CBI Found IPS Guilty : सीबीआई इसलिए IPS मंजिल सैनी के पीछे पड़ी!
Lucknow : चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ने के आसार हैं। SSP मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तेज हो गई। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के मुताबिक ऐसे मामलों में अगर कोई IPS अधिकारी विभागीय कार्रवाई में दोषी पाया जाता है, तो बर्खास्तगी तक हो सकती है। 2017 में हुए श्रवण साहू हत्याकांड मामले में सीबीआई ने जांच तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया है।
मंजिल सैनी को श्रवण साहू की सुरक्षा में लापरवाही बरतने का दोषी माना गया था। लखनऊ की पोस्टिंग के दौरान उन्हें ‘लेडी सिंघम’ का नाम लोगों ने दिया था। सीबीआई ने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया था। इसको लेकर सीबीआई ने मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी। इस क्रम में शासन के आदेश पर शुरू की गई जांच में ADG (इंटेलिजेंस) भगवान स्वरूप को जांच अधिकारी और IPS संजीव त्यागी को प्रस्तुतीकरण अधिकारी बनाया गया है। विभागीय जांच के क्रम में 25 जून को बयान दर्ज कराने के लिए मंजिल सैनी को इंटेलिजेंस मुख्यालय बुलाया गया था।
डीएम और सीएओ एलआईयू भी दोषी
मंजिल सैनी मौजूदा समय में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनएसजी में डीआईजी के पद पर तैनात हैं। इस मामले में मंजिल सैनी के साथ सीबीआई ने जांच में तत्कालीन कलेक्टर (DM) गौरीशंकर प्रियदर्शी को भी लापरवाही के मामले में दोषी पाया था।
सीबीआई की जांच में सामने आया था कि प्रियदर्शी ने डीएम रहने के दौरान श्रवण साहू को सुरक्षा देने की फाइल को लटका कर रखा। सीबीआई की जांच में तत्कालीन सीओ एलआईयू एके सिंह भी दोषी पाए गए। विभागीय जांच में तेजी आने से आईपीएस मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कार्रवाई की सिफारिश संभव
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने डिपार्टमेंटल रूल्स का जिक्र किया। इसमें प्रावधान है कि अगर एविडेंस मिले हैं तो डिसमिसल यानी बर्खास्तगी से लेकर क्रिमिनल केस भी फाइल हो सकता है। उन्होंने बताया कि गंभीर आरोप होने पर वेतन रोकने, इंक्रीमेंट और प्रमोशन रोकने जैसी विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है।
जांच के दौरान अगर और साक्ष्य, कदाचार के मामले आते हैं तो उसमें एंटी करप्शन का केस दर्ज कर विजिलेंस के साथ एंटी करप्शन की जांच भी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने पुराने प्रकरण का जिक्र करते हुए बताया कि एक आईपीएस अफसर विदेश से कैमरा लाए थे। इस दौरान उनकी गलती ये थी कि उन्होंने ड्यूटी नहीं जमा की। इस मामले में विभागीय जांच हुई और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। पूर्व डीजीपी ने बताया कि जांच अधिकारी साक्ष्य के आधार पर विभाग और शासन को कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकते हैं।
मांगी थी सुरक्षा मिली मौत
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (2017) से पहले लखनऊ में सआदतगंज के कारोबारी श्रवण साहू को बदमाशों ने गोलियों से भून दिया था। इससे पहले उनके बेटे आयुष की हत्या कर दी गई थी, जिसके वो गवाह थे और बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पैरवी कर रहे थे। उन्हें बेटे के हत्यारे जान से मारने की धमकी दे रहे थे। उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को भी दी, लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई गई। श्रवण साहू ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी और डीएम से भी सुरक्षा की गुहार लगाई थी। 1 फरवरी 2017 को बाइक सवार बदमाशों ने दुकान में घुसकर श्रवण साहू की हत्या कर दी थी।