Eat Local and Seasonal Fruits: सेहत के लिए खाइए लोकल और मौसमी फल,होते है अति पोष्टिक और स्वादिष्ट

जानिये इन फलों के बारे में

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Eat Local and Seasonal Fruits:सेहत के लिए खाइए लोकल और मौसमी फल,होते है अति पोष्टिक और स्वादिष्ट

क्या आपके क्षेत्र में भी जलवायु अनुरूप कुछ स्थानीय फल मिलते है ,जैसे तेमरू ,करोंदा ,कमरस,खरबूजा ,सरदा .इत्यादि ? फल आपके स्वास्थ्य के लिए कितने फायदेमंद हैं ये शायद हमें आपको बताने की ज़रूरत नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि अच्छी सेहत के लिए लोकल और मौसमी फल खाना बहुत ज़रूरी है।  आपके क्षेत्र में जो फल होते है उन्हें ही आप उपयोग करें वे ताजे , स्वादिष्ट और सस्ते होने के साथ पोष्टिक भी होते है . ज़्यादातर सभी फल शरीर में नैचुरल शुगर की पूर्ति करने का एक बहुत बड़ा स्रोत है।

हालांकि आज कल देखा गया है कि लोग विदेशी और एक्ज़ॉटिक फलों की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में से हैं तो आपको विदेशी फलों का रुख करने की ज़रूरत नहीं है बल्कि इंडिया में ही ऐसे कई ऐसे फल हैं जिनका स्वाद आपने अभी तक चखा नहीं होगा। यहां हम ऐसे ही कुछ फलों का ज़िक्र कर रहे हैं।क्या आपने कभी खाएं है वे फल ?

रसभरी

Peruvian groundcherry

एक समय पर जंगली फल के रूप में देखा जाने वाला ये फल आज एक्ज़ॉटिक फलों की कैटगरी में गिना जाता है और बड़े-बड़े होटल्स और बेकरियों में डेज़र्ट्स और दूसरी डिशेज़ में सजावट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। पतले कागजी छिलके में लिपटी रसभरी देखने में बेहद खूबसूरत लगती है। रसभरी का फल काफी हद तक छोटे से टमाटर जैसा लगता है। कच्चा फल हरे या हल्के पीले रंग का होता है और स्वाद में बेहद खट्टा होता है और पक जाने के बाद गहरे नारंगी रंग का और काफी मीठा स्वाद होता है।

कमरख

Carambola

हरे रंग का ये चमकीला फल स्टार फ्रूट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि काटने पर ये स्टार या तारे के आकार में नज़र आता है। ये अपने अत्यंत खट्टे स्वाद के लिए जाना जाता है। कच्चा कमरख चमकीले हरे रंग का होता है और पकने के बाद हल्के पीले रंग का हो जाता है। इसका इस्तेमाल चटनी, अचार और सलाद बनाने में किया जाता है।

खिरनी

Manilkara hexandra

खिरनी भी गर्मियों में मिलने वाला एक बहुत ही स्वादिष्ट फल है। मगर फिर भी बहुत कम लोगों को ही इसके बारे में पता है क्योंकि ये गर्मियां शुरू होने के बाद मई में कुछ ही दिनों के लिए मिलता है। ये आपको उन फल वालों के पास मिल जाएगा जो आमतौर पर जामुन या फालसा बेचते हैं। खिरनी का स्वाद बहुत ज़्यादा मीठा होता है क्योंकि इसकी ताल्लुक चीकू की प्रजाति से है। चमकदार पीले रंग के इस फल के अंदर छोटा सा एक बीज होता है और ये लंबा होता है और साइज़ औसतन आपकी छोटी उंगली का आधा होता है। ये फल भी आपको उत्तर भारत और कुछ पहाड़ी इलाकों में मिल जाएगा।

बेल 

bael

बेल शरीर के लिए एक बहुत ही फायदेमंद फल है जो कई बीमारियों का रामबाण इलाज है खासतौर पर कब्ज और दूसरी पेट-संबंधी बीमारियों के लिए। बेल कच्चा होने पर हरा थोड़ा मुलायम होता है और पक जाने के बाद इसका बाहरी हिस्सा सख्त और हरे-पीले रंग का हो जाता है। पके बेल का गूदा हल्के पीले या ऑरेंज कलर का होता है और स्वाद बेहद मीठा। इसमें चपटे और मध्यम आकार के बीज होते हैं जिन्हें अलग कर दिया जाता है। बेल को ऐसे भी खाया जाता है, मुरब्बा और शरबत बना कर भी खाया जाता है।

ताड़गोला

Tadgola

गर्मियों में अगर चीनी और केमिकल्स से लोडेड पैकेज्ड ड्रिंक्स से बेहतर ताज़गी चाहिए हो तो बस 1-2 ताड़गोला खा लीजिए और आपको ज़िंदगी भर इसका स्वाद याद रहेगा। ताल या ताड़ के पेड़ पर गुच्छों में निकलने वाला ये फल एक तरह की लोकल शराब बनाने के काम आता है लेकिन लोग इसे फल की तरह खाना भी पसंद करते हैं। चपटे और गोल आकार के इस फल की ऊपरी सतह ऑफ-व्हाइट रंग की होती है जो हवा के संपर्क में आने पर काली पड़ने लगती है। इसके अंदर जेली जैसे टेक्सचर वाला फल होता हो जिसे जब आप खाते हैं तो अंदर से ढेर सारा रस निकलता है।

गर्मी के मौसम में कई ऐसे फल मिलते हैं, जो इस मौसम में होने वाले रोगों से आपको बचाकर शरीर को अदंर से ठंडा रखते हैं। तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, लीची, आम तो आप खूब खाते होंगे, पर गर्मी के मौसम (Summer fruits) में क्या कभी ताड़गोला यानी आइस एप्पल (Ice Apple) खाया है? हो सकता है आपने इसका नाम पहली बार सुना हो, लेकिन ताड़गोला गर्मी में आपको सेहतमंद (Benefits of Tadgola) रखता है। यह बिल्कुल ट्रांसपेरेंट और सफेद जेली की तरह दिखता है। काफी हद तक लीची की तरह देखने में लगता है। स्वाद में यह हल्का मीठा होता है।

ताड़गोला (Ice Apple) में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें पानी भी खूब होता है, ऐसे में इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होती है

 

फालसा

Benefit of phalsa

फालसा एक गहरे लाल या बैंगनी रंग का छोटा और गोल फल होता है। इसके अंदर 2-3 छोटे-छोटे बीज पाए जाते हैं लेकिन उन्हें आसानी से चबा कर खाया जाता है। फालसे का स्वाद कच्चा होने पर खट्टा और पक जाने पर मीठा होता है। हालांकि इसका मूल स्वाद खट्टा-मीठा ही होता है। ये गर्मियों के दौरान बहुत ही कम दिनों के लिए उपलब्ध होता है। इस फल के बारे में अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि ये आज भी उत्तर प्रदेश और आसपास के इलाकों के कुछ ही शहरों में पाया जाता है। लोग इसे काले नमक या चाट मसाले के साथ खाना पसंद करते हैं। इसका शर्बत और चटनी भी काफी मशहूर है।

  • डायबिटीज के मरीजों के लिए फालसा फल काफी फायदेमंद होता है. …
  • फालसा में पानी की मात्रा काफी होती है. …
  • फलसा फल में कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है. …
  • फालसा में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस की स्थितियों में हड्डियों में होने वाले गंभीर दर्द को कम करने में मदद करता है.

काफल

Myrica esculentaकाफल का वानस्पतिक नाम मेरिका एस्कुलाटा है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। काफल तीन महीने तक स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का भी साधन बनता है। इसके पेड़ ठंडी जलवायु में पाए जाते हैं। इसका लुभावना गुठली युक्त फल गुच्छों में लगता है।

काफल उत्तर भारत खासतौर पर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों का एक जंगली फल है जो बड़ी-बड़ी झाड़ियों पर उगता है। गर्मियों में उगने वाला ये फल पहाड़ी इलाकों में काफी लोकप्रिय है। खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस फल के काफ औषधीय गुण हैं। देखने में ये छोटा और लाल रंग का होता है।

काफल को लेकर पहाड़ के लोकगीत भी हैं। प्रसिद्ध रंगकर्मी मोहन उप्रेती रचित बेडु पाको बार मासा, नरेन काफल पाको चेत मेरी छैला, आज भी हर पहाड़ के लोग गनगुनाते रहते हैं।

काफल खाने के फायदे

-यह जंगली फल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।

-इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है।

-इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं।

-मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है.

-इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिस तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

आमड़ा

Spondias Pinnata

आमड़ा की ज़्यादातर पैदाइश बंगाल, बिहार, नॉर्थ-ईस्ट और ओडिशा में ही होती है। कई इलाकों में इसे जंगली आम के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका रंग और आकार काफी हद तक वैसा ही होता है और इसका पेड़ भी आम के पेड़ जैसा ही होता है। इसके अलावा इसके स्वाद में भी आपको कच्चे आम की खटास और पके अनानास की मिठास मिलेगी। लोग इसका इस्तेमाल चटनी और अचार बनाने के लिए करते हैं और बहुत से लोग इसे ऐसे ही नमक-मिर्च लगा कर भी खाते हैं।

परिचर्चा भाग -2 : रक्षाबंधन की वर्तमान में प्रासंगिकता ?