Virtual Autism For Kids : बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहे हैं मोबाइल फोन,बच्चों को फोन से दूर रखिए

1871
Virtual Autism For Kids

Virtual Autism For Kids : बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहे हैं मोबाइल फोन,बच्चों को फोन से दूर रखिए  

बच्चों की जिद से पीछा छुड़ाने के लिए क्या आप भी उन्हें मोबाइल फोन थमा देते हैं. आपका बच्चा भले ही इससे शांत हो जाता है लेकिन काफी देर तक स्क्रीन पर समय बिताने से वह दिमागी रूप से कमजोर हो रहा है.

दुनिया भर में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि कम उम्र में बच्चों को स्मार्टफोन देना उनके मानसिक विकास को प्रभावित करना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने से बच्चों का भविष्य खराब होता है. वर्चुअल आटिज्म का खतरा भी बढ़ रहा है.

अक्सर 4-5 साल के बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (virtual autism) के लक्षण दिखते हैं. मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है. स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल या लैपटॉप-टीवी पर ज्यादा समय बिताने से उनमें बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कंडीशन को ही वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है. इसका मतलब यह होता है कि ऐसे बच्चों में ऑटिज्म नहीं होता लेकिन उनमें इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सवा साल से तीन साल के बच्चों में ऐसा बहुत ज्यादा दिख रहा है.

Mobile addiction for children become victims of virtual autism | मोबाइल की लत... 2 से 5 वर्ष के बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार | Patrika News

वर्चुअल ऑटिज्म से बच्चों को कैसे बचाएं

ज्यादा मोबाइल यूज करने से बच्चों में स्पीच डेवलपमेंट नहीं हो पाता और उनका ज्यादातर समय गैजेट्स में ही बीत जाता है. उनका बिहैवियर खराब होने लगता है. कई बार उनके नखरे भी बहुत बढ़ जाते हैं और वे आक्रामक भी हो सकते हैं. स्मार्टफोन से उनके सोने का पैटर्न भी बिगड़ जाता है. ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखना चाहिए. गैजेट्स का जीरो एक्सपोजर बच्चों में रखना चाहिए. मतलब उन्हें पूरी तरह इससे दूर रखना चाहिए.

अक्सर जब बच्चा छोटा होता है तो पैरेंट्स उन्हें पास बिठाकर मोबाइल फोन दिखाते हैं. बाद में बच्चों को इसकी लत लग जाती है. पैरेंट्स को सबसे पहले तो अपने बच्चों को इलेक्ट्रॉनिग गैजेट्स से दूर खना है. उनका स्क्रीन टाइम जीरो करने पर जोर देना चाहिए. उनका फोकस बाकी चीजों पर लगाएं. स्लीप पैटर्न भी दुरुस्त करें. बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें. ऐसा करने के लिए मां-बाप को पहले खुद में सुधार करना होगा. बच्चों को सामने खुद भी फोन से दूरी बनानी होगी और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज में हिस्सा लेना चाहिए.

क्या वर्चुअल ऑटिज्म का कोई इलाज

बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म से बचाने में सबसे बड़ा रोल पैरेंट्स का होता है. इसके अलावा ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है. हालांकि, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट थेरेपी, स्पीच थेरेपी और स्पेशल एजुकेशन थेरेपी से इसे कुछ हद तक रोका जा सकता है. इससे बच्चे की स्थिति में सुधार कियाजा सकता है. लेकिन इस प्रक्रिया में काफी समय की आवश्यकता होती है.

वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण

  • वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार बच्चे दूसरों से बातचीत करने से कतराते हैं.
  • ऐसे बच्चे बातचीत के दौरान आई कॉन्टैक्ट से बचते हैं.
  • इन बच्चों में बोलने की क्षमता का विकास काफी देरी से होता है.
  • इन्हें समाज में लोगों से घुलने-मिलने में काफी परेशानियां होती हैं.
  • वर्चुअल ऑटिज्म की चपेट में आने वाले बच्चों का आईक्यू भी कम होता है.