राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: इन एमपी-पीएम अप, सीएम डाउन
मध्यप्रदेश में आपको जल्दी ही कुछ नया देखने को मिलेगा। दिल्ली से तय हुई एक रणनीति के तहत अब सरकार और संगठन से जुड़ी प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही ज्यादा फोकस रहेगा। इसके पीछे एक अलग सोच काम कर रही है और इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी अवगत करवा दिया गया है। अभी तक सरकारी प्रचार में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बराबरी पर रखा जा रहा था, लेकिन जल्दी ही प्रधानमंत्री को ऊपर लाकर यह अहसास करवाया जाएगा कि इधर-उधर कहीं मत देखिए, बस नरेंद्र मोदी पर नजर रखिए और मध्यप्रदेश में एक बार फिर भाजपा को मौका दीजिए। है ना, नरेंद्र मोदी और अमित शाह का अपना तरीका।
*गुजरात के भरोसे संगठन का वार रूम*
विधानसभा चुनाव के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वार रूम के सक्रिय होने के बाद संगठन के वार रूम को लेकर अलग-अलग चर्चा थी। संगठन के कर्ताधर्ता चुप्पी साधे हुए थे। उनकी चुप्पी का राज अब समझ आ रहा है। दरअसल यह तय हुआ है कि संगठन का वार रूम गुजरात की टीम के जिम्मे रहेगा।
उसका मुकाम भी गुजराती टीम को जो स्थान समझ में आएगा वही रहेगा। इतना जरूर होगा कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से जुड़े दो-चार लोग इस टीम के साथ सहयोगी की भूमिका में नजर आएंगे। इतना जरूर देखना है यह भूमिका आखिर मिलती किसे है।
*कई मायने हैं कैलाश विजयवर्गीय की बात के*
भाजपा में इन दिनों कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका बड़ी चर्चा में है। ऐसा माना जा रहा है कि मजबूत जमीनी आधार वाले इस कद्दावर नेता का कद कम करने में दिल्ली-भोपाल में बैठे कुछ बड़े नेता कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसके बावजूद भी दमदार इसे मैदान संभाले हुए हैं।
पिछले दिनों उन्होंने बहुत बेबाकी से कहा कि भाजपा को कांग्रेस नहीं भाजपा ही हराती है। उनकी इस बात पर गौर करें तो इन दिनों मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा खतरा अपने ही लोगों से है। जिलों के दोरौं पर गए पार्टी के बड़े नेता भी विजयवर्गीय की बात पर ठप्पा लगाते हैं।
*बरास्ता नवीन जिंदल हुई दीपक जोशी राह आसान*
दीपक जोशी के कांग्रेस में आने की इन दिनों बड़ी चर्चा है। भाजपा के दिग्गज भी यह जानने के इच्छुक हैं कि आखिर जोशी ने ऐसा कौनसा दाव खेला कि पूरी कांग्रेस उनके लिए पलक-पावड़े बिछाती नजर आई। हुआ यूं कि भाजपा से नाराज दीपक ने अपनी व्यथा जोशी परिवार से बहुत स्नेह रखने वाले कांग्रेस के बड़े नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल के सामने रखी।
नवीन ने उनके तार दिल्ली दरबार से जुड़वाए और वहीं से कमलनाथ से हुए संवाद के बाद तक पहुंचे फरमान के बाद जोशी के कांग्रेस में प्रवेश की राह आसान हो गई। देखना यह है कि कांग्रेस जोशी को कितना संभाल के रख पाती है।
*सिंहस्थ की जमीन और मंत्री जी की मोह माया*
संघ की पसंद पर उच्च शिक्षा मंत्री बनाए गए मोहन यादव इन दिनों जमीन के मोह में पड़ गए हैं। यादव अलग-अलग फोरम पर इस बात की जोरदार पैरवी कर रहे हैं कि उज्जैन में हर 12 साल बाद होने वाले सिंहस्थ के लिए आरक्षित क्षेत्र को आगे बढ़ा दिया जाए। उनका आशय यह है कि जो जमीन अभी सिंहस्थ के लिए आरक्षित है, उस पर आवासीय क्षेत्र विकसित करने की अनुमति दी जाए।
आखिर ऐसा क्यों, सुनने में यह आ रहा है कि जिन जमीनों पर आवासीय क्षेत्र विकसित करने की पैरवी हो रही है, उन पर मंत्री जी नजर डाल चुके हैं और कुछ तो उनकी हो भी गई है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री मंत्री जी की बात मानने को तैयार नहीं।
*ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे*
केंद्र में भूतल परिवहन जैसे अहम महकमें का सचिव बनाए जाने के बाद अनुराग जैन की मध्यप्रदेश वापसी की संभावना खत्म सी दिख रही है। इतना महत्वपूर्ण महकमा और फिर नितिन गडकरी जैसे साफ-सुथरे मंत्री को कौन छोडऩा चाहेगा। ये तो हुई एक बात।
दूसरी बात यह है कि मुख्य सचिव के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे मोहम्मद सुलेमान और अनुराग जैन पक्के दोस्त हैं। मध्यप्रदेश आकर जैन अपने पक्के दोस्त के मुख्य सचिव बनने की मजबूत संभावनाओं पर पानी भी नहीं फेरना चाहते। हालांकि जैन को मुख्य सचिव के पद पर देखने की चाह रखने वालों की सूची भी बहुत लंबी है।
*मजरों टोलो में लगी पुलिस पंचायत तो असर भी देखने को मिला*
अलीराजपुर में एसपी के रूप में सफल पारी खेलने के बाद अब धार की कमान संभाल रहे आईपीएस अफसर मनोज सिंह पुलिसिया दायित्व से इतर जिस तरह से जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं उसकी इन दिनों पुलिस महकमे में बड़ी चर्चा है। सामुदायिक अपराधों और राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के लिए कुख्यात अलीराजपुर में मनोज सिंह की कोशिशों के चलते ही पुलिस ने ठेठ देहात की आदिवासी जनता से संपर्क बढ़ाया, मजरे, टोलो और फालियों में चौपाल लगाई,उनकी तकलीफ को समझा और दूर किया, सुख दुख में भागीदार बनी और इसका सीधा फायदा पुलिस को अपराध नियंत्रण में मिला। इस नवाचार को अब आगे बढ़ाने की तैयारी है।
*चलते-चलते*
दीपक जोशी के भाजपा छोडऩे का असर यह हुआ कि जिन हिम्मत कोठारी, अनूप मिश्रा और सत्यनारायण सत्तन को लगातार अनदेखा किया जा रहा था, उन तक सत्ता और संगठन के मुखिया के फोन पहुंच गए और भोपाल बुलाकर बड़े प्रेम से बात की। वैसे कोठारी और मिश्रा मौका आने पर दीपक जोशी का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं।
*पुछल्ला*
मध्य प्रदेश के लगभग एक दर्जन मंत्रियों की अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव से पटरी नहीं बैठ रही है। एक विभाग में तो जब प्रमुख सचिव के बार-बार आग्रह के बावजूद मंत्री ने फाइल वापस नहीं लौटायी तो मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और वहां से अनुमोदन लिया गया।
*बात मीडिया की*
दैनिक भास्कर को अलविदा कहने वाले भोपाल की मार्केटिंग टीम के 1 साथी का वह मेल इन दिनों बहुत चर्चा में है जिसमें उसने साफ शब्दों में यह कहा कि यहां काम कम और चुगली ज्यादा होती है। इस मेल को प्रबंधन ने भी गंभीरता से लिया है।
नईदुनिया इंदौर में जागरण प्रबंधन ने एक नया प्रयोग किया है। संपादक के रिक्त पद पर अब यहां दो वरिष्ठ साथियों उज्जवल शुक्ला और डॉक्टर जितेंद्र व्यास को संपादकीय प्रभारी की भूमिका सौंपी गई है। दोनों 15-15 दिन इस भूमिका का निर्वहन करेंगे। मतलब साफ है कि संजय गुप्ता की इच्छा के मुताबिक सद्गुरु शरण अवस्थी अब इंदौर के बजाय भोपाल में ज्यादा समय देंगे।
नईदुनिया इंदौर में इन दिनों सुपर एडिटर्स की बड़ी चर्चा है। ये सुपर एडिटर ही तय कर रहे हैं कि कौनसी खबर लगेगी और कौनसी नहीं लगेगी। सिटी और डाक की डेस्क भी इन्हें मना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। सुबह होने वाली एडिटोरियल बैठक में के सवाल-जवाब भी ये सुपर बॉस ही तय कर रहे हैं। किसी खबर या फोटो पर इनकी नापसंदगी का जवाब भी एडिटर टीम से मांगते हैं। कुल मिलाकर इन सुपर एडिटर के आगे पूरी संपादकीय टीम ने घुटने टेक दिए हैं।
दैनिक भास्कर और पत्रिका में शानदार पारी खेल चुके धुरंधर रिपोर्टर शैलेंद्र चौहान अब न्यूज़ 18 मध्य प्रदेश की टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे यहां राजनीतिक मामले खासकर भाजपा से जुड़ी खबरों पर फोकस करेंगे।
राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर दंडोतिया news24 मध्य प्रदेश के आरई की भूमिका में आ गए हैं।
1990 में दैनिक भास्कर भोपाल की टीम का हिस्सा रहे संपादकीय साथियों का एक अनूठा समागम रविवार को हुआ। तब के संपादक महेश श्रीवास्तव सहित ज्यादातर साथी इस आयोजन में शामिल हुए और पुरानी यादों को ताजा किया। इस आयोजन के सूत्रधार वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र जैन थे, जो 1990 में खुद इस टीम का हिस्सा थे।
इंदौर, महू और खरगोन में 12 साल नईदुनिया में रिपोर्टर की भूमिका में रहने के बाद वेतन नहीं बढ़ाए जाने और प्रमोशन नहीं होने से आहत अमित भटोरे ने अक्टूबर 22 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने खुद की खबरों का यूट्यूब चैनल शुरू किया था। अब उनका यूट्यूब चैनल तेजी से विस्तार कर रहा है। बहुत ही कम समय में इसके 10 हजार सब्सक्राइबर हो गए हैं।