राज्य के भंडार क्रय नियमों में होगा बदलाव, अब आरक्षित वर्ग को सेवाओं में  मिलेगा चार फीसदी आरक्षण

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Finance Department Issued Orders

राज्य के भंडार क्रय नियमों में होगा बदलाव, अब आरक्षित वर्ग को सेवाओं में  मिलेगा चार फीसदी आरक्षण

भोपाल: प्रदेश के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के सेवा प्रदाताओं से अब चार प्रतिशत सेवाएं सरकारी महकमों में लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए राज्य सरकार भंडार क्रय नियमों में बदलाव करेगी। अभी तक उत्पादन के मामले में यह आरक्षण था अब सेवाओं के क्षेत्र में भी यह आरक्षण लागू किया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सूक्ष्म एवं लघु उद्यम से वार्षिक खरीद के पच्चीस प्रतिशत मेंं से चार प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के स्वामित्व वाले उद्यमियों के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से खरीद के लिए चिन्हित किए गए है। ऐसे सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के निविदा प्रक्रिया में भाग लेने या निविदा टेंडर की अपेक्षाओं को पूरा करने और एल 1 मूल्य तक पहुंचने में असफल रहने की दशा में अनुसूचित जाति या जनजाति के स्वामित्व वाले उद्यमियों से खरीद के लिए चिन्हित चार प्रतिशत का अन्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से पूरा करने का नियम है। अभी तक सेवाओं के मामले में इस तरह की अनिवार्यता नहीं थी।
अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग इसके लिए नियमों में संशोधन कर रहा है। मध्यप्रदेश भंडार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 यथा संशोधित 2022 में नवीन प्रावधानों को समाहित करने के लिए कैबिनेट मे प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके तहत अब उत्पादों के अलावा सेवाएं प्रदान करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के सेवा प्रदाताओं से सूक्ष्म एवं लघु उद्यम से वार्षिक खरीद 25 प्रतिशत में से चार प्रतिशत अनुसूचित जाति या जनजाति के स्वामित्व वाले सेवा प्रदाताओं से लेना अनिवार्य किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट में चर्चा और मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा।

*इस तरह की सेवाओं में मिलेगा आरक्षण-*
विभिन्न विभागों में जो आउटसोर्सिंग पर भर्तियां की जाती है उनमें ऐसे सेवा प्रदाताओं से चार प्रतिशत सेवाएं लेना अनिवार्य होगा जो अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से आते है। इसके अलावा अन्य सेवाएं जैसे वाहन सेवाएं, मेस, मरम्मत और रखरखाव की सेवाएं, लांड्री के काम,  कंटनजेंसी सेवाएं, परामर्शदाता, कार्यालयों में सुरक्षा संबंधी सेवाएं, बीमा, स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाएं इसी तरह अन्य सभी तरह की सेवाओ के लिए चार फीसदी आरक्षण अनुसूचित जाति और जनजाति के सेवा प्रदाता से लेना अनिवार्य होगा पांच लाख से अधिक की सेवाओं के मामले में एक राष्ट्रीय और दो राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर प्रस्ताव बुलाना जरुरी होगा।