनियुक्ति पर लोकायुक्त में पदस्थ होते रहे हैं। प्लाटून कमांडर, सूबेदार से भर्ती होने वालों को आईपीसी और सीआरपीसी का सिर्फ फाउंडेशन कोर्स ही करवाया जाता है, इन संवर्ग के अफसरों को डिटेल में आईपीसी, सीआरपीसी और जांच जैसे बिंदुओं को नहीं पढ़ाया जाता है।
ये हैं एसएएफ से प्रतिनियुक्ति पर
सागर में डीएसपी के पद पर पदस्थ राजेश खेडे एसएएफ से प्रतिनियुक्ति पर यहां पर पदस्थ हैं। इसी तरह प्रद्युम्न पाराशर ग्वालियर, राजेश पाठक और प्रवीण सिंह परिहार रीवा और प्रवीण नारायण बघेल इंदौर लोकायुक्त में पदस्थ हैं। प्रवीण सिंह परिहार अगस्त 2020, राजेश खेडे जनवरी 2018 से यहां पर पदस्थ हैं। प्रद्युम्न पाराशर जनवरी 2018, राजेश पाठक अप्रैल 2022, प्रवीण नारायण बघेल अक्टूबर 2017 से यहां पर पदस्थ हैं। इसी तरह सूबेदार से भर्ती हुए सुनील कुमार तलन रक्षित निरीक्षक संवर्ग से हैं वे भी लोकायुक्त में पदस्थ हैं।
तीन साल के लिए मिलती है प्रतिनियुक्ति
बताया जाता है कि लोकायुक्त में पुलिस अफसरों को तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति मिलती है। इसके बाद उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि दो साल और बढ़ाई जा सकती है। इसके बाद भी यहां पर कुछ अफसर पांच साल से अधिक समय से यहां पर पदस्थ हैं।
ढाई साल पहले मूल काडर भेजने के हुए थे प्रयास
पुलिस मुख्यालय के आला अफसरों ने करीब ढाई साल पहले ऐसे अफसरों को मूल काडर में भेजने के प्रयास किए थे। उस वक्त डीजीपी विवेक जौहरी थे, जबकि एडीजी प्रशासन के पद पर अन्वेष मंगलम थे। यह प्रयास शुरू होते ही कुछ दिनों बाद यह मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई थी।
इसलिए उठी थी उंगली
दरअसल लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और राज्य साइबर सेल में प्रतिनियुक्ति पर जाने एसएएफ, रेडिया कॉडर के कुछ अफसरों ने तेजी से प्रयास किए। उनके प्रयास सफल भी हुए और इन तीनों की जगहों पर ऐसे कई अफसरों ने प्रतिनियुक्ति पा ली थी। इसी दौरान दिसंबर 2020 में जबलपुर सायबर पुलिस के दो अफसरों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोएडा में गिरफ्तार कर लिया। ये दो अफसर सायबर सेल जबलपुर में पदस्थ थे। इस मामले में साबयर सेल से रेडियो कॉडर और एसएएफ कॉडर के दो अफसरों को हटाया गया था। इसके बाद तत्कालीन डीजीपी विवेक जौहरी और तत्कालनी एडीजी प्रशासन अन्वेष मंगलम ने यह प्रयास किए थे कि जहां पर आईपीसी, सीआरपीसी और अन्य अधिनियमों के तहत प्रकरण दर्ज होते हैं वहां पर एसएएफ, रेडियो और आरआई कॉडर से पुलिस में आए अफसरों को पदस्थ नहीं किया जाए। इन सभी की जानकारी भी तलब की गई थी, लेकिन यह प्रयास अधूर रह गए थे।