Big Decision of US Supreme Court : यूनिवर्सिटी एडमिशन में नस्ल-जातीयता के उल्लेख पर लगाई रोक

अफ्रीकी-अमेरिकियों और अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षणिक अवसरों को मिलेगा बढ़ावा

933

Big Decision of US Supreme Court : यूनिवर्सिटी एडमिशन में नस्ल-जातीयता के उल्लेख पर लगाई रोक

मेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटी में एडमिशन को लेकर गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने एडमिशन में नस्ल और जातीयता के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस फैसले से दशकों पुरानी उस प्रैक्टिस को बड़ा झटका लगा है, जिसने अफ्रीकी-अमेरिकियों और अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षणिक अवसरों को बढ़ावा दिया है.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताई है.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने फैसले में लिखा, “छात्र के साथ एक व्यक्ति के रूप में उसके एक्सपीरिएंस के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए, नस्ल के आधार पर नहीं.” कोर्ट के फैसले पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा, “इसने हमें यह दिखाने का मौका दिया कि हम एक सीट से कहीं अधिक योग्य हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी किसी आवेदक के पर्सनल एक्सपीरिएंस पर विचार करने के लिए स्वतंत्र है. उदाहरण के लिए वे नस्लवाद का अनुभव करते हुए वे नस्लवाद का अनुभव करते हुए बड़े हुए हों, लेकिन मुख्य रूप से इस आधार पर फैसला लेना कि आवेदक अश्वेत है, काला है, अपने आपमें नस्लीय भेदभाव है. चीफ जस्टिस ने कहा कि संवैधानिक इतिहास उस विकल्प को बर्दाश्त नहीं करता है.

स्टूडेंट्स ग्रुप की पिटीशन पर फैसला

कोर्ट ने यह फैसला एक्टिविस्ट ग्रुप स्टूडेंट्स फॉर फेयर एडमिशंस की पिटीशन पर दिया है. इस ग्रुप ने हायर एजुकेशन के सबसे पुराने प्राइवेट और सरकारी संस्थानों में खास तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और उत्तरी कैरोलिना यूनिवर्सिटी (UNC) पर उनकी एडमिशन की नीतियों को लेकर केस दायर किया था. पिटीशन में दावा किया गया था कि नस्ल प्रेरित एडमिशन प्रतिस्पर्धा करने वाले समान या अधिक योग्य एशियाई-अमेरिकियों के साथ भेदभाव करता है.

Mary Milben Touched PM Modi’s feet: अमेरिकी गायक मैरी मिलबेन ने पहले गाया भारतीय राष्ट्रगान जन-गण-मन, फिर छुए पीएम मोदी के पैर

राष्ट्रपति बाइडेन ने जताई फैसले पर आपत्ति

वहीं अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर राष्ट्रपति बाइडेन ने आपत्ति जताई है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “दशकों से, सुप्रीम कोर्ट ने एक कॉलेज को यह फैसला लेने की छूट दी है कि कैसे विविध छात्र समूह बनाया जाए और अवसर कैसे प्रदान किया जाए. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दशकों की मिसाल से दूर चला गया. मैं इस फैसले से पूरी तरह असमहत हूं.”

बाइडेन ने आगे कहा कि मैं देश के कॉलेजों से कहना चाहता हूं क्योंकि वे आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपने एडमिशन सिस्टम का रिव्यू कर रहे हैं. उन्हें अमेरिका को प्रतिबिंबित करने वाले अलग-अलग बैकग्राउंड और एक्सपीरिएंस वाले छात्र समूहों को सुनिश्चित करना चाहिए.

Award Ceremony of NAI At Washington DC: दुनिया के 95 वैज्ञानिकों में MP की बेटी पल्लवी तिवारी भी शामिल 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले बराक ओबामा

वहीं इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, “अधिक न्यायपूर्ण समाज की दिशा में सकारात्मक विभेद कभी भी पूरा उत्तर नहीं था, लेकिन उन छात्रों की पीढ़ियों के लिए जिन्हें अमेरिका के अधिकांश प्रमुख संस्थानों से व्यवस्थित रूप से बाहर रखा गया था, इसने यह दिखाने का मौका दिया कि हम एक सीट से कहीं अधिक योग्य हैं.”

आज का विचार : 61 वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी द्वारा सभी वरिष्ठ नागरिकों को उत्तम संदेश ,जरुर पढ़िए शायद कोई एक आदत बदल जाए !