Kissa-A-IAS : चिकनगुनिया और फ्रैक्चर के बावजूद डॉक्टर बनी IAS अधिकारी, अब है चर्चा में!

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Kissa-A-IAS : चिकनगुनिया और फ्रैक्चर के बावजूद डॉक्टर बनी IAS अधिकारी, अब है चर्चा में!

अभी इस बात को ज्यादा दिन नहीं बीते जब आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले की ज्वाइंट कलेक्टर (IAS) अपराजिता सिंह सिनसिनवार ने एक ट्रेनी IPS अधिकारी देवेन्द्र कुमार के साथ शादी की। किसी की शादी होना बड़ी बात नहीं, पर इस शादी की खासियत यह रही कि ये शादी अपराजिता के दफ्तर में ही हुई। नवयुगल एक-दूसरे को फूलमाला पहनाकर जीवनसाथी बन गए। इस मिलन के साक्षी बने कृष्णा जिले के कलेक्टर पी राजा बाबू और दूसरे अधिकारी और कर्मचारियों ने नए जोड़े को बधाई दी।

Kissa-A-IAS : चिकनगुनिया और फ्रैक्चर के बावजूद डॉक्टर बनी IAS अधिकारी, अब है चर्चा में!

अपराजिता सिंह के लिए नई बात नहीं, वे ऐसे अनोखे कारनामे करती रही हैं। प्रशासनिक सेवा में आने से पहले वे डॉक्टर बनी। अपराजिता सिंह ने डॉक्टर बनने के बाद यूपीएससी परीक्षा का पहला अटेंप्ट 2017 में दिया। लेकिन, इसमें वे क्वालीफाई नहीं कर पाई। उन्होंने फिर मेहनत से तैयारी शुरू की और 2018 में 82वीं रैंक के साथ सफल हो गई। लेकिन, उनकी यह सफलता आसान नहीं थी। परीक्षा की तैयारी के दौरान ही उन्हें चिकनगुनिया हो गया। उसके ठीक होते ही फ्रैक्चर हो गया। इसके बावजूद उन्होंने तैयारी में कोई ब्रेक नहीं लिया और इसका नतीजा अच्छा रहा। यूपीएससी की तैयारी शुरू की, तो बाकी लड़कियों की तरह उन्हें भी लोगों के ताने सुनने को मिले, पर उन्होंने अपना लक्ष्य ध्यान में रखा और मेहनत जारी रखी।

Kissa-A-IAS : चिकनगुनिया और फ्रैक्चर के बावजूद डॉक्टर बनी IAS अधिकारी, अब है चर्चा में!

IAS अपराजिता सिंह सिनसिनवार का पूरा परिवार डॉक्टर है। उसके पिता डॉ अमर सिंह सिनसिनवार हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं, मां डॉ नीता स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। पिता पहले गवर्नमेंट हॉस्पिटल में डॉक्टर थे। वहां से वीआरएस लेने के बाद अब वे भरतपुर में अपना नर्सिंग होम संचालित करते हैं। अपराजिता के दोनों छोटे भाई उत्कर्ष और आयुष ने भी एमबीबीएस किया है। परिवार राजस्थान का है, पर अपराजिता की पढाई हरियाणा के रोहतक में अपने नाना-नानी के घर में रहकर हुई। वहीं से उन्होंने 2017 में एमबीबीएस की डिग्री ली। अपराजिता पढाई के दौरान बेहद प्रतिभाशाली रही।

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अपराजिता की कहानी भले ही आसान लगती हो, लेकिन यहां तक पहुंचने की उनकी यात्रा मुश्किलों से भरी रही। वे बचपन से ही माता-पिता से दूर नाना-नानी के साथ रहती थी। स्कूल के दिनों में वे एवरेज स्टूडेंट हुआ करती थी। उनकी हैंडराइटिंग भी अच्छी नहीं थी। इस वजह से टीचर कॉपी तक नहीं पढ़ना नहीं चाहते थे। एक बार तो टीचर ने कॉपी जांचने से इंकार ही कर दिया था। क्योंकि, उन्हें अपराजिता की कॉपी ही समझ में नहीं आई। इसके बाद अपराजिता ने अपनी कमजोरी पर काम करना शुरू किया। फिर एक दिन वो भी आया जब उन्हें स्कूल में बेस्ट हैंडराइटिंग का अवॉर्ड मिला।

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अपराजिता एक महीने की थी, तभी उनके माता-पिता उसे नाना-नानी के घर छोड़ गए थे। ऐसे में माता-पिता का प्यार उन्हें नाना-नानी से मिला। आईएएस बनने के पीछे भी नाना-नानी का अहम योगदान रहा। बचपन में जब वो एक दिन नाना के साथ बाहर जा रही थी, तब रास्ते में किसी कलेक्टर की गाड़ी गुजरी, जिसे देखकर अपराजिता ने जिज्ञासा से नाना से पूछा कि ये कौन है? नाना ने बताया कि ये कलेक्टर हैं। जब आप सोसायटी के लिए कुछ करना चाहते हो, तो यहां पहुंचकर कर सकते हैं। इसी दिन अपराजिता ने आईएएस बनने का ख्वाब पहली बार देखा।

अपराजिता बचपन में शारीरिक तौर पर काफी कमजोर थी। इसके बावजूद वो जो भी काम करती उसमें जीत जरूर हासिल करती, ऐसे में उसके नाना ने उनका नाम अपराजिता रखा, जिसका मतलब होता है कभी हार न मानने वाली। यही सिद्धांत अपराजिता ने अपने जीवन में भी जारी रखा। अपराजिता मानती हैं कि व्यक्ति अगर खुद से वादा कर ले, तो उसे पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता। यही नहीं उनके जीवन में एक वक्त ऐसा था जब वो अपनी ड्यूटी और तैयारी दोनों एक साथ कर रही थी। उन्हें चिकनगुनिया और फिर फ्रैक्चर हो गया। इसके बाद उन्हें लगा कि अब उनसे कुछ नहीं हो सकता। लेकिन, उन्होंने खुद से किया वादा नहीं छोड़ा। इसलिए वे मानती हैं कि जब तक मंजिल न मिले, तब तक हार नहीं माननी चाहिए। फ़िलहाल वे आंध्र प्रदेश कैडर में कार्यरत हैं। वे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 47 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। वे सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर करती रहती हैं।