One Handed Badminton Player : एक हाथ से ही ओलंपिक तक खेलने की इच्छा

लुटेरों की गोली लगने से हाथ काटना पड़ा, अब एक हाथ से ही अपने भाग्य को चुनौती

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One Handed Badminton Player : एक हाथ से ही ओलंपिक तक खेलने की इच्छा

One Handed Badminton Player

धार से छोटू शास्त्री की विशेष रिपोर्ट

Dhar : वैसे तो बैडमिंटन के खिलाडी अमूमन दोनों हाथ से खेलने वाले देखे होंगे, किन्तु धार में एक ऐसा खिलाड़ी भी बैडमिंटन खेलता है जिसका एक हाथ नहीं है। भिंड का रहने वाला राहुल नामक बैडमिंटन खिलाडी धार में बैडमिंटन विधा में भविष्य आजमाने के लिए आया है। एक हाथ से खेलकर उसने पेरा बैडमिंटन में स्टेट चैम्पियन बना है।

कहते हैं ‘मत करो हाथों की लकीरों पर यकीन, किस्मत उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते!’ हम बात कर रहे है राहुल की, जो भिंड का रहने वाला है और उसने अभी ग्वालियर में आयोजित बैडमिंटन स्पर्धा में स्टेट चैम्पियनशिप जीतने का गौरव हासिल किया है। राहुल की कहानी भी कुछ अजीब है, भगवान ने इसे दो हाथ जरूर दिए थे।

लेकिन, लुटेरों की गोली लगने से इसका हाथ काटना पड़ा। अब ये एक हाथ से ही अपने भाग्य को चुनौती दे रहा है। वह बहुत गरीब परिवार से था और किराने की दुकान चलाता था। तभी लुटेरों ने इसके यहां चोरी की और उन्हें पकड़ने के दौरान इसके हाथ में गोली लगी और फिर हाथ काटना पड़ा।

राहुल ने बताया कि यह 2012 की बात है। मैं किराने की छोटी सी दुकान चलाता था। किसी के यहां साढ़े 3 लाख की चोरी हुई। सब लोग चिल्ला रहे थे चोर चोर, चोर को पकड़ों मैं उसको पकड़ने वाला था, इतनी देर मे उसने गोली मार दी मुझे। डॉक्टर ने बोला जान ही शायद बच जाए हाथ तो नहीं बचेगा। उन्होंने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में इलाज किया, तब जान बची। लोग बढ़ावा देते हैं तो अच्छा लगता है। कुछ और अच्छा करने की इच्छा होती है। लक्ष्य तो अभी फिलहाल नेशनल है, फिर उसके बाद ओलंपिक खेलने की इच्छा है। सरकार से बहुत अपेक्षा है, जो गरीब लोग है जो खिलाड़ी है उनकी मदद करे।

इस एक हाथ से बैडमिंटन खेलने वाले अनोखे खिलाड़ी को उसके कोच बडे तन्मयता के साथ कोचिंग देते हैं। हालांकि, वे ये भी मानते है कि एक हाथ से उसे बहुत दिक्कत आती है। लेकिन, यह सुकून भी है कि वह मेहनत करके अच्छा खिखिलाड़ी बन गया। हम आशा करते है कि आने वाले टूर्नामेंट में वह गोल्ड मेडल जीतेगा।

उनका कहना है कि राहुल को सिखाने मे और दूसरे बच्चों को सिखाने में थोड़ा फर्क है। उसका अपर अंग नही है, तो उसको बॉडी बैलेंस करने में बहुत दिक्कत होती है। जिसके कारण हमे अन्य खिलाड़ियों की बजाए उसको मेहनत ज्यादा करवानी पड़ती है, ताकि उसका बॉडी बैलेंस बना रहे। वैसे तो वह बहुत मेहनती है। जब से आया है तब से उसका बॉडी बैलेंस बना रहा है। वह काफी मेहनत करता है। मेरा लक्ष्य है कि भुवनेश्वर में जो पैरा ओलंपिक होने वाला है उसमे गोल्ड मेडल जीते।

राहुल के खेलने के रूझान से जहां दर्शक अचम्भित रहते हैं, वहीं कोच उसको तलाशने में कोई भी खामी नहीं रखना चाहते। ऐसे में राहुल के साथ खेलने वाले खिलाड़ी भी कम उत्साहित नहीं है। राहुल का खेल उनके लिए मोटिवेशन का काम कर रहा है।

उनकी साथी खिलाड़ी का कहना है कि भैया पहली बार आए, तो बहुत बुरा लगा कि उनका एक हाथ नहीं था। पूछने पर बहुत हिचकिचाते थे। गेम भी बहुत अच्छा है और भैया बहुत ज्यादा मेहनत भी करते है। बोलते हैं कि मुझे दस साल भी लग जाएंगे तो भी मैं ओलंपिक खेलूंगा और उनका जो उत्साह है वह देखकर हमें भी बहुत उत्साह आता है बहुत मोटीवेट करते हैं।