16 नवम्बर को गुलशन नंदा की पुण्यतिथि होती है। 56 साल की आयु में उनकी मृत्यु 1985 में हो गई थी।
पिछले दिनों मुझे ‘दिनमान’ साप्ताहिक की वह कतरन मिल गई, जिसमें गुलशन नंदा से इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था।
1981 की बात है। मैं ‘धर्मयुग’ में उप संपादक के लिए इंटरव्यू देने गया था। लिखित परीक्षा, प्राथमिक इंटरव्यू और एच आर के इंटरव्यू के बाद सबसे अंत में डॉ धर्मवीर भारती इंटरव्यू लेने वाले थे। मेरा नंबर आया।
भारती जी ने मुझसे पूछा कि क्या पढ़ते हो ?
मैंने कहा – सब कुछ।
उनका सवाल था – क्या मतलब?
मैंने कहा कि कचोरी की पुड़िया के कागज पर भी जो छपा हुआ हो,वह भी पढ़ लेता हूँ।
भारती जी भी मुस्कुराए। बोले -तुम्हारा प्रिय लेखक कौन है?
मैंने कहा – गुलशन नंदा!
भारती जी ने पूछा क्यों? गुलशन नंदा क्यों पसंद है??
मैंने कहा कि अच्छी रोमांटिक कहानी होती है और भाषा बड़ी सरल होती है। मैंने तो यह तक सुना है कि लोग गुलशन नंदा के उपन्यास पढ़ने के लिए हिन्दी सीख रहे हैं। मुझे उन कहानियों पर बनी हुई फिल्में भी अच्छी लगती हैं।
खैर, इंटरव्यू खत्म हुआ। मैं बाहर निकला तो साथियों ने जानना चाहा कि तुमसे क्या पूछा गया?
मैंने सब कुछ सच-सच बताया। एक मित्र ने कहा कि तुमने गलत कहा। तुम रिजेक्ट हो जाओगे! मैं होता तो गुलशन नंदा की जगह धर्मवीर भारती का नाम प्रिय लेखक के रूप में बताता। कुछ क्षणों के लिए मुझे लगा कि शायद मैंने गलत बात कही और मेरा चयन नहीं होगा। लेकिन धर्मयुग में मेरा चयन हो गया। शायद भारती जी को मेरी ईमानदारी से कही बात पसंद आ गई थी!
कुछ समय बाद मैं नवभारत टाइम्स में भेज दिया गया। तब दिनमान के लिए मुंबई से रिपोर्टिंग भी करने लगा।
दिनमान के संपादक कन्हैयालाल नंदन जी ने एक दिन मुझे फोन किया और कहा कि गुलशन नंदा का इंटरव्यू करके भेज दो। मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने अपॉइंटमेंट लिया और बांद्रा पश्चिम के पाली हिल स्थित गुलशन नंद के घर पहुंच गया। उन्होंने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया इंटरव्यू खत्म होने के बाद जब मैं आने लगा तो उन्होंने कहा कि रुको, अभी तो और गपशप करनी है। उनके यहां हर आधे घंटे में चाय पीने को मिली, क्योंकि चाय का शौकीन मैं भी था वह तो थे ही! उस दिन आधा दर्ज़न चाय पीने को मिली।
जब वह इंटरव्यू दिनमान (6-12 मार्च 1983) में छपा तब मिश्रित प्रतिक्रियाएं रहीं। यहां संलग्न है दिनमान के उस इंटरव्यू की कतरन!
मुझे उस दौर में दिनमान के लिए कई दिलचस्प लोगों के इंटरव्यू करने का मौका मिला, जिनमें दत्ता सामंत, ट्रेड यूनियन लीडर आरजे मेहता और चांद बीवी, अब्दुल रहमान अंतुले, एम एफ हुसैन, राज बब्बर, शोभा डे, दादा कोंडके आदि नाम शामिल है। उनके बारे में फिर कभी!