फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर सैंकड़ों शासकीय शिक्षक बने, जांच में सामने आया मामला

मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए 20 जुलाई तक जवाब मांगा

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फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर सैंकड़ों शासकीय शिक्षक बने,जांच में सामने आया मामला

डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

 

भोपाल । प्रदेश के स्कूली शिक्षा विभाग में 15 – 20 हजार रुपये में फ़र्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के माध्यम से सैंकड़ों लोगों ने शासकीय नोकरी हांसिल कर ली और अनेक पात्र व्यक्तियों के साथ खिलवाड़ किया ।

मामले की पड़ताल में जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक भर्ती में यह घोटाला उजागर हुआ है । इस क्रम की भर्ती में अभ्यर्थियों ने कोई 15 से 20 हजार रुपये में दिव्यांगता के फ़र्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर विभाग में शासकीय नोकरी हांसिल कर ली ।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में यह गड़बड़ी हुई है । ग्वालियर और मुरैना जिलों में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आई है । बताया गया है कि विभागीय और फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वाले चिकित्सकों की गलती को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है ।

अनियमितता और फर्जीवाड़े के चलते स्कूली शिक्षा विभाग की एक भी भर्ती प्रक्रिया बिना आंदोलन के पूरी नहीं हुई है । वर्तमान में भी इस तरह की अनियमितता के खिलाफ आंदोलन चल रहा है ।

मानव अधिकार आयोग भोपाल ने इस गंभीर मामले में संचालक , लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश शासन भोपाल को निर्देशित किया है कि ऐसे फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट आधार पर गवर्नमेंट जॉब में लगे लोगों की जांच करें । साथ ही त्रुटिपूर्ण फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्रों के परीक्षण करते हुए विभिन्न जिलों के संबंधित डॉक्टरों के विरुद्ध की गई कार्यवाही तथा ऐसे भर्ती अभ्यर्थियों के संबंध में विभागीय स्तर की कार्यवाही से आगामी एक माह 20 जुलाई तक जवाब प्रस्तुत करें ।