Crime Increased, People Started Selling Houses : अपराधियों से डरकर घर बेचने को मजबूर लोग!
Indore : पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद शहर में अपराध बढे हैं, अब इस बात में कोई शक नहीं। हत्याओं की संख्या बढ़ी, नशा बेचने वालों, लूटपाट करने की वारदातें कई गुना बढ़ गई और साइबर अपराध करने वालों की तो जैसे चांदी हो गई। रात का बाजार खुलने के बाद तो अपराध बेकाबू हो गए। अब तो बदमाशों से घबराकर लोग मकान बेचकर जाने की तैयारी करने लगे। रहवासियों ने बताया कि गड़बड़ी पुलिया से लगी हुई कॉलोनी होने के कारण आसपास की 10-12 टाउनशिप में यही सब होता है। इलाके में चोरी और महिलाओं, बच्चियों से छेड़छाड़ होती है। छोटे बच्चे भी यहां नशा करते हैं।
राजेन्द्र नगर इलाके की ट्रेजर टाउन की ईडब्लयूएस टाउनशिप में रहने वाले तो गुंडागर्दी और नशा कारोबारियों के डरकर वहां से भागने लगे। बताते हैं कि बीते ढाई साल में दो दर्जन से ज्यादा परिवार यहां से मकान बेचकर चले गए। अभी भी कई लोगों ने अपने फ्लैट के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ के कागज चिपका रखे हैं। यहां रहने वालों का कहना है कि यहां के बदमाशों और नशा बेचने वालों की सबको शिकायत कर चुके हैं। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं होती! ऐसे में हमारे पास घर बेचकर जाने के अलावा कोई उपाय नहीं है।
25 परिवार घर बेच गए
ट्रेजर टाउन की ईडब्लयूएस टाउनशिप के करीब दर्जनभर परिवारों ने अपने फ्लेट के बाहर ‘मेरा मकान बिकाऊ है’ के कागज चिपकाए हैं। वे यहां बढ़ते अपराध और नशा बेचने वालों से बहुत डरे हुए हैं। क्योंकि, अभी तक करीब 25 परिवार घर बेचकर चले गए। यहां मोहर सिंह, माखन पटेल, फूलचंद, प्रंशात पांडे, संदीप नामदेव, वीरेन्द्र नामदेव, प्रकाश देपालपुर, देवेन्द्र और त्रिलोक सिंह पटेल के घर बिकने के लिए तैयार हैं।
273 फ्लैट में करीब आधे किराएदार
यहां करीब 273 परिवार रहते हैं। इनमें 40% किराएदार हैं। अधिकतर किराएदारों की जानकारी राजेन्द्र नगर थाने पर दर्ज नहीं है। रहवासी थाना प्रभारी से भी मिले थे और उन्हें बढ़ते अपराधों से अवगत कराया, फिर भी कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद डीसीपी आदित्य मिश्रा से मुलाकात की और स्थिति बताई। तीन दिन बाद टीआई एक बार आए और इलाके का राउंड लगाकर चले गए।
पुलिस पेट्रोलिंग बंद हो गई
यहां के रहवासियों ने बताया कि पहले यहां जो थाना प्रभारी थे, उनके समय टाउनशिप में पेट्रोलिंग होती थी। इसके बाद आने वाले किसी थाना प्रभारी ने हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। कई बड़े अफसरों से भी हम मिले। लॉकडाउन के समय तत्कालीन डीसीपी महेशचंद जैन ने यहां कुछ नशाखोरी करने वालों और आवाराओं पर कार्रवाई की थी। कुछ समय अपराध कम हो गए, बाद में ध्यान नहीं दिया तो फिर वही हालत हो गए।