भगवान श्री महाकालेश्वर की सप्तम सवारी: महाकाल की जय-जयकार से गुंजायमान हो उठी अवंतिका नगरी

नवीन रथ पर श्री जटाशंकर स्वरुप में विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन दिए

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भगवान श्री महाकालेश्वर की सप्तम सवारी: महाकाल की जय-जयकार से गुंजायमान हो उठी अवंतिका नगरी

उज्जैन से मुकेश भीष्म की रिपोर्ट

उज्जैन: श्रावण के सातवीं सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, नवीन रथ पर भगवान श्री महाकालेश्वर श्री घटाटोप स्वरुप और दूसरे नवीन रथ पर श्री जटाशंकर रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलें ।

भगवान श्री महाकालेश्‍वर के वैभव, एैश्‍वर्य व गरिमा की छटा चारों ओर देखतें ही बन रही थी ।

सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में सर्व प्रथम भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन कर भगवान की आरती की गई। पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न् कराया गया। इस दौरान पुजारी- पुरोहित, गणमान्य नागरिक व भक्त उपस्थित थे।

रजत पालकी में विराजित अवन्तिका के महाराज भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर को गणमान्यजनों ने कंधा देकर नगर भ्रमण की ओर रवाना किया।

पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य् द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई।

सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।

श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची रामघाट पर श्री चन्द्रमोलेश्वर व श्री मनमहेश का मॉ क्षिप्रा के जल से अभिषेक पूजन किया गया। पूजन -अर्चन के बाद भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से रामानुज कोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिकचौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची।

श्री गोपाल मंदिर पर परंपरानुसार सिंधिया स्टेट की ओर से गोपाल मंदिर के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन किया गया। इसके पश्चात सवारी गोपाल मंदिर से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में श्री जी के सभी विग्रहों के पूजन-आरती पश्चात सवारी का विश्राम हुवा।

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भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। श्रावण के सातवे सोमवार पर भगवान की सवारी के दौरान पूरी नगरी शिवमय हो गई। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ चल रहे थे। सम्‍पूर्ण मार्ग में चोपदार व तोपची भगवान के आगमन की सूचना देते हुए आगे चल रहे थे ।
भगवान के नगर भ्रमण पर भक्त ढ़ोलवादक, झांझवादक आदि अपने वाद्यों को बजाते हुए हर्षोंउल्‍हास के साथ अवन्तिका नाथ की भक्ति में लींन दिखायी दे रहे थे।

उज्जैन के कलाकार श्री के.बी.पंड्या अपनी टीम के साथ सम्पूर्ण सवारी मार्ग पर रंगोली बनाते हुए चल रहे थे। श्री पंड्या द्वारा विगत कई वर्षों से श्री महाकालेश्वर भगवान कि सवारी में सेवाए दी जा रही है |

 

सवारी के क्रम में उद्घोषक वाहन, तोपची, भगवान श्री महाकाल का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, स्काउट गाइड,नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाड़ूवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी साथ चल रहे थें।

बाबा श्री महाकालेश्वर के नगर भ्रमण के दौरान संपूर्ण मार्ग में फूलों व रंगों की रंग-बिरंगी रंगोली, आतिशबाजी, ध्वज,आदि के माध्यम से सजाया गया। सवारी मार्ग को आकर्षक बनाने के लिये आधुनिक सज्जा के उपायों द्वारा सुसज्जित, सुन्दर व भव्य बनाया गया।

आठवी सवारी 28 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद के साथ श्री घटाटोप मुखोटा, रथ पर श्री जटाशंकर व श्री रुद्रेश्वर स्वरूप सम्मिलित रहेगा।