भू-अर्जन करने वाले विकास प्राधिकरण अब राजस्व रिकार्ड में बनेंगे मालिक

PS राजस्व ने सभी कलेक्टरों को लेंड टाईटिल प्राधिकरणों के नाम पर दर्ज करने दिए निर्देश

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भू-अर्जन करने वाले विकास प्राधिकरण अब राजस्व रिकार्ड में बनेंगे मालिक

भोपाल
नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम के अंतर्गत मास्टर प्लान में स्वीकृत आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं के लिए निजी भूमि अर्जित करने वाले विकास प्राधिकरणों के नाम से अब यह भूखंड राजस्व रिकार्ड में दर्ज किए जाएंगे जो भूखंडों को विकसित करने के बाद प्राधिकरण के हिस्सें में आते है। यदि ज्वाइंट वेंचर में किसानों से भूखंड लेकर उन्हें विकसित कर योजना तैयार की जाती है तो इसमें किसानों और भू स्वामियों के हिस्से में आने वाले भूखंड पर उनका नाम रहेगा और जितना हिस्सा विकास प्राधिकरणों के पाए आएगा उसे राजस्व रिकार्ड में भी प्राधिकरणों के नाम दर्ज किया जाएगा।

राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए है कि ऐसे मामलों में नगर एवं ग्राम निवेश द्वारा स्वीकृत योजनाओं में जमीन के लेंड टाइटिल आईडीए और अन्य विकास प्राधिकरणों के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने की कार्यवाही की जाए। ताकि इस संबंध में यदि किसी तरह के विवाद होते है और न्यायालय में मामले जाते है तो वहां विकास प्राधिकरण अपना रक्ष रख सके। इसके लिए सभी जिलों में तहसीलदारों से कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। कलेक्टरों को कहा गया है मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम और उसके अंतर्गत बने नियमों के अनुसार नगर विकास स्कीम तैयार किए जाने की कार्यवाही की जाती है और इन नियमों के प्रारुप बीस के अनुसार सर्वेक्षण अभिलेखों-भू अभिलेखों में सुधार के लिए अंतिम नगर विकास स्कीम के मानचित्र तथा संबंधित अभिलेखों में सुधार की अपेक्षा करते हुए यदि विकास प्राधिकरण के कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किए जाते है तो ऐसे पत्र के साथ उपलब्ध कराए गए विभिन्न प्रारुपों में उपलब्ध कराई गई जानकारी, तथ्यों को विचार में लेते हुए मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता और उसके अंतर्गत बने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता भू सर्वेक्षण तथा भू अभिलेख नियम के प्रावधानों के अनुसार भू अभिलेख को अद्यतन किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

यह होगा फायदा-
विकास प्राधिकरणों द्वारा शहर के विकास के लिए निजी जमीन आपसी सहमति के आधार पर भूमिस्वामियों से लेकर उस पर योजना तैयार की जाती है। यहां भूखंड विकसित करने पर आने वाले खर्च का आंकलन करने के बाद इनमें से कुछ भूखंड भूमिस्वामियों को दिए जाते है और शेष की बिक्री विकास प्राधिकरणों द्वारा की जाती है। इसके बाद जो उस भूखंड को खरीदते है उन्हें वहां निर्माण और विकास कार्य करने की अनुमतियां दी जाती है। लेकिन इन भूखंडों पर संबंधित भूस्वामियों का नाम दर्ज रहता है इसके चलते जब बकाया कर वसूली की स्थिति बनती है तो भूमिस्वामी जमीन उनकी न होंने की जानकारी देते है और मामले न्यायालय में जाते है। राजस्व रिकार्ड में सुधार होगा तो इन सभी विवादों से बचा जा सकेगा।