आदिवासी युवा महापंचायत में सवाल उठाया ‘आदिवासियों की पहचान को खत्म किया जा रहा!’

कमलनाथ ने कहा 'मैं आदिवासियों के साथ काम करते हुए बड़ा हुआ!'

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आदिवासी युवा महापंचायत में सवाल उठाया ‘आदिवासियों की पहचान को खत्म किया जा रहा!’

Indore : पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह दोपहर में स्कीम 54 स्थित नक्षत्र गार्डन में आदिवासी युवा महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान कन्हैया कुमार भी उनके साथ थे। इस दौरान उन्होंने आदिवासी युवाओं को संबोधित किया। आदिवासी युवा महापंचायत में आदिवासी समाज ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समक्ष अपनी मांगें रखी।

कमलनाथ ने कहा, मैं उस जिले से आता हूं जिसकी आदिवासी आबादी आपके जिले से दोगुनी है। मुझे गर्व है कि आदिवासियों के साथ काम किया, जब मैं जवान था, बूढ़ा नहीं हुआ हूं। कमलनाथ ने कहा, पातालकोट का नाम सुना होगा जहां तीन घंटे पैदल चलना पड़ता था। आदिवासी भाई आम की गुठली को सुखाकर आटा बनाते थे, जो लोग सीमित कपड़े पहनते थे वे आज जींस-टीशर्ट में नजर आते हैं। कमल नाथ ने कहा, मैं यहां मौजूद बच्चों से कहता हूं, आप छिंदवाड़ा जाकर देखें, हर गांव में बिजली पहुंचाई, सड़के बनवाई। पुरानी पीढ़ी ने अपना जीवन काट लिया था, लेकिन मुझे आने वाली पीढ़ी की चिंता थी।

जमीन पर कब्जा हो रहा

कमलनाथ ने कहा कि मैंने नारा दिया था, आप गड्ढे खोदना जानते हैं, लेकिन मुंह चलाना (बोलना) भी सीखें। मप्र आदिवासियों की जगह है, जिन्हें पट्टा देने वाला होना था, आज उन्हें पट्टा मांगना पड़ रहा है। आपको कहना होगा कि हमारी जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है।

रोजगार युवाओं का अधिकार है

प्रदेश का निर्माण आप युवा करेंगे, लेकिन मेरी चिंता यही है कि आप नौजवान का क्या होगा। ये रोजगार की मांग करते हैं, यह मांग नहीं इनका अधिकार है। यहां भ्रष्टाचार चरम पर है, मप्र में भ्रष्टाचार व्यवस्था बन चुका है। ये सोचते हैं मप्र के मतदाता बिकाऊ हैं।

किसानों का कर्ज माफ किया

कमलनाथ ने कहा कि मैंने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया। मैं मुख्यमंत्री था, सौदा कर सकता था, मगर सौदे से कुर्सी पर बैठने को तैयार नहीं था। आज चुनाव हमारे सामने हैं। यह चुनाव एक पार्टी या उम्मीदवार का नहीं, मप्र के भविष्य का है। इनके (भाजपा) के पास सिर्फ पुलिस, पैसा और प्रशासन बचा है।

आदिवासियों को गुमराह किया जा रहा

कन्हैया कुमार ने आदिवासी युवा महापंचायत में कहा, मैं आदिवासी समाज के मांग पत्र का समर्थन करता हूं। आदिवासी मांग पत्र में एक जगह लिखा था, आदिवासी महापुरुष…. मैं बताना चाहता हूं आदिवासियों में महिला और पुरुष में भेद नहीं होता है। यही आदिवासियों की संस्कृति है।

आदिवासियों की पहचान को वनवासी बताया जा रहा है, गुमराह किया जा रहा है। देश की राष्ट्रपति भी आदिवासी हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आदिवासियों का संसद में स्थान सुनिश्चित किया था।