50 Years on Stage : कवि और सूत्रधार सुभाष काबरा के मंचीय जीवन का अर्धशतक!
Mumbai : देश के नामचीन मंचीय कवि और संचालक सुभाष काबरा ने अपने मंच जीवन का अर्धशतक पूरा कर लिया। इस अवसर पर उन्हें मीरा भायंदर नागरिक संस्था ने एक भव्य कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया। समारोह के संयोजक गजेंद्र भंडारी ने कहा कि इतनी लंबी और सफल पारी खेलने वाले मंच पर कम ही कवि हैं। हमें उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।
1973 में अकोला के एक कवि सम्मेलन से अपने मंचीय जीवन की शुरुआत करनेवाले सुभाष काबरा अब तक 4000 छोटे बड़े कवि सम्मेलनों में शिरकत कर चुके हैं। 500 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम, 4 टेली फिल्म, 300 से ज्यादा विभिन्न धारावाहिकों में लेखन के अलावा उनकी 6 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। उन्हें प्रतिष्ठित ‘रामनाथ गोयनका साहित्य रत्न’ पुरस्कार के अलावा महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी का सोहनलाल द्विवेदी पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। वे माहेश्वरी रत्न सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं।
पढ़ने-लिखने के संस्कार उन्हें अपनी माता लक्ष्मी देवी से मिले, जो धार्मिक पुस्तकें पढ़ती थी। उनसे प्रेरणा लेकर सुभाष काबरा ने हास्य व्यंग्य को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया। उनका मानना था कि तनाव भरे जीवन में हंसने के मौके बहुत कम आते हैं। मर्यादित हास्य हमेशा तनाव से मुक्ति देता है। पांच दशक तक मंच और साहित्य को पूरी तरह से जीने के बाद 69 साल की उम्र में भी सुभाष काबरा आज भी उतने ही सक्रिय हैं, जितने शुरुआती दौर में रहे।
देश-विदेश की यात्राओं के अलावा साहित्य अकादमी का सम्मान और स्वर्ण पदक सहित समाज और देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार, पुणे विश्वविद्यालय के कोर्स में रचनाएं, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से विद्यासागर की मानद उपाधि और देश के लगभग सभी बड़े अखबारों और पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ। सुभाष काबरा की सफलता की कहानी उनका व्यक्तित्व खुद कहता है। जमीन से जुड़े सरल व्यक्तित्व वाले सुभाष कब्र में सबको अपना बना लेने और सभी के साथ घुलमिल जाने की अद्भुत क़ाबलियत है। उनका सामाजिक लेखन और शानदार टिप्पणियों में उनका कोई सानी नहीं है।