दलालों और स्वार्थी तत्वों की सवारी से झुक रही हैं राजनीति की कमर

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दलालों और स्वार्थी तत्वों की सवारी से झुक रही हैं राजनीति की कमर

आलोक मेहता

‘ साधारण कार्यकर्ता असहाय हैं क्योंकि उनकी पीठ पर सत्ता और प्रभावशाली दलाल सवार हैं | ये लोग जाति और धर्म के नाम के सहारे छोटे छोटे ग्रुप बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं और कंग्रेस को फंसा देते हैं | इन लोगों की जीवन शैली ,सोचने का ढंग , उनके भ्रष्ट तौर तरीके समाज के निहित स्वार्थी तत्वों के साथ संबंधों और पाखंडपूर्ण तरीके जनता के बीच काम करने वालों से मेल नहीं कहते हैं | हम लोग जनता से दूर हो गए हैं | हम किसी समृद्ध भारत के सिद्धांतों की बात करते हैं , लेकिन किसी नियम अनुशासन का पालन नहीं करते | ‘ यह बात किसकी हो सकती है ? हाल के चुनाव में महाराष्ट्र के पराजित किसी पुराने नेता की ? भाजपा नेता की ? शिव सेना नेता की ? जी नहीं यह बात बहुत पहले कांग्रेस के नेता पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 28 दिसंबर 1985 में इसी मुंबई के ‘ इंदिरा नगर ( ब्रेबोर्न स्टेडियम ) में कांग्रेस के शताब्दी वर्ष अधिवेशन में कही थी । इसके बाद पार्टी ने कई उतार चढाव देखे | लेकिन अब महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव ने साबित कर दिया राहुल गांधी और उनकी सलाहकार चौकड़ी जाति और मुस्लिम आरक्षण का ढोल पीटकर अपने पिता दादी और पार्टी के ही सिद्धांतों की बलि देकर भविष्य को चौपट कर रहे हैं ।

राहुल गांधी लगातार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अम्बानी अडानी के विरुद्ध अपना टूटा बाजा बजा रहे हैं , लेकिन वे भूल जाते हैं कि साठ सत्तर के दशक की तरह जनता गरीबी फटेहाल नहीं है , अब करोड़ों लोग छोटी बड़ी आकांक्षाएं लेकर बाजार में शेयर खरीदती है | अम्बानी अडानी टाटा बिड़ला की कंपनियों में श्रमिक आंदोलन नहीं हो रहे हैं | कम्युनिस्ट पार्टियां एक दो प्रदेशों में अन्तिंम सांसे गिन रही हैं | वायनाड में तो कम्युनिस्ट स्वयं राहुल और प्रियंका को हराने में लगी थी | जाति के नाम पर लालू तेजस्वी और अखिलेश यादव के सामने कांग्रेस कोई मुकाबला नहीं कर सकती और बिहार उत्तर प्रदेश में उनकी कृपा बैसाखी पर चल रही है | मुस्लिम राजनीति में क्या वह ओवेसी का मुकाबला कर सकती है ? महाराष्ट्र में हिंदू सम्राट कहे जाने वाले बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे का दामन पकड़ने से न उन्हें राम का आशीर्वाद मिला न जनता जनार्दन का | उल्टे ठाकरे की अपनी विभाजित पार्टी ही बुरी तरह हार गई | झारखण्ड में हेमंत सोरेन शिबू सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चे के पुराने जमीनी संबंधों से थोड़ी सफलता का कोई श्रेय कांग्रेस को नहीं मिल रहा है |

दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी अपने विकास कार्यों के साथ क्षेत्रीय नेताओं को महत्व देने , अपनी कमियों और लोक सभा चुनाव की गलतियों को सुधारने में संकोच नहीं कर रही है | हरियाणा महाराष्ट्र के परिणामों ने उनके विरोधियों के साथ अपनों के बीच उठ रही आशंकाओं और गलतफहमियों को दूर कर दिया है | अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के साथ हिंदुत्व , संघ के आदर्शों , संस्कारों को सार्वजनिक रूप से स्वीकारने में गौरव का अनुभव कर रहे हैं | मोदी ने काटने के बजाय ‘ एक हैं तो सेफ है ‘ का नारा इस चुनाव में प्रमुखता से आगे बढ़ाया | भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं ने सैकड़ों छोटी छोटी सभाएं की | पन्ना प्रमुख के फार्मूले को जिन इलाकों में सही ढंग से अपनाकर लोगों को सरकार के कल्याण कार्यक्रमों के लाभ दिलवाए और भविष्य के सुनहरे सपने दिखाए , उसका लाभ मिल रहा है | खासकर महिलाओं के लिए विभिन्न प्रदेशों में दस वर्षों के दौरान दिए गए लाभ – मकान , शौचालय , गैस , शिक्षा , आयुष्मान भारत से स्वास्थ्य रक्षा , और लखपति दीदी या अनुग्रह मासिक सहायता से बहुत बड़ी विश्वसनीयता प्राप्त की है | वहीँ महाराष्ट्र में साथ आए एकनाथ शिंदे की शिव सेना और अजित पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं को न केवल सत्ता में वरन चुनाव में पूरा महत्व दिया | नीतीश कुमार को बिहार में और एकनाथ शिंदे को बहुमत वाली भाजपा का मुख्यमंत्री स्वीकार करना ‘ सबका साथ सबका विकास ‘ जियो और जीने दो की नीतियां अपनाई | जबकि कांग्रेस और राहुल गाँधी की मंडली अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए सहयोगी दलों के नेताओं को ही नहीं पार्टी के अपने क्षेत्रीय नेताओं को लड़वाने के प्रयास करती रहती हैं | जिस डाल पर बैठते हैं , उसे काटने लगते हैं |

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को कांग्रेस ने ही कभी चुनाव नहीं जीतने दिया | अब उनके बनाए संविधान की छोटी डायरी लेकर दलितों और पिछड़ों गरीबों को प्रभावित करने के तमाशे को महाराष्ट्र की जनता ने पूरी तरह नकार दिया | जबकि पिछड़ों और दलितों , महिलाओं को मोदी और भजपा ने अपना प्रबल समर्थक बना लिया | उन्हें तो अपने निर्माता डॉक्टर हेडगेवार का आदर्श मन्त्र सबको सुनाना है -” हमारी तो एक ही जाति है , वह है हिन्दू | ” फिर राष्ट्रवाद और दुनिया में बढ़ती हुई भारत की साख से शिक्षित युवा वर्ग में नया जोश आ रहा है | उन्हें स्व रोजगार और देश विदेश में नौकरी के अवसर लुभाते हैं | केवल अपने गाँव कस्बे में ही बंधे रहना सबकी मज़बूरी नहीं है | गरीब माता पिता उन्हें अधिक सफल संपन्न देखना चाहते हैं | किसानों के नाम पर महारष्ट्र में राहुल गाँधी और शरद पवार के साथियों ने बहुत भड़काने के प्रयास किए | हरियाणा में तो सबसे अधिक यह मुद्दा उठाया | वे भूल गए कि छोटे किसान ही देश मेंसर्वाधिक हैं और वे दलालों के धंधे से अनाज का सही लाभं नहीं उठा पाते हैं | इसलिए छोटे किसान कम ही सही छह से दस हजार की अनुग्रह राशि सीधे बैंक खाते से आने से खुश हो रहे हैं |

बहरहाल असली मुद्दा सामाजिक आर्थिक प्रगति के लिए सरकार के कार्यों के साथ भाजपा के नेताओं या कार्यकर्ताओं को अपने पुराने सिद्धांतों आदर्शों को निभाना होगा | डिजिटल युग में सदस्य संख्या बढ़ती देखने या अहंकार से दूर तक सफलता नहीं मिल सकती है | इस सन्दर्भ में संघ भाजपा के एक नेता ने संघ की हिदुत्व की दृष्टि और जीवन पद्धति पर एक पुस्तिका के अंश याद दिलाए | इस अंश में लिखा गया है – ‘ अवैधानिक धन का अर्जन नहीं करना , अनैतिक और अवैधानिक काम नहीं करना सच्चा जीवन बिताना हिन्दू संस्कार और जीवन पद्धति है | आत्म संयम अति आवश्यक है |’ सवाल समाज में अपने काम और व्यवहार से ही स्थान बनाने के प्रयास पहले कांग्रेस , सोशलिस्ट , जनसंघ – भाजपा या क्षेत्रीय दलों के नेता कार्यकर्त्ता करते थे | आज जागरूकता आने के बाद यह और जरुरी हो गया है | वहीँ देश दुनिया की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही है | विदेशी ताकतें भारत की राजनितिक स्थिरता आर्थिक प्रगति पर सामने भले ही तालियां बजा रही हैं , उसे कमजोर करने की हर संभव तैयारियां भी कर रही हैं | इसलिए हार और जीत की राजनीति से अधिक महत्व भारत के भविष्य के लिए एकता सम्प्रभुता और निरंतर प्रगति के लिए सभी पक्षों को प्रयास करने होंगे |