सुनी सुनाई: मंत्री पर ट्रिपल मर्डर का आरोप!

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सुनी सुनाई: मंत्री पर ट्रिपल मर्डर का आरोप!

मप्र के एक मंत्री हत्या के आरोप में जेल में रह चुके हैं। मंत्री जी के ही समाज के एक युवक ने उनके गृह जिले में मंत्री जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। युवक आम आदमी पार्टी का जिलाध्यक्ष रह चुका है। युवक के पिता कभी मंत्री जी के खास समर्थक थे, लेकिन युवक से मंत्री जी की पटरी नहीं बैठती। युवक का आरोप है कि मंत्री जी उसे जेल भी भिजवा चुके हैं। जेल से छूटकर युवक ने मंत्री जी पर हमले तेज कर दिये। पहले इस युवक ने मंत्री जी पर 500 करोड़ की कथित कमाई के आरोप लगाये। इसी बीच कुछ लोगों ने युवक पर हमला बोला। इससे युवक तिलमिला गया। बीते रविवार को युवक ने फेसबुक पर लगभग 15 मिनट का वीडियो बनाकर वायरल कर मंत्री जी पर तीन मर्डर करने का आरोप लगा दिया है। एक मामला सबको पता है। दो मामले जल्दी उजागर करने की धमकी भी दी है।

निशा बांगरे ने की राहुल गांधी की नकल!

मप्र राज्य प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र देने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अब राजनीति के दांवपेच सीख गई हैं। उन्होंने भोपाल में अपना सरकारी मकान खाली करते समय राहुल गांधी की तरह वीडियो बनाकर उनकी नकल करने की कोशिश की। जिस तरह संसद सदस्यता चले जाने पर राहुल गांधी से सरकारी आवास खाली कराया तो उन्होंने घर खाली करने का बेहद मार्मिक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। इसमें वे आवास विभाग के अफसरों को चाबी सौंपते दिख रहे हैं। निशा बांगरे को भी राज्य सरकार ने सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भेजा तो उन्होंने भी अपने पति और मासूम बच्चे के साथ घर खाली करने का मार्मिक वीडियो बनाकर फेसबुक पर पोस्ट किया। यानि आप मान कर चलिये निशा मेडम में राजनेताओं के गुण दिखने लगे हैं। वैसे भी वे आमला से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ही रही हैं।

रोशनी की अर्जी सेक्शन!

मप्र की राजनीति में रोशनी यादव अचानक चर्चा में हैं। उनकी तीन पहचान हैं। पहली वे मप्र के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव की बहू हैं। दूसरी वे मप्र के निवाडी से जिला पंचायत सदस्य हैं और तीसरी वे निवाडी विधानसभा से भाजपा में टिकट की दावेदारी कर रही हैं। रोशनी यादव अच्छी गायिका भी हैं। वे भजन गाती हैं। स्वयं को राजनीति में स्थापित करने उन्होंने इस सप्ताह ओरछा में संत समागम कराया। तय है कि संतों को उन्होंने बुलाया तो संत, रोशनी की ही तारीफ करेंगे। संत समागम में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री भी पहुंचे। भक्तों की अर्जी लगाने वाले बागेश्वर महाराज ने अपनी मजाकिया शैली में घोषणा कर दी कि रोशनी की अर्जी सेक्शन, इसीलिए विरोधियों को टेंशन। महाराज की इस घोषणा के बाद रोशनी यादव फूली नहीं समां रहीं हैं। दूसरी ओर निवाडी के मौजूदा विधायक अनिल जैन कतई टेंशन में नहीं हैं। उनका दावा है कि निवाडी में उनका काम बोल रहा है। भाजपा का टिकट उन्हें ही मिलेगा।

विभागों को फरमान, केंद्र से पैसा नहीं मांगें

मप्र सरकार हर महीने कर्ज उठा रही है, लेकिन केंद्र पोषित योजनाओं से पैसा लेने से पीछे हठ रही है। मप्र सरकार ने सभी विभागों को मौखिक फरमान भिजवा दिया है कि केंद्र से पैसा नहीं मांगें। खासकर ऐसी योजनाएं जिनमें राज्य सरकार को अपना हिस्सा देना पड़ता है। ऐसी योजनाओं के लिए केंद्र की शर्त है कि राज्य पहले अपना हिस्सा जमा करें, तभी पैसा मिलेगा। नहीं तो ब्याज भी देना पड़ सकता है। इसलिए राज्य सरकार ने फिलहाल केंद्र की साझेदारी वाली योजनाओं से पैर पीछे खींच लिए हैं। बताते हैं कि सरकार का खजाना सूख गया है। चूकि चुनावी साल है इसलिए शोर-गुल में इसकी खबर सत्ता के बंद कमरों से बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं।

राजा और नायक में टकराव!

पन्ना जिले की पवई सीट से कांग्रेस के दो पूर्व मंत्रियों ने दावा ठोक दिया है। पूर्व मंत्री मुकेश नायक और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया दोनों ने सीट से चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है। संयोग से दोनों ब्राह्मण हैं और दोनों का गृह जिला दमोह है। मुकेश नायक आजकल कमलनाथ के नजदीक हैं, जबकि राजा पटेरिया पर दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह का हाथ है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी करने पर राजा पटेरिया को जेल जाना पड़ा था। उन्हें पवई जेल में रखा गया था। खबर आ रही है कि लंबे समय तक जेल में रहने के कारण पवई के मतदाताओं में राजा पटेरिया के प्रति सहानुभूति दिखाई दे रही है। दिग्विजय सिंह इसी सहानुभूति को भुनाने राजा के साथ दिखाई दे रहे हैं। तय है टिकट को लेकर राजा और नायक में टकराव तय है।

चर्चा में आशीष-पीयूष!

मप्र की राजनीति में इस समय आशीष और पीयूष काफी चर्चा में हैं। आशीष अग्रवाल पिछले दिनों मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी बनाये गये हैं। वे अपनी शालीनता, मिलनसारिता और कुशल मंच संचालन के अलावा मप्र के लगभग सभी जिलों के वरिष्ठ पत्रकारों से जीवंत संपर्क बनाने के लिए चर्चा में हैं। जबकि दिल्ली में लंबे समय तक धारदार पत्रकारिता करने के बाद कमलनाथ के मीडिया सलाहकार बने पीयूष बबेले अपनी तीखी शैली और शब्दों से हमला करने के कारण चर्चा में हैं। इस समय मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग को आक्रमक दिशा देने का काम पीयूष बबेले और केके मिश्रा मिलकर कर रहे हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि पिछले महीने जबलपुर आईं प्रियंका गांधी का भाषण अंग्रेजी में पीयूष बबेले ने ही लिखा था। कमलनाथ के आक्रामक ट्वीट और कांग्रेस प्रवक्ताओं के तीखे तेवरों के पीछे भी पीयूष की रणनीति काम कर रही है।

और अंत में…!

मप्र के आयुष विभाग को मप्र कोटे से केन्द्र में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का सही नाम भी नहीं मालूम है। 21 जून को जबलपुर में योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन के चीफ गेस्ट भारत के उप राष्ट्रपति थे। इस आयोजन के लिए छपवाये गये आमंत्रण पत्र में केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह के स्थान पर उनका नाम फग्गल सिंह कुलस्ते छापा गया। जबलपुर के मीडिया में आयोजन से ज्यादा चर्चा आमंत्रण पत्र पर छपे गलत नाम की हुई। आखिर केन्द्रीय मंत्री का नाम गलत कैसे छपा?