“शाही रणनीति” का पहला कदम…

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“शाही रणनीति” का पहला कदम…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के मुकाबले में भाजपा ने 17 अगस्त को पहली बड़ी सूची जारी कर यह जता दिया है कि “शाही रणनीति” चौंकाने वाली रहेगी। इस सूची में पुराने कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी गई है तो नए चेहरों को अवसर देकर पार्टी लाइन को आगे बढ़ाया गया है। 39 हारी हुई विधानसभा सीटों पर करीब तीन माह पहले चेहरे तय कर भाजपा ने उम्मीदवारों को साम, दाम, दंड और भेद अपनाकर जमीन को अपने अनुकूल बनाने का पूरा अवसर दिया है। तो यह संकेत भी दिया है कि पार्टी स्तर पर कोई कसर बाकी नहीं रहने देंगे। दिग्गज चेहरों को विजय मंत्र पर अमल करने का पूरा वक्त है। पार्टी के रूठे कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर लें, मान-मनौव्वल की रस्में पूरी कर लें और जीत की जमीन को पक्का कर 2023 में अपनी सफल आहुति देकर भरोसे पर खरे उतरें। कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाए कि पार्टी उनके विश्वास पर खरा उतरने में चूक नहीं करती है। पार्टी ने यह भी बताने की कोशिश की है कि 2023 के रण में वह भयमुक्त और विश्वासयुक्त रहकर मुकाबला जीतने का दम रखती है। उन कार्यकर्ताओं को भी खुली छूट दी है, जो टिकट न मिलने पर पाला बदलने का भ्रम अपने मन में पाले हैं। तो विपक्षी खेमे में खलबली मचाने की मंशा भी सूची पहले जारी करने की रणनीति में शामिल है। ऐसे समय में जब विपक्षी दल में प्रदेश प्रभारी बदलने का दौर चल रहा है, तब भाजपा की पहली सूची मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की अपेक्षा ‌लिए भी नजर आ रही है। वैसे तो 2018 के परिणाम से आकलन किया जाए तो अभी 75 वह सीट बाकी हैं। हालांकि उपचुनाव परिणामों में करीब दो दर्जन सीटें भाजपा के खाते में दर्ज हो गईं हैं। तब भी चार दर्जन से ज्यादा सीटें अब भी बाकी हैं, जिन्हें जीतने के लिए भाजपा को समय रहते एक और बड़ी सूची जारी करनी पड़ेगी।

भाजपा की 39 की पहली सूची में 5 महिला उम्मीदवार सबलगढ़ से सरला विजेंद्र रावत, चाचौड़ा से प्रियंका मीणा, छतरपुर से ललिता यादव, पेटलावद से निर्मला भूरिया और जबलपुर पूर्व से अंचल सोनकर शामिल हैं। आठ अनुसूचित जाति उम्मीदवारों में एक महिला उम्मीदवार सहित गोहद से लाल सिंह आर्य, गुन्नौर से राजेश कुमार वर्मा, गोटेगांव से महेंद्र नागेश, सोनकच्छ से राजेश सोनकर, महेश्वर से राजकुमार मेव, तराना से ताराचंद गोयल और घट्टिया से सतीश मालवीय शामिल हैं। 13 अनुसूचित जनजाति उम्मीद्वारों में एक महिला उम्मीदवार सहित पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम, बडवारा से धीरेंद्र सिंह,शाहपुरा से ओमप्रकाश धुर्वे, बिछिया से डॉ. विजय आनंद मरावी, बैहर से भगत सिंह नेताम, बरघाट से कमल मस्कोले, पांढुर्ना से प्रकाश उइके, भैंसदेही से महेंद्र सिंह चौहान, अलीराजपुर से नागर सिंह चौहान, झाबुआ से भानु भूरिया, कुक्षी से जयदीप पटेल और धरमपुरी से कालू सिंह ठाकुर शामिल हैं। पांच सामान्य उम्मीद्वारों में भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा भोपाल मध्य से ध्रुव नारायण सिंह चित्रकूट से सुरेंद्र सिंह गहरवार शामिल हैं। इसके अलावा ओबीसी उम्मीदवार सूची में महिलाओं सहित तेरह शामिल हैं। पहली बार के 11 उम्मीदवार, 40 से कम उम्र के 07, 40 से 50 उम्र के 10, 50 से 60 उम्र के 13, 60 से 70 उम्र के 07 और 70 से ज्यादा उम्र के मात्र 02 उम्मीदवार हैं।

यानि सारी तस्वीर साफ है। “शाही रणनीति” में पहली बार के नए चेहरे करीब तीस फीसदी शामिल हैं। तो 60 से 75 उम्र के नौ उम्मीदवार शामिल हैं। यानि सत्तर पार जिताऊ उम्मीदवारों की राह में कोई रुकावट नहीं है। लाल सिंह आर्य, राजेश सोनकर जैसे सभी चेहरे यह बता रहे हैं कि सिंधिया इफेक्ट के बाद भी पार्टी अपने काबिल उम्मीदवारों का पूरा ख्याल रखेगी। राऊ से मधु वर्मा का टिकट यह बता रहा है कि जिताऊ की अधिकतम संभावना वाला चेहरा ही पार्टी का फोकस है। तो “शाही रणनीति” का पहला कदम आगे बढ़ चुका है, जिसमें यदि और लेकिन की गुंजाइश न छोड़ने की कोशिश की गई है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर बैकफुट पर लाने का यह प्रयास भाजपा की “शाही रणनीति” का हिस्सा है…